परागण करने वाले कीटों की प्रजातियों के संरक्षण में किसाननिभा सकते हैं बेहतर भूमिका: अध्ययन

टीम ने यूरोप, मध्य अमेरिका, एशिया और ओशिनिया के ग्यारह देशों के 560 किसानों का साक्षात्कार लिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे कीटों और परागणकों के बारे क्या जानते हैं?

By Dayanidhi

On: Monday 27 December 2021
 

खेती की जाने वाले इलाकों में परागण करने वाले कीटों की सुरक्षा जरूरी है। परागण की गिरावट को कम करने के लिए किसानों की भागीदारी और उनकी जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है। किसानों के अपनी फसलों के बारे में निर्णय लेने और बाद में पैदावार के लिए उसे लागू करने के साथ-साथ जैव विविधता के लिए आवश्यक है।

किसानों के पास दुनिया भर में प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देने की क्षमता है। उनकी वास्तविक क्षमता को अभी पूरी तरह से उजागर नहीं किया जा सका है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 560 किसानों का साक्षात्कार किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे अपनी स्थानीय परागणक विविधता और इस मुद्दे में उनकी भागीदारी के बारे में क्या जानते हैं।

इस अध्ययन के परिणाम विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। यह अध्ययन मार्टिन लूथर यूनिवर्सिटी हाले-विटेनबर्ग (एमएलयू) की अगुवाई में शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने किया है।

दुनिया भर में लगभग 40 फीसदी भूमि का उपयोग कृषि के लिए किया जाता है। एमएलयू अध्ययनकर्ता तथा जीव विज्ञानी जूलिया ऑस्टरमैन कहते हैं कि इसके चलते किसानों पर बहुत अधिक जिम्मेदारी है। जिस तरह से वे अपनी भूमि का प्रबंधन करते हैं, उसका पर्यावरण और स्थानीय जैव विविधता पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है। हालांकि, पहले किसानों के ज्ञान और विषय के प्रति दृष्टिकोण के बारे में बहुत कम जानकारी थी। 

टीम ने यूरोप, मध्य अमेरिका, एशिया और ओशिनिया के ग्यारह देशों के 560 किसानों का साक्षात्कार किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे कीटों और परागणकों के बारे क्या जानते हैं? कैसा महसूस करते हैं? वे प्रजातियों के संरक्षण के लिए कैसे प्रतिबद्ध हैं? क्या उन्हें संरक्षण में सहायता की जरूरत है आदि।

ऑस्टरमैन बताते हैं कि मधुमक्खियां और जंगली मधुमक्खियां हमारे सर्वेक्षण में अब तक के सबसे महत्वपूर्ण परागणकर्ता थे। कई किसान उन कीटों को खुद पालते हैं, विशेष रूप से मधुमक्खियों में, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी फसल परागित हो। हालांकि, अन्य कीट जिन्हें अक्सर अकादमिक शोध में भी अनदेखा कर दिया गया जाता है, जैसे मक्खियों को भी महत्वपूर्ण परागणकों के रूप में नामित किया गया था।

स्थानीय परिस्थितियों ने यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि किसानों को एक, कौन सा कीट महत्वपूर्ण लगा। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया में एवोकैडो किसानों ने मक्खियों को बहुत महत्वपूर्ण माना, जबकि अन्य देशों में उनका कोई महत्व नहीं था। ऑस्टरमैन कहते हैं कि यह मुख्य रूप से क्षेत्रों के बीच प्रमुख कीटों में अंतर के कारण है। वास्तव में, किसानों के अवलोकन आमतौर पर कीट परागण समूहों की प्रचुरता के आधिकारिक आंकड़ों से मेल खाते पाए गए।

ऑस्टरमैन ने कहा किसान परागणकों के बारे में बेहद जानकार हैं और जब प्रजातियों के संरक्षण उपायों की योजना बनाने की बात आती है तो उनके ज्ञान का मूल्यांकन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया लगभग एक चौथाई उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने कीटों के लिए फूल और झाड़िया लगाई हैं।

यह पहल मुख्य रूप से उन देशों में की गई हैं जहां इस तरह की गतिविधि के लिए राज्य सब्सिडी प्रदान करते हैं। लेकिन किसानों ने उन देशों में भी जहां राज्य के द्वारा वित्त पोषण नहीं दिया जाता वहां भी कीटों की सुरक्षा के लिए धन उपलब्ध कराने के विकल्प होने चाहिए। जो स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप हों और जिन्हें आसानी से लागू किया जा सके।

सर्वेक्षण के अनुसार, किसान प्रजातियों के संरक्षण में अधिक शामिल होने के इच्छुक हैं। कई उत्तरदाताओं ने यह भी कहा कि वे इस क्षेत्र में वैज्ञानिकों के साथ अधिक बातचीत करना चाहते हैं। ऑस्टरमैन ने अपने निष्कर्ष में कहा कि हमें शोध और अभ्यास के बीच सहयोग और बातचीत को सुविधाजनक बनाने के लिए नए प्रारूपों की आवश्यकता है। यह अध्ययन ग्लोबल इकोलॉजी एंड कंजर्वेशन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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