अवैध शिकार के कारण खतरे में प्रवासी पक्षी: शोध

प्रवासी पक्षियों को एशिया प्रशांत क्षेत्र काफी पसंद है, लेकिन अवैध शिकार के चलते यह क्षेत्र इन पक्षियों के लिए कब्रगाह बन गया है

By Dayanidhi

On: Friday 22 May 2020
 
Photo: flickr

क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के एक शोध से पता चला है कि 1970 के दशक से लेकर अब तक एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तीन चौथाई प्रवासी पक्षियों का शिकार किया जा चुका है। यह स्थिति तब है, जब कि प्रवासी पक्षियों को एशिया प्रशांत क्षेत्र काफी पसंद है, लेकिन अवैध शिकार के चलते यह क्षेत्र इन पक्षियों के लिए कब्रगाह बन गया है।

शोध में शामिल यूक्यू पीएच.डी. छात्र एडुआर्डो गैलो-कैजियाओ ने कहा कि यह स्थिति इसलिए चिंताजनक है, क्योंकि ये शॉर्डबर्ड प्रजातियां पहले से ही इंसानी दखल के कारण खतरे में हैं।

बायोलॉजिकल कंज़र्वेशन पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि हर साल हजारों शॉर्डबर्ड, वेटलैंड-आश्रित प्रजातियां, आर्कटिक और बोरियल क्षेत्रों में प्रजनन करती हैं। नियमित रूप से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों द्वारा दक्षिण-पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को फ्लाई-वे के रूप में उपयोग किया जाता है। प्रवासी पक्षियों का यह उड़ने वाला मार्ग (फ्लाईवे) 22 देशों तक फैला है, जिसके माध्यम से 61 समुद्री तटों की प्रजातियां अपने वार्षिक प्रवासों को पूरा करती हैं, जो हर साल 25 हजार किमी तक की दूरी तय करती हैं।

लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें से कई आकर्षक पक्षी घट रहे हैं, कई विलुप्त होने के कगार पर हैं। समुद्र और नदियों के किनारों के बुनियादी ढांचे के विस्तार के कारण निवास स्थान नष्ट होने से प्रवासी पक्षियों की संख्या लगातार घट रही है। विशेष रूप से चीन के पीला सागर क्षेत्र और कोरियाई प्रायद्वीप के आसपास, जहां कई पक्षी आराम करने और भोजन करने के लिए रुकते हैं। 

इससे पहले प्रवासियों की कितनी मात्रा में शिकार किया जा रहा था, इस अध्ययन से पहले इस बारे में जानकरी नहीं थी। टीम ने शिकार पर सभी उपलब्ध साक्ष्यों को इकट्ठा करते हुए चार साल तक काम किया। जिसमें 14 देशों के शिकार के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया, जिसमें 46 प्रजातियां शामिल थीं। लेकिन जानकारी की कमी के कारण आठ देशों के आंकड़े नहीं मिल पाए।

वर्तमान में, इस क्षेत्र में विलुप्त होने के अधिक खतरे वाले पांच शॉर्डबर्ड प्रजातियां हैं, जिनमें गंभीर रूप से लुप्तप्राय चम्मच-सैंडपेपर शामिल हैं, जो अब 500 से भी कम रह गई हैं।

गैलो-कैजियाओ ने कहा, हमारे अध्ययन से पता चला है कि अन्य प्रजातियां जिनका शिकार किया जा रहा हैं, उनमें ग्रेट नोट, सुदूर पूर्वी कर्लेव और स्पॉटेड ग्रीनशंक शामिल हैं। इस बात की कोई निगरानी नहीं की जाती है कि पूरे क्षेत्र में कितने शॉर्बडर्स सालाना शिकार हो जाते हैं, जो इनके प्रबंधन को वास्तव में कठिन बनाता है।

शिकार को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से कई प्रयास चल रहे हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पीशीज़ शामिल हैं, लेकिन इन प्रवासियों को विलुप्त होने से बचाने और स्वस्थ वन्यजीव आबादी को बनाए रखने के लिए अत्यधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

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