अजब-गजब: सबसे गर्म ल्यूट रेगिस्तान के ताजे पानी में खोजी गई क्रस्टेशिया की नई प्रजाति

नई पहचानी गई प्रजातियां जीनस फालोक्रिप्टस से संबंध रखती है

By Dayanidhi

On: Friday 04 September 2020
 
Photo Source : Zoology in the Middle East

 

पृथ्वी पर सबसे गर्म स्थान के रूप में जाने, जाने वाले मरुस्थल ल्यूट में एक अभियान के दौरान ताजे पानी की क्रस्टेशिया की एक नई प्रजाति की खोज की गई है। ल्यूट रेगिस्तान - जिसे दश्त-ए ल्यूट के नाम से भी जाना जाता है, यह ईरान का दूसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है।

क्रस्टेशिया वर्ग में आने वाले जीवों का शरीर आमतौर पर एक कड़े खोल या पपड़ी से ढका होता है, जिसमें लॉबस्टर, चिंराट, केकड़े, बार्नाकल और लकड़ी के जूं आदी शामिल हैं।

नई पहचानी गई प्रजातियां जीनस फालोक्रिप्टस से संबंध रखती है। इसके पहले इनकी केवल चार प्रजातियों के बारे में जानकारी थी। ये प्रजातियां अलग-अलग शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

क्रस्टेशियंस मनुष्यों के लिए किस तरह उपयोगी हैं?

समुद्री और स्थलीय खाद्य श्रृंखलाओं में बड़ी भूमिका के कारण कई क्रस्टेशियंस को मनुष्यों के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। कई छोटे क्रस्टेशियंस तत्वों को खाकर उन्हें रीसायकल करने की क्षमता रखते हैं, जबकि बड़े क्रस्टेशियन बड़े जलीय स्तनधारियों के लिए भोजन स्रोत के रूप में जाने जाते हैं।

प्राकृतिक इतिहास के स्टटगार्ट राज्य संग्रहालय के डॉ. होसैन राजाई और तेहरान विश्वविद्यालय के डॉ. अलेक्जेंडर वी रुडोव ने रेगिस्तान के पारिस्थितिकी, जैव विविधता, भू-आकृति विज्ञान और जीवाश्म विज्ञान को बेहतर ढंग से समझने के लिए ल्यूट में एक अभियान के दौरान इसकी खोज की।

वियना के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के क्रस्टेशिया विशेषज्ञ, सह-शोधकर्ता डॉ. मार्टिन श्वेंटनर द्वारा नमूनों की वैज्ञानिक जांच करने के पश्चात कहा गया है कि यह ताजे पानी की एक नई प्रजाति क्रस्टेशिया से संबंधित हैं।

स्टेट म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री स्टटगार्ट के एंटोमोलॉजिस्ट डॉ. राजाएई ने रेगिस्तान के दक्षिणी हिस्से में एक छोटी सी मौसमी झील में इन प्रजातियों को खोजा। डॉ. राजाएई का कहना है कि यह खोज सनसनीखेज है।

शोधकर्ता का कहना था इस तरह के चरम स्थान पर एक अभियान के दौरान आप हमेशा सतर्क रहते हैं, विशेष रूप से जब यहां पानी मिल रहा हो। अन्यथा गर्म और शुष्क वातावरण में क्रस्टेशियंस की खोज वास्तव में सनसनीखेज थी। अध्ययनकर्ताओं के निष्कर्ष जूलॉजी इन द मिडिल ईस्ट नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

टीम द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया है कि कैसे फॉलोक्रिप्टिपस फहीमी अपनी समग्र आकृति और इसके आनुवांशिकी में अब तक पहचाने गए अन्य सभी फालोक्रिप्टस प्रजातियों से अलग है।

डॉ. श्वेंटनर, जिन्होंने अतीत में ऑस्ट्रेलियाई रेगिस्तान से समान क्रस्टेशियंस के साथ काम किया है, वे कहते हैं ये क्रस्टेशियन सूखे तलछट ( सेडीमेंट) में दशकों तक जीवित रहने में सक्षम हैं और आगामी बारिश के मौसम में, पानी में रहने वाले इन जीवों का निवास स्थान फिर से भर जाएगा। रेगिस्तान के वातावरण में रहने के लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं। ल्यूट रेगिस्तान में भी जीवित रहने की उनकी क्षमता बेहद आश्चर्यजनक है। उन्होंने अपने आपको इस वातावरण में ढाल दिया है।

ल्यूट रेगिस्तान 33 डिग्री  और 28 डिग्री  समानांतर रेखा के बीच स्थित है। यह स्विट्जरलैंड से 51,800 वर्ग किलोमीटर बड़ा है। इस रेगिस्तान का तापमान अब तक सतह पर मापे गए तापमान से बहुत अधिक है। 2006 के उपग्रह मापों के आधार पर, नासा ने 70.7 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया था, जो हाल ही में बढ़कर 80.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। काले कंकड़ जो गर्म होते हैं, तापमान बढ़ाने वाले कारणों में से एक हैं। औसत दैनिक तापमान सर्दियों में -2.6 डिग्री सेल्सियस से लेकर गर्मियों में 50.4 डिग्री सेल्सियस तक होता है, जिसमें वार्षिक वर्षा 30 मिमी प्रति वर्ष से अधिक नहीं होती है।

वनस्पति से लगभग वंचित, ल्यूट रेगिस्तान में कोई स्थायी जलीय बायोटॉप्स (जैसे तालाब) नहीं है। वर्षा होने के बाद, उत्तर-पश्चिमी ल्यूट से रुड-ए-शूर नदी सहित अस्थायी जल निकाय भर जाते हैं। यहां आर्किया के एक विविध समुदाय का वर्णन किया गया है लेकिन ल्यूट में जलीय जीवन अत्यधिक सीमित है, जो इस खोज को विशेष रूप से दुर्लभ बनाता है।

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