पक्षियों के विलुप्त होने के खतरों को कम करता है जैव विविधता का बढ़ता स्तर:अध्ययन

अध्ययन में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के नमूनों का उपयोग करके शोधकर्ताओं द्वारा एकत्र किए गए एक नए डेटासेट का उपयोग किया गया है।

By Dayanidhi

On: Wednesday 02 March 2022
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स

एक नए अध्ययन में पाया गया है कि बढ़ती जैव विविधता से पृथ्वी में प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा कम होता है। धरती पर जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है, प्रजातियों की विविधता, लक्षणों और विकासवादी इतिहास को आगे बढ़ाने में अहम होते हैं। अधिक जैव विविधता पक्षियों के विलुप्त होने के खतरों को कम करता हुआ दिखता है। बढ़ती जैव विविधता को लेकर किया गया अध्ययन मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है।

पहले किए गए शोधों से पता चलता है कि जैव विविधता छोटी अवधि में अनुमानित परिणामों से जुड़ी हुई होती है। विविध प्रणालियों में आक्रमण की संभावना कम होती है, उत्पादकता अधिक स्थिर होती है और यह अधिक रोग प्रतिरोधी भी हो सकती है।

इस अध्ययन का नेतृत्व यूएम स्कूल फॉर एनवायरनमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी के विकासवादी जीव विज्ञानी और पक्षी विज्ञानी ब्रायन वीक्स ने किया है। अध्ययन कम विलुप्त होने की दर में एक और सकारात्मक परिणाम को सामने लाया है। 

अध्ययन में  प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के नमूनों का उपयोग करके शोधकर्ताओं द्वारा एकत्र किए गए एक नए डेटासेट का उपयोग किया गया है। यह दुनिया में पक्षियों की सभी प्रजातियों के 99 फीसदी से अधिक को कवर करता है। जबकि प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के नमूनों का उपयोग करने की प्रथा आम है, यह पहली बार है कि सभी पक्षियों के कार्य-संबंधी लक्षणों का एक व्यापक डेटासेट बनाया गया है।

शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में पक्षियों की विविधता को मापने के लिए आंकड़ों का उपयोग किया, जिसमें एक समुदाय में पाई जाने वाली प्रजातियां, उनके विकासवादी संबंध और उनके कार्य-संबंधी लक्षण शामिल हैं। फिर उन्होंने विविधता और विलुप्त होने के खतरों के बीच संबंधों को की पहचान करने के लिए संरचनात्मक समीकरण मॉडलिंग का उपयोग किया।

अध्ययन के मुताबिक विविधता पक्षियों में समकालीन विलुप्त होने के खतरों के कम होने से जुड़ी है। अध्ययन में इसका श्रेय विविध समुदायों को उन प्रजातियों के लिए एक सुरक्षित शरण प्रदान करने के लिए दिया गया है जो विलुप्त होने के खतरे में हैं। प्रजातियों के गुण जैसे, बड़े शरीर का आकार, खराब वितरण क्षमता या सीमा के आकर का छोटा होना, इनके विलुप्त होने की अधिक आसार बना सकते हैं। हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि विविध समुदाय में रहने से होने वाले लाभ इन विलुप्त होने की आशंका वाली प्रजातियों की रक्षा करते हैं, जिससे उनमें से अधिक को फलने-फूलने में मदद मिलती है।

शोधकर्ताओं वीक्स ने कहा ने कि हम जानते हैं कि जैव विविधता पूर्वानुमानित तरीकों से पारिस्थितिक तंत्र के कामकाज को प्रभावित करती है। यह बहुत अधिक स्पष्ट नहीं है कि ये जैव विविधता-पारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज के संबंध लंबे समय तक विलुप्त होने के खतरों को कैसे प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि जैव विविधता का संरक्षण न केवल संरक्षण का लक्ष्य है बल्कि प्रभावी संरक्षण करने के लिए एक आवश्यक दृष्टिकोण भी है।

शोधकर्ताओं ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि जैव विविधता समुदायों का रखरखाव विलुप्त होने को रोकने के लिए एक अधिक लागत प्रभावी दृष्टिकोण हो सकता है क्योंकि अकेली प्रजाति का संरक्षण करना काफी महंगा होता है। यह अध्ययन इकोलॉजी लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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