जल्द नहीं मुरझाएगा यह फूल, वैज्ञानिकों ने विकसित की नई किस्म

भारतीय वैज्ञानिकों ने अब गुलदाउदी की ऐसी किस्म विकसित की है, जो सर्दियों के अंत तक खिली रहेगी

By Umashankar Mishra

On: Monday 20 January 2020
 
Photo credit: Science wire

सर्दियों के मौसम में घने कोहरे और ठंड के कारण अधिकतर पौधे मुरझाने लगते हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने अब गुलदाउदी की ऐसी किस्म विकसित की है, जो सर्दियों के अंत तक खिली रहेगी। शेखर नामक यह गुलदाउदी की देर से खिलने वाली किस्म है, जिसके फूल दिसंबर के अंत से फरवरी के बीच खिलते हैं। गुलदाउदी की इस नई किस्म को वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे द्वारा हाल में लखनऊ में जारी किया गया है।

गुलदाउदी की इस प्रजाति के फूल गुलाबी रंग के होते हैं और इसका आकार मुकुट की तरह होता है। इसके फूलों की पंखुड़ियां मुड़ी होती हैं, जिसके कारण यह सामान्य गुलदाउदी फूलों से अलग दिखाई देता है। गुलदाउदी की इस नई किस्म के पौधों की ऊंचाई करीब 60 सेंटीमीटर और व्यास लगभग 9.5 सेंटीमीटर तक होता है। इसे राष्‍ट्रीय वनस्‍पति अनुसंधान संस्‍थान (एनबीआरआई), लखनऊ के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है।

एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अरविंद जैन ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि पौधों के गुणों के लिए जिम्मेदार जीन्स का पता लगाने के लिए उनका अनुवांशिक एवं आणविक स्तर पर अध्ययन किया जाता है। इसी तरह के एक अध्ययन में यह नई किस्म गुलदाउदी की सु-नील नामक प्रजाति में गामा विकिरण द्वारा अनुवांशिक संशोधन करके विकसित की गई है। सु-नील एनबीआरआई के जर्म-प्लाज्म भंडार में शामिल गुलदाउदी की एक प्रमुख प्रजाति है। 

गुलदाउदी की देर से खिलने वाली अन्य प्रमुख किस्मों में सीएसआईआर-75, आशाकिरण, पूजा, वसंतिका, माघी व्हाइट, गौरी और गुलाल शामिल हैं, जिन पर दिसंबर से फरवरी के मध्य फूल खिलते हैं। जबकि, कुंदन, जयंती, हिमांशु और पुखराज गुलदाउदी की सामान्य सीजन की किस्में हैं, जिन पर आमतौर पर नवंबर से दिसंबर के बीच फूल आते हैं। इसी तरह, गुलदाउदी की अगैती किस्मों में विजय, विजय किरण और एनबीआरआई-कौल शामिल हैं, जिन पर प्रायः अक्तूबर के महीने में फूल खिलते हैं।

डॉ अरविंद जैन ने बताया कि फूलों की खेती में ग्लेडियोलस, गुलाब और जरबेरा के साथ-साथ गुलदाउदी का भी अहम है। गुलदाउदी के विविध रूप एवं रंगों की वजह से इसकी मांग काफी अधिक है और इसके फूलों को लोग अपने बगीचों और घरों में लगाना पसंद करते हैं। आधा इंच की दूरी पर गुलदाउदी की कटिंग लगाएं तो एक वर्ग मीटर के दायरे में करीब एक हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। किसान इन पौधों को 10 रुपये की दर से बेचकर बेहद कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 

एनबीआरआई द्वारा गुलदाउदी की करीब 230 किस्में विकसित की गई हैं। इनमें विभिन्न आकार एवं रंगों की गुलदाउदी किस्में शामिल हैं। अगस्त के महीने में मानसून के दौरान गुलदाउदी के फूलों की जड़ युक्त कटिंग मोरंग के करीब एक फीट मोटे बेड पर लगाई जाती है, जिसे बाद में गमलों में लगाया जा सकता है। शुरुआती दौर में दिन में दो से तीन बार पौधों पर पानी की बौछार करना उपयोगी होता है और कुछ समय बाद दिन में सिर्फ एक बार पानी देना पड़ता है। (इंडिया साइंस वायर)

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