यूरोपीय संघ ने दुनिया भर से मेंढकों की विलुप्ति का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ा

1970 से 1980 के दशक में, भारत और बांग्लादेश यूरोप में मेंढकों की टांगों के शीर्ष आपूर्तिकर्ता थे, लेकिन जब उनकी जंगली मेंढकों की आबादी कम हो गई, तो दोनों देशों ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया

By Dayanidhi

On: Monday 13 February 2023
 
फोटो साभार :प्रो वाइल्डलाइफ

यूरोपीय संघ में 2010 से 2019 के बीच, मेंढक के पैरों का कुल आयात 4.07 करोड़ किलोग्राम था, जो लगभग 2 अरब मेंढकों के बराबर है। जबकि बेल्जियम इनका मुख्य आयातक है, फ्रांस मुख्य उपभोक्ता है। यह खुलासा एक नए अध्ययन में किया गया है, जिसमें मेंढक के पैरों के व्यापार में भारी अस्थिरता और इसकी मांग को पूरा करने के लिए अन्य देशों पर यूरोपीय संघ की अत्यधिक निर्भरता पाई गई।

जर्मनी के बॉन में जैव विविधता परिवर्तन के लीबनिज संस्थान के प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. औलिया ने इस व्यापार में शामिल कई गुना अनिश्चितताओं को उजागर किया है। उन्होंने कहा, मेंढक के पैरों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एक अंधकारमय कुंए की तरह है। उन्होंने बताया, व्यापार में बड़े पैमाने पर गलत लेबलिंग और प्रसंस्कृत, चमड़ी और जमे हुए मेंढकों के पैरों की प्रजातियों की पहचान करने की भारी चुनौतियां सामने आ रही हैं।

कीटों के शिकारियों के रूप में मेंढकों की पारिस्थितिकी तंत्र में एक अहम भूमिका होती है। मेंढकों के गायब हो जाने से वहां जहरीले कीटनाशकों का उपयोग बढ़ जाता है। इसलिए, मेंढकों के पैरों के व्यापार का प्रत्यक्ष परिणाम न केवल मेंढकों के लिए होता है, बल्कि जैव विविधता और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिए भी होता है। 

1970 से 1980 के दशक में, भारत और बांग्लादेश यूरोप में मेंढकों की टांगों के शीर्ष आपूर्तिकर्ता थे, लेकिन जब उनकी जंगली मेंढकों की आबादी कम हो गई, तो दोनों देशों ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। तब से, इंडोनेशिया ने सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में पदभार संभाल लिया है।

दक्षिण पूर्व एशियाई देश में, जैसा कि अब तुर्किये और अल्बानिया में भी है, बड़े पैर वाले मेंढक की प्रजातियां जंगली में एक के बाद एक गायब होती जा रही हैं, जिससे प्रजातियों के संरक्षण के लिए घातक डोमिनोज या नकाब पोस प्रभाव पैदा हो रहा है। जिसके कारण तेजी से आपूर्तिकर्ता देशों में मेंढकों की आबादी पर खतरा बढ़ गया है।

सह-अध्ययनकर्ता डॉ. सैंड्रा अल्थर बताते हैं कि यूरोपीय संघ मेंढकों की टांगों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है और बड़ी टांगों वाली प्रजातियां जैसे कि केकड़े खाने वाले ग्रास मेंढक (फेजेर्वरिया कैन्क्रिवोरा), विशाल जावन मेंढक (लिम्नोनेक्टेस मैक्रोडॉन) और पूर्वी एशियाई बुलफ्रॉग (होप्लोबैट्राचस रगुलोसस) यूरोप में कथित तोर पर इनकी विशेष मांग है। डॉ. अल्थर जर्मनी स्थित चैरिटी प्रो वाइल्डलाइफ के जीव विज्ञानी और वन्यजीव व्यापार विशेषज्ञ हैं।

जबकि व्यावसायिक मेंढक फार्म, जैसे कि वियतनाम में संचालित, पहली नजर में एक विकल्प प्रतीत हो सकता है जो जंगली मेंढकों की आबादी के दबाव को दूर कर सकता है। जंगली से देशी प्रजातियों के साथ मेंढक फार्मों का चलन और गैर-देशी के मामले में अमेरिकी बुलफ्रॉग (लिथोबेट्स केटेस्बियनस) जैसी प्रजातियों के पलायन, आक्रमण और बीमारी फैलने के पर्यावरण के लिए गंभीर खतरे हैं।

खपत के उद्देश्य से व्यावसायिक मेंढकों को खेतों में रहने वाले जंगली मेंढकों की आबादी के साथ पालने से उनकी प्रजातियों पर रोग और संक्रमण फैलने के आसार बढ़ जाते हैं। इसके अतिरिक्त, खपत के लिए प्रजातियों के सीमा पार व्यापार ने प्रजातियों के बीच अनुवांशिक खराबी और संकरण को जन्म दिया है।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि, इस अध्ययन के दौरान, यह स्पष्ट हो गया कि मेंढक के पैरों को लेकर मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर ठोस आंकड़े हासिल करना कितना मुश्किल है। विशेष रूप से, प्रासंगिक आंकड़े विभिन्न असंबद्ध डेटाबेसों में बिखरे हुए हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि समीक्षा के दौरान, उन्हें किसी भी तरह के प्रकाशित आंकड़े नहीं मिले जो इस बात की तस्दीक करते हों कि कीटनाशकों के अवशेष और अन्य जहरीले पदार्थों (संसाधित) मेंढक या यूरोपीय संघ में आयातित उनके पैरों की निगरानी की गई है या नहीं।

उन्होंने कहा यह अपने आप में चौंकाने वाला है और निर्यात करने वाले देशों में स्थिति और व्यावसायिक खेतों के भीतर कृषि रसायनों और पशु चिकित्सा औषधीय पदार्थों के उपयोग में पारदर्शिता और प्रबंधन की भारी कमी देखी गई। अध्ययनकर्ताओं ने कहा, हम गंभीरता से इस बात की सिफारिश करते हैं कि आयात करने वाले देश के लिए निकट भविष्य में निगरानी जरूरी की जानी चाहिए।

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