विश्व मधुमक्खी दिवस 2023: दुनिया की 75 फीसदी खाद्य फसलों को पालती हैं मधुमक्खियां

दुनिया की लगभग 90 फीसदी जंगली फूलों वाली पौधों की प्रजातियां, पूरी तरह से या आंशिक रूप से जीवों के परागण पर निर्भर करती हैं

By Dayanidhi

On: Saturday 20 May 2023
 

विश्व मधुमक्खी दिवस हर साल 20 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। मधुमक्खी पालकों के कार्यक्रम जनता को मधुमक्खियों और मधुमक्खी पालन के महत्व के बारे में शिक्षित करते हैं। इन आयोजनों में मधुमक्खियों द्वारा परागणकर्ताओं के रूप में निभाई जाने वाली भूमिकाओं पर विशेष जोर दिया जाता है, साथ ही उनके वन आवरण को बढ़ाने की अहम भूमिका को उजागर किया जाता है।

मधुमक्खियों और अन्य परागणकों, जैसे कि तितलियों, चमगादड़ों और हमिंगबर्ड्स पर मानवीय गतिविधियों के कारण खतरा बढ़ रहा है।

हालांकि, परागण हमारे पारिस्थितिक तंत्र के अस्तित्व के लिए एक मूलभूत प्रक्रिया है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया की लगभग 90 फीसदी जंगली फूलों वाली पौधों की प्रजातियां, पूरी तरह से, या आंशिक रूप से जीवों के परागण पर निर्भर करती हैं।

दुनिया की 75 फीसदी से अधिक खाद्य फसलें और 35 फीसदी कृषि भूमि इनके भरोसे हैं। परागकण न केवल सीधे खाद्य सुरक्षा में योगदान करते हैं, बल्कि वे जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

क्योंकि मधुमक्खियां खतरे में हैं, इसलिए 20 मई को लोगों को सिखाया जाता है कि जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए उनकी और अन्य परागणकों की रक्षा कैसे करें।

मधुमक्खियों और अन्य परागणकों की रक्षा के लिए उपायों को मजबूत करना है, जो दुनिया भर की खाद्य आपूर्ति से संबंधित समस्याओं को हल करने और विकासशील देशों में भूख को खत्म करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

हम सभी परागणकों पर निर्भर हैं और इसलिए, उनकी गिरावट की निगरानी करना और जैव विविधता के नुकसान को रोकना महत्वपूर्ण है।

विश्व मधुमक्खी दिवस 2023 की थीम

विश्व मधुमक्खी दिवस 2023 की थीम "परागण-अनुकूल कृषि उत्पादन में शामिल मधुमक्खी" है, जो परागण-अनुकूल कृषि उत्पादन में मदद करने के लिए वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करता है। साथ ही साक्ष्य-आधारित कृषि उत्पादन प्रथाओं के माध्यम से मधुमक्खियों और अन्य परागणकों की रक्षा के महत्व पर प्रकाश डालता है।

विश्व मधुमक्खी दिवस का इतिहास

विश्व मधुमक्खी दिवस 20 मई, 1734 को एंटोन जन्सा के जन्मदिन का प्रतीक है। एंटोन आधुनिक मधुमक्खी पालन के पहले शिक्षक माने जाते हैं। उन्होंने 1774 में एक पुस्तक डिस्कशन ऑन बी-कीपिंग प्रकाशित की।

वहीं पहला विश्व मधुमक्खी दिवस 20 मई, 2018 को मनाया गया था।

हमें अब कार्रवाई करने की जरूरत है

मधुमक्खियों पर खतरा मंडरा रहा है। मानवजनित प्रभावों के कारण वर्तमान प्रजातियों के विलुप्त होने की दर सामान्य से 100 से 1,000 गुना अधिक है। लगभग 35 प्रतिशत अकशेरुकी परागणकों, विशेष रूप से मधुमक्खियों और तितलियों, और लगभग 17 प्रतिशत कशेरुकी परागणकों, जैसे चमगादड़, विश्व स्तर पर विलुप्त होने का सामना कर रहे हैं।

यदि यही हाल रहा, तो फल, नट और कई सब्जियों की फसलों जैसे पौष्टिक फसलों को चावल, मक्का और आलू जैसी प्रमुख फसलों द्वारा तेजी से प्रतिस्थापित किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप अंततः असंतुलित आहार होगा।

गहन कृषि पद्धतियां, भूमि उपयोग परिवर्तन, एकल फसल, कीटनाशक और जलवायु परिवर्तन से जुड़े उच्च तापमान मधुमक्खी आबादी के लिए सभी समस्याएं पैदा करते हैं, इनके विस्तार से  हमारे द्वारा उगाए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।

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