भारत में पेड़ों की 469 प्रजातियों पर मंडरा रहा है विलुप्त होने का खतरा

देश में पेड़ों की 2,603 प्रजातियों में से 18 फीसदी (469) पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। वहीं वैश्विक स्तर पर केवल 41.5 फीसदी प्रजातियों को ही सुरक्षित माना गया है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 01 September 2021
 

भारत में पेड़ों की करीब 18 फीसदी यानी 469 प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। यह जानकारी हाल ही में बॉटनिक गार्डनस कंजर्वेशन इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट स्टेट ऑफ द वर्ल्डस ट्रीज में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में पेड़ों की 2,603 प्रजातियां हैं। यही नहीं रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि भारत में पेड़ों की 650 ऐसी प्रजातियां पाई जाती हैं जो दुनिया में और कहीं नहीं मिलती हैं।

रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में पेड़ों की करीब 58,497 प्रजातियां हैं। जिनमें से केवल 41.5 फीसदी (24,255) प्रजातियां ही सुरक्षित घोषित हैं। वहीं पेड़ों की करीब 29.9 फीसदी (17,510) प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, जबकि 7.1 फीसदी (4,099) के लिए यह माना जा रहा है कि मुमकिन है कि वो संकटग्रस्त हो। हालांकि 21.6 फीसदी (12,490) के बारे में अभी तक पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं है। अनुमान है कि पेड़ों की करीब 142 प्रजातियां जंगलों से विलुप्त हो चुकी हैं।   

रिपोर्ट के अनुसार पेड़ों की जो विविधता है वो दुनिया भर में आसमान रूप से वितरित है। जहां मध्य और दक्षिण अमेरिका पेड़ों की सबसे ज्यादा 23,631 प्रजातियां हैं वहीं इसके बाद दक्षिण पूर्व एशिया में 13,739 और अफ्रीका के अन्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पेड़ों की 9,237 प्रजातियां पाई जाती हैं। वहीं उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया में पेड़ों की सबसे कम प्रजातियां पाई जाती हैं।

 

मेडागास्कर में सबसे ज्यादा 1,842 प्रजातियों पर हैं संकट

यदि संकटग्रस्त प्रजातियां की बात करें तो इनकी संख्या उष्णकटिबंधीय अफ्रीका में सबसे ज्यादा है, जिसमें मेडागास्कर भी शामिल है, जहां पेड़ों की 1,842 (59 फीसदी) प्रजातियां खतरे में हैं। वहीं मॉरिशस में पाई जाने वाली करीब 57 फीसदी (154) प्रजातियां संकटग्रस्त हैं। वहीं ब्राजील में पेड़ों की 1,788 प्रजातियां, इंडोनेशिया में 1,306, मलेशिया में 1,295, मेक्सिको में 1,097, चीन में 890, पेरू में 786 और वेनेज़ुएला में 614 प्रजातियां खतरे में हैं।       

यदि पेड़ों की इन प्रजातियों पर मंडराते खतरों की बात करें तो इनमें सबसे ऊपर जंगलों को काटना है, जिसे कृषि, खनन, लकड़ी, शहरीकरण जैसे उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। वहीं आक्रामक कीटों और बीमारियों के कारण भी यह प्रजातियां खत्म हो रही हैं। इनके लिए कहीं हद तक जलवायु में आ रहा बदलाव भी जिम्मेवार है। 

यदि पिछले 300 वर्षों का इतिहास देखें तो वैश्विक स्तर पर जंगलों में 40 फीसदी की कमी आई है। वहीं 29 देशों में जंगलों के कुल क्षेत्रफल में करीब 90 फीसदी की कमी आई है। इसके लिए मुख्य रूप से भूमि उपयोग में बदलाव और कृषि जिम्मेवार है। वहीं इनके लिए दूसरा प्रमुख खतरा इन प्रजातियों का सीधे तौर पर किया जा रहा शोषण हैं जिनमें टिम्बर के लिए पेड़ों को काटना शामिल है।

अनुमान है कि इसके कारण 7,400 प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं यदि आक्रामक प्रजातियों को देखें तो इनके चलते 1,356 प्रजातियां खतरे में हैं। जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम भी पेड़ों के लिए एक तेजी से उभरता हुआ खतरा है जो पूरी दुनिया में पेड़ों को प्रभावित कर रहा है। करीब 1,080 मामलों में इसे खतरे के रूप में पाया गया है। 

कृषि के कारण खतरे में हैं 29 फीसदी प्रजातियां

यदि आंकड़ों को देखें तो वैश्विक स्तर पर करीब 29 फीसदी प्रजातियों के लिए कृषि सबसे बड़ा खतरा है। इसके बाद वनों का कटाव 27 फीसदी, मवेशी 14 फीसदी, शहरीकरण 13 फीसदी, जंगल की आग 13 फीसदी, खनन और ऊर्जा 9 फीसदी, लकड़ी और लुगदी के लिए वृक्षारोपण 6 फीसदी, आक्रामक प्रजातियां 5 फीसदी और जलवायु परिवर्तन 4 फीसदी प्रजातियों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। 

पेड़, पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो न केवल भोजन, जरुरी उत्पाद और संसाधन देते हैं। साथ ही हमारे लिए जीवनदायनी साफ हवा भी देते हैं। आज भी दुनिया में उत्सर्जित हो रही ग्रीनहाउस गैसों का एक बड़ा हिस्सा यह पेड़ सोख लेते हैं। यही नहीं पेड़ सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हैं।  यह दुनिया की करीब आधी ज्ञात स्थलीय पौधों और जानवरों की प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करते हैं। पेड़ों की करीब 10 फीसदी (6,000 प्रजातियों) को औषधीय कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है।  ऐसे में इन्हें बचाना कितना जरुरी है, इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं। 

ऐसे में बीजीसीआई ने संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के लिए संरक्षित क्षेत्र के विस्तार की सिफारिश की है।  साथ ही गंभीर खतरे में पड़ी प्रजातियों को उगाना, इसके लिए वैश्विक सहयोग करना, संरक्षण प्रयासों के लिए धन की व्यवस्था करना शामिल है। वनस्पति उद्यानों और बीज बैंकों में इन खतरे में पड़ी प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए प्रयास करना शामिल है, जिससे इन्हें बचाया जा सके।

Subscribe to our daily hindi newsletter