बैठे-ठाले: शरणार्थी समस्या से निपटने का आसान रास्ता

“पड़ोसी देश से आने वाले लोगों को यहां का हाल बता दीजिए, लोग इधर की ओर दोबारा देखेंगे भी नहीं”

By Sorit Gupto

On: Monday 09 December 2019
 

सोरित / सीएसई

“घने जंगलों से गुजरता हुआ कहीं जा रहा था... जा रहा था? नहीं आ रहा था... नहीं जा रहा था।” “ उफ्फ अब आगे भी बोल” कमान्डेंट ने टोक कर पूछा।

“ यही तो कन्फ्यूजन है शिरिमान जी इस नौकरी का” बिट्टू ने आह भरकर कहा, “इस बीएसएफ की टहलदारी की नौकरी में सीमा के पास जंगलों में मारे-मारे भटकते हुए यही नहीं याद रहता कि मैं ड्यूटी पर जा रहा हूं या ड्यूटी करके आ रहा हूं।”

अचानक थोड़ी दूरी पर जंगल में कुछ हलचल हुई। गश्त टुकड़ी चौकन्नी हो गई।

“ शिरिमान! लगता है शरणार्थी, मेरा मतलब है कुछ घुसपैठिये हैं” टुकड़ी के एक जवान ने कहा “शिरिमान, कहो तो गोली चला दूं!”

कमान्डेंट कुछ कहते इससे पहले बिट्टू बोला, “ गोली मत चलाइए शिरिमान! उनको हमारे देश में घुसने से रोकना ही तो है। यह काम मुझ पर छोड़ दीजिए।”

कहता हुआ बिट्टू उधर बढ़ गया जहां पर सीमा के उस पार से आए कुछ भूखे नंगे लोगों का समूह खड़ा था। कमान्डेंट और बाकी टुकड़ी ने दूर से देखा कि बिट्टू उनसे कुछ बातें कर रहा है और उन्हें कुछ अखबारों को दिखा रहा है। बीएसएफ की टुकड़ी के लोगों को आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने देखा कि भूखे नंगे लोगों का वह समूह वापस जा रहा था। केवल यही नहीं उनमें से कुछ लोग बिट्टू से गले मिल रहे थे।

बिट्टू के लौटने पर कमान्डेंट ने प्यार से पूछा, “क्यों बे, उनको गोली क्यों नहीं मारने दी?”

बिट्टू बोला, “शिरिमान जी हम हैं गांधी के देश के लोग, अहिंसावादी। गोली-बंदूक का यहां क्या काम?” कमान्डेंट बोला , “पर तू उनसे बोल क्या रहा था?”

बिट्टू बोला, “मैंने उनसे पूछा कि आखिर वे इंडिया क्यों आना चाहते हैं? उनमें से एक बोला कि नौकरी के लिए तो मैंने उनको कहा कि अरे भाई, तेलंगाना सरकार पचास हजार लोगों की नौकरी से निकाल रही है, उत्तर प्रदेश सरकार स्कूल के प्रिंसिपल से लेकर होमगार्ड तक को नौकरी से निकालने की बात कर रही है।

बीएसएनएल, एमटीएनएल बंद हो रहे हैं, वहां तुम नौकरी खोजने जा रहे हो?”

कमान्डेंट ने पूछा, “ फिर क्या हुआ?”

बिट्टू बोला, “शिरिमान, उनमें से एक बोला कि इंडिया ज्यादा सुरक्षित है। मैंने कहा, आपका स्वागत है और उनको सन्यासी की मालिश का वीडियो क्लिप दिखाया, एम्स में मौत से लड़ती उन्नाव बलात्कार पीड़िता और उसके वकील की तस्वीरें दिखाईं... तबरेज आलम और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मॉब लिंचिंग का फेसबुक पोस्ट दिखाया, बेचारे डर गए।”

कमान्डेंट ने पूछा, “ पर तू उस जवान औरत से क्या खुसर-फुसुर कर रहा था?”

इतना सुनकर बिट्टू तैश में आ गया और हाल ही में फेसबुक पर वायरल हुए किसी महिला कैडेट के पोस्ट की तर्ज पर बोलने लगा, “शिरिमान, वह कह रही थी कि वह अपने बच्चे के अच्छी परवरिश के लिए इंडिया आना चाहती है। मैंने कहा आपका स्वागत है और इतना कहकर मैंने आज के अखबार में छपी ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रपट दिखाई, जहां उनका देश इंडिया से कई पायदान ऊपर था। बस फिर क्या था?

सब मुझसे गले मिलकर कहने लगे कि शुक्रिया भाईजान, आपने हमें, हमारी औरतों और बच्चों को बचा लिया और वह लोग सीमा के उस पार अपने देश लौट गए। शिरिमान जी! हमारे देश की शरणार्थी समस्या का हल बंदूक-गोली में नहीं है। बस पड़ोसी देश से आने वाले लोगों को यहां का हाल बता दीजिए। लोग इधर की ओर दोबारा देखेंगे भी नहीं। जनाब अकबर इलाहाबादी, सॉरी प्रयागराजी ने कहा है, खींचो न कमानों को न तलवार निकालो, जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो... बोलिए सच है कि नहीं?”

कमान्डेंट सहित बीएसएफ की उस टुकड़ी के जवानों के मुंह पर ताला पड़ा था।

Subscribe to our daily hindi newsletter