स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2021: तापमान के साथ ही बढ़ी जंगलों में आग लगने की घटनाएं

पिछले 30 सालों में 42 करोड़ हेक्टेयर में फैले वनों को काट दिया गया है

By DTE Staff

On: Thursday 10 June 2021
 

दुनिया के लगभग एक तिहाई हिस्से यानी धरती के लगभग 406 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल हैं। लेकिन इनकी संख्या लगातार कम हो रही हैं। हर पांच साल में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ग्लोबल फॉरेस्ट रिसोर्स असेसमेंट (एफआरए) 2020 रिपोर्ट बताती है कि 1990 से लेकर 2020 तक लगभग 42 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में लगे जंगलों को काट दिया गया।

दिलचस्प यह है कि अन्य सभी पारिस्थितिक तंत्रों की तरह वन भी इंसानों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक, भौतिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक या सामाजिक लाभ प्रदान करते हैं। बावजूद इसके इंसान वनों को काट रहे हैं या उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। यहां तक कि दुनिया ने अपने लिए जो सतत विकास लक्ष्य तय किए हैं, उनमें से छह में वानिकी गतिविधियों को शामिल गया है। जैसे, सबसे पहला लक्ष्य गरीबी कम करना है और गरीबी कम करने के लिए वन उत्पादों से होने वाली आमदनी को शामिल किया गया है। इसी तरह जलवायु के लक्ष्य में कार्बन संग्रहण और अवशोषण शामिल हैं। इसी तरह स्वास्थ्य का लक्ष्य हासिल करने के लिए औषोधीय पौधों, भूमि में जैवविविधता, भूख में जंगली फलों और शिकार से पोषण और पानी के लक्ष्य में पीने का साफ पानी और सिंचाई को शामिल किया गया है। आशय है कि वनों का पारिस्थितिकी तंत्र जितना मजबूत होगा, इंसान के लिए उतना ही फायदेमंद होगा।

मई 2021 में जारी संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई रिपोर्ट “द स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर” में वनों की बहाली और संरक्षण पर भी जोर दिया गया है। साथ ही कहा गया है कि वनों के प्रबंधन, संरक्षण और बहाली सहित उस पर आधारित समाधानों के लिए वैश्विक स्तर पर कुल 14.7 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी। ऐसा करने पर वन और कृषि-वानिकी क्षेत्र में 2050 तक लगभग 30 करोड़ हेक्टेयर की वृद्धि हो सकती है।

भारत की दृष्टि से देखा जाए तो भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रोजगार के लिए वनों पर आश्रित है। एफएओ की उपरोक्त रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि मूल्याकंन रिपोर्ट में शामिल 136 देशों में से जंगलों की वजह से रोजगार पाने वालों की सबसे अधिक संख्या भारत में है। इन देशों में लगभग 1.25 करोड़ लोगों को वन क्षेत्रों की वजह से रोजगार मिला हुआ है, जबकि इनमें से 50 फीसदी यानी लगभग 62.3 लाख लोग भारत से हैं।

बावजूद इसके लिए वनों के संरक्षण के प्रति खासा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। खासकर पिछले कुछ सालों में भारत में जंगलों में आग लगने की घटनाओं में बहुत तेजी आई है। इसकी प्रमुख वजह है, बढ़ता तापमान और मॉनसून के दौरान बारिश न होना। 2016 में आग लगने की 5,41,135 घटनाएं हुई और यह साल बेहद गर्म रिकॉर्ड किया गया था। साथ ही, मॉनसून में 14 फीसदी बारिश की गिरावट भी दर्ज की गई थी। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि आने वाले सालों में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, जंगलों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।

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