आस्ट्रेलिया की आग से न्यूजीलैंड के ग्लेशियर पर खतरा

पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि यही हालात रहे तो आने वाले समय में यहां तीस प्रतिशत ग्लेशियर पिघल सकते हैं

By Anil Ashwani Sharma

On: Friday 03 January 2020
 
Photo: Wikipedia

आस्ट्रेलिया में लगी भयंकर आग का असर अब न्यूजीलैंड के ग्लेशियर पर भी दिखने लगा है। लगातार आग का असर यह हो रहा है कि इन दिनों न्यूजीलैंड के ग्लेशियरों का रंग सफेद से भूरे रंग का होते जा रहा है। स्थानीय पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि यही हालात रहे तो आने वाले समय में यहां तीस प्रतिशत ग्लेशियर पिघल सकते हैं। देश के पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क ने तो यहां तक कह दिया है कि इस आग ने बर्फ से ढकी चोटियों और ग्लेशियर को ध्वस्त कर दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री ने पहाड़ों पर लंबे समय तक चलने वाले पर्यावरणीय प्रभावों के लिए गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ग्लेशियरों पर राख के प्रभाव से उसके तेजी से पिघलने की संभावना है।

ध्यान रहे कि न्यूजीलैंड में 3,000 से अधिक ग्लेशियर हैं और 1970 के दशक के बाद से वैज्ञानिकों ने उन्हें लगभग एक तिहाई सिकुड़ते हुए रिकॉर्ड किया है। वर्तमान अनुमानों के अनुसार वे पूरी तरह से सदी के अंत तक गायब हो जाएंगे।

मोनाश विश्वविद्यालय में पृथ्वी, वातावरण और पर्यावरण स्कूल के प्रमुख प्रोफेसर एंड्रयू मैकिन्टोश ने कहा कि न्यूजीलैंड में ग्लेशियरों के अध्ययन के लगभग दो दशकों के दौरान इतनी अधिक मात्रा में धूल को कभी नहीं देखा था और वर्तमान घटना के कारण इस मौसम में ग्लेशियर के 20 से 30 प्रतिशत तक पिघलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

मैकिन्टोश ने कहा कि बर्फ की सफेदी सूरज की गर्मी को दर्शाती है और धीमी गति से पिघलती है। लेकिन जब यह सफेदी अस्पष्ट हो तो ग्लेशियर तेज गति से पिघल सकते हैं। मैकिनटोश ने कहा कि अगर ऑस्ट्रेलिया में जंगल की आग का जलना जारी रहा तो न्यूजीलैंड में ग्लेशियर के पिघलने में तेजी आ सकती है।

दिसंबर,2019 की शुरुआत में लेखक लिज कार्लसन ने ऑस्ट्रेलिया के धुएं के संपर्क में आने के बाद दक्षिणी आल्प्स के क्षेत्रों की तस्वीरें उतारी थीं। उनका कहना है कि हमारे ग्लेशियरों को किसी और लड़ाई की जरूरत नहीं है क्योंकि वे पहले से ही खतरे में हैं। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को और भी स्पष्ट रूप से दर्शाता है। लेकिन अब आग ने एक और मुसीबत पैदा कर दी है।

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