जलवायु परिवर्तन: खतरे में है दिल्ली में पेड़ों की सभी प्रजातियों का अस्तित्व

वैश्विक स्तर पर शहरों में पेड़ों की 56 फीसदी प्रजातियां पहले ही बढ़ते तापमान और बारिश में आते बदलावों का खतरा झेल रही हैं

By Lalit Maurya

On: Monday 26 September 2022
 

जलवायु में आते बदलावों के चलते दिल्ली में पेड़ों की सभी प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है। इतना है नहीं एक नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते तापमान और बारिश में आते बदलावों के चलते दुनिया भर में शहरों में पाई जाने वाली पेड़ों की करीब आधी प्रजातियों का भविष्य संकट में है। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है जोकि 19 सितम्बर 2022 को जर्नल नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुआ है।

जिस तरह से शहरों में तापमान बढ़ रहा है उसके कारण पेड़ कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। यह प्राकृतिक एयर कंडीशनर हैं जो गर्मी के प्रभाव को सीमित कर शहरों को ठंडा रखने में मदद करते हैं। साथ ही बढ़ते प्रदूषण को रोककर हवा को साफ रखने में भी मदद करते हैं, जिससे हम मनुष्य साफ हवा और ठंडक का अनुभव कर पाते हैं।

लेकिन क्या हो जब यह पेड़ खुद ही जलवायु परिवर्तन का निशाना बनने लगें। ऐसे में क्या इनको बचाना हमारी जिम्मेवारी नहीं है। पेड़ बढ़ते तापमान को रोकने और शहरों को ठंडा रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं साथ ही यह प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ शहरों को रहने लायक बनाते हैं।

ऐसे में देखा जाए तो इन बदलावों के चलते न केवल पेड़ों की इन प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है बल्कि साथ ही शहरों में रहने वाले लोगों के लिए भी यह खतरे की घंटी है, क्योंकि शहरों में पेड़ों की आधी से ज्यादा प्रजातियां पहले ही बढ़ती गर्मी का खतरा महसूस कर रही हैं।

वैश्विक स्तर पर जिस तरह से शहरीकरण बढ़ रहा है उसके चलते संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2030 तक दुनिया की आधे से ज्यादा आबादी शहरों में रह रही होगी। ऐसे में बढ़ता तापमान और जलवायु परिवर्तन उनके लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

2050 तक खतरे में होगा शहरी पेड़ों की दो-तिहाई प्रजातियों का अस्तित्व

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 78 देशों के 164 शहरों में पेड़ों और झाड़ियों की 3,129 प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन के खतरे का अध्ययन किया है। निष्कर्ष दर्शाते हैं कि शहरों में पेड़ों की 56 फीसदी यानी 1,000 से ज्यादा प्रजातियां पहले ही बढ़ते तापमान और बारिश में आते बदलावों का खतरा झेल रही हैं। बढ़ता तापमान और पानी की कमी के चलते परिस्थितियां पहले ही इन पेड़ों की प्राकृतिक सहनशीलता की सीमा से परे हो चुकी हैं।

वहीं यदि बढ़ते तापमान और जलवायु में आते बदलावों का कहर इसी तरह जारी रहता है तो वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले 28 वर्षों में पेड़ों की करीब 76 फीसदी यानी 2,387 प्रजातियां खतरे में होंगी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसका सबसे ज्यादा खतरा निम्न अक्षांश वाले शहरों जैसे दिल्ली, सिंगापुर में सबसे ज्यादा है। जहां वृक्षों की सभी शहरी प्रजातियां जलवायु परिवर्तन की चपेट में हैं।

वैश्विक स्तर पर पेड़ों की जिन प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है उनमें बबूल, नीम, पीपल, ओक, मेपल, चेरी प्लम, पोपलर, वेटल्स, नीलगिरी और चेस्टनट जैसी प्रजातियां शामिल हैं। ऐसे में न केवल पेड़ों की इन प्रजातियों बल्कि शहरों में जीवन को बनाए रखने के लिए इन पेड़ों को बचाना बहुत जरूरी है। साथ ही शहरों में जितना हो सके ज्यादा पेड़ लगाए जाने चाहिए, क्योंकि यह पेड़ हमारी सोच से भी ज्यादा फायदा पहुंचाते हैं।

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