संरक्षित क्षेत्रों में 41 फीसदी कम होती है वनों की कटाई: शाेध

शोध में पाया गया कि संरक्षित क्षेत्रों में वनों की कटाई की दर असुरक्षित क्षेत्रों की तुलना में 41 फीसदी कम है।

By Dayanidhi

On: Friday 12 February 2021
 

संरक्षित क्षेत्र वैश्विक जैव विविधता और कार्बन भंडार के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शोधकर्ताओं ने 63 देशों में 20 लाख वर्ग मील में फैले 18,000 से अधिक भू-भाग का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण से पता चलता है कि संरक्षित क्षेत्र वनों की कटाई की दर को कम करने में मदद तो करते है, लेकिन इस पर पूरी तरह लगाम नहीं लगाते हैं।

शोध के निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अधिकांश स्थलीय प्रजातियां जंगलों में रहती हैं और धरती पर वनों से आच्छादित हिस्से सिर्फ 6.5 फीसदी है। जोकि जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन द्वारा 2020 के लिए निर्धारित लक्ष्य 17 फीसदी से बहुत कम है।

निष्कर्षों के अनुरूप सही समय पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राष्ट्रपति बाइडेन ने हालिया कार्यकारी आदेश भी दिए हैं, जोकि अमेरिका की भूमि और जल की 30 फीसदी की रक्षा करने, इसे वर्तमान के 12 फीसदी से ऊपर ले जाने और अमेज़ॅन वर्षावनों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक योजना विकसित करने का आह्वान है, जो अन्य महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र वैश्विक कार्बन सिंक के रूप में काम करते हैं।

ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता क्रिस्टोफर वुल्फ ने कहा सबूत इस ओर इशारा करते हैं कि हम एक सामूहिक विलुप्त होने की घटना के बीच में खड़े हैं, इससे पहले धरती में इसे केवल पांच बार पहले देखा गया है। वनों की कटाई को कम करने के लिए औपचारिक रूप से संरक्षित क्षेत्रों को एक प्राथमिक उपकरण के रूप में प्रस्तावित किया गया है, इसलिए इसका उद्देश्य प्रजातियों की विलुप्ति को रोकने और कार्बन भंडारण में कमी को कम करना है। यह शोध नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है।

शोध में देखा गया है कि जंगल के नुकसान को कम करने के लिए संरक्षित क्षेत्र कितने प्रभावी हैं। इस पर पहली बार व्यापक रूप से विचार किया गया है। वुल्फ और उनके सहयोगियों ने संरक्षित क्षेत्रों के भीतर परिवर्तन की दरों का अनुमान लगाने के लिए इन क्षेत्रों और वन परिवर्तन मानचित्रों पर वर्ल्ड डेटाबेस का उपयोग किया है। दरों की तुलना उन नियंत्रित क्षेत्रों से की गई थी, जो समान विशेषताओं जैसे ऊंचाई, ढलान और घनी आबादी वाले क्षेत्रों से नजदीगी के साथ जुड़े हुए थे।

उन्होंने पाया कि संरक्षित क्षेत्रों में वनों की कटाई की दर असुरक्षित क्षेत्रों की तुलना में 41 फीसदी कम है। उन्होंने यह भी पाया कि पहले अनुमान लगाया गया था कि पृथ्वी के जंगलों का 15.7 फीसदी वनों की कटाई से सुरक्षित है, जोकि बहुत अधिक सकारात्मक सोच थी, पर ऐसा नहीं है।

वुल्फ ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि वन क्षेत्रों को केवल 'संरक्षित' कहना पर्याप्त नहीं है। जब आप संरक्षण प्रभाव को देखते हैं, तो आप केवल कुछ मीटर के आधिकारिक रूप से संरक्षित भूमि की मात्रा पर भरोसा नहीं कर सकते। लगभग सभी संरक्षित क्षेत्रों का एक तिहाई हिस्सा वास्तव में जबरदस्त मानव दबाव में हैं।

संरक्षित क्षेत्र में वनों की कटाई की दर अफ्रीका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका में सबसे अधिक थी और ओशिनिया - ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी और पास के द्वीप श्रृंखलाओं में सबसे कम पाई गई।

अध्ययन किए गए 63 देशों में से 34 के पास कम से कम 17 फीसदी वन क्षेत्र संरक्षित हैं जोकि जैव विविधता पर सम्मेलन द्वारा स्थापित लक्ष्य के अनुरूप हैं।

न्यूजीलैंड संरक्षित क्षेत्रों के प्रतिशत के मामले में नंबर 1 पर, भारत 48वें और और चीन अंतिम स्थान पर है। दक्षिण अफ्रीका के संरक्षित क्षेत्र सबसे प्रभावी थे, वनों की कटाई की दर नियंत्रित स्थलों की तुलना में आठ गुना कम थी। सिएरा लियोन, मलेशिया और कंबोडिया वे तीन देश थे जहां के वन कवर को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।

वुल्फ ने कहा संरक्षित क्षेत्र कितने प्रभावशील है इसकी निगरानी को अमल में लाने के अलग-अलग स्तरों और उनके लिए उपलब्ध धन पर निर्भर करता है। शोधकर्ता ने कहा दुर्भाग्य से, हमारे शोध से पता चलता है कि संरक्षित क्षेत्रों में धीरे-धीरे वनों की कटाई अधिक हो रही हैं। और सामान्य तौर पर, संरक्षित क्षेत्र जितना बड़ा होगा, वनो के नुकसान की दर उतनी ही अधिक होगी।

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