आकाशीय बिजली गिरने से उष्णकटिबंधीय जंगलों में हर बार 100 पेड़ों का हो रहा है नुकसान

पेड़ों की प्रजातियां बिजली के हमलों के लिए अलग तरह से प्रतिक्रिया करती हैं, लेकिन पेड़ों पर उन हमलों के प्रभाव को मापा नहीं गया था क्योंकि बिजली को ट्रैक करना और दस्तावेज करना मुश्किल है

By Dayanidhi

On: Thursday 08 September 2022
 

इस बात का पता लगाना आसान है कि सूखा, आग और पर्यावरण की अन्य विशेषताएं कैसे बदलती हैं और जंगल के आकार को किस तरह निर्धारित करती हैं। जंगलों को बनाने वाले पेड़ कहां और कौन से उग रहे हैं तथा एक साथ रह रहे हैं। लेकिन आकाशीय बिजली प्रकृति की एक और घटना है जो जंगलों के पूरे ढांचे और स्वास्थ्य में एक अलग भूमिका निभाती है।

शोधकर्ता जीनिन रिचर्ड्स कहते हैं कि दुनिया भर में जंगल छोटे होते जा रहे हैं। सामान्य तौर पर, हम देख रहे हैं कि जंगलों में सबसे पुराने पेड़ कई कारणों से मर रहे हैं और उनके बदले उसी तरह के नए पेड़ नहीं उग रहे हैं। आकाशीय बिजली इन खतरों में से एक है जो समय के साथ बड़े पेड़ों को नुकसान पहुंचा रही है। रिचर्ड्स विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग में डॉक्टरेट शोधकर्ता हैं।   

रिचर्ड्स, प्रोफेसर केट मैकुलोह की प्रयोगशाला के सह-शोधकर्ता हैं जो बिजली को एक पर्यावरणीय चालक के रूप में स्थापित करने में मदद करते हैं। जो यह तय कर सकता है कि भविष्य में कौन से पेड़ उष्णकटिबंधीय जंगलों का निर्माण करेंगे।

बिजली को गंभीरता से लेना बहुत जरुरी है क्योंकि कुछ सबूत बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के साथ बिजली गिरने की संख्या बढ़ रही है। जिसका अर्थ है कि यह भविष्य में जंगल की गड़बड़ी और पेड़ों के कारोबार में बड़ी भूमिका निभा सकती है।

आकाशीय बिजली गिरने की बेहतर समझ से बेहतर जलवायु मॉडल का निर्माण भी हो सकता है। जो शोधकर्ताओं को यह अध्ययन करने में मदद करता है कि दुनिया के जंगल अपने पर्यावरण में होने वाले बदलावों पर कैसे प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

वर्षों से, वैज्ञानिकों ने देखा है कि पेड़ की प्रजातियां आकाशीय बिजली के हमलों के लिए अलग तरह से प्रतिक्रिया करती हैं, लेकिन वन संरचना पर उन हमलों के प्रभाव को मापा नहीं गया था क्योंकि बिजली को ट्रैक करना और दस्तावेज करना मुश्किल है।

बारो कोलोराडो प्रकृति स्मारक के पनामा नहर से सटे जंगलों में स्थित विशेष बिजली निगरानी प्रणाली दर्ज कर रहे हैं। तूफान के दौरान, निगरानी प्रणाली जंगल में स्थित चार अलग-अलग टावरों से बिजली गिरने की छवियों और टाइमस्टैम्प को रिकॉर्ड करती है। रिचर्ड्स सहित शोधकर्ता, बिजली गिरने के स्थान का सर्वेक्षण करने और नुकसान का दस्तावेजीकरण करने के लिए कई टावरों से आकाशीय बिजली के हमलों की तस्वीरों का उपयोग कर रहे हैं।

जब आकाशीय बिजली गिरती है, तो सबसे ऊंचे पेड़ वही होते हैं जिनके सीधे टकराने की सबसे अधिक आसार होते हैं। एक समशीतोष्ण जंगल के विपरीत, जो विस्कॉन्सिन में विशिष्ट है, हालांकि, यह केवल कुछ पेड़ नहीं हैं जो एक बार बिजली गिरने से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

100 पेड़ तक जो आस पास होते हैं या प्रभावित पेड़ से काफी करीब होते हैं, विद्युत प्रवाह के संपर्क में आ सकते हैं, जिससे कुछ तुरंत मर जाते हैं, अन्य धीरे-धीरे मरते हैं और कुछ अन्य सामान्य रूप से जीवन जीना जारी रखते हैं।

वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि प्रत्येक पेड़ के पास संभावित अंतरों के आधार पर बिजली की एक अलग प्रतिक्रिया होगी। जबकि उन्होंने यह पाया, वे एक सुसंगत पैटर्न को देखकर आश्चर्यचकित हुए जिसमें एक ही प्रजाति के पेड़ एक दूसरे के समान प्रतिक्रिया दे रहे थे।

उन्होंने यह भी पाया कि पेड़ की प्रजातियां जो सबसे अधिक बार बिजली की चपेट में आती हैं, वे आमतौर पर सबसे अधिक सहनशील होती हैं, जिसका अर्थ है कि उनके मरने की संभावना कम होती है या बिजली गिरने के बाद गंभीर क्षति होती है।

जिन प्रजातियों में सघन लकड़ी होती है, वे भी बिजली के हमलों के प्रति अधिक सहनशील होती हैं, खासकर अगर उनके पास अपेक्षाकृत बड़े वेसल्स होते हैं। यहां बताते चलें कि वेसल्स कोशिकाओं की एक प्रणाली है जो पूरे पेड़ में पानी को स्थानांतरित करने में मदद करती है।

अध्ययन में पॉम या ताड़ अतिसंवेदनशील प्रजातियों में से एक थीं, जो बिजली के चपेट में आने पर लगभग हमेशा मर जाती है। रिचर्ड्स का कहना है कि यह पॉम के कुछ कार्यात्मक लक्षणों और अन्य पेड़ों के बीच अंतर के कारण हो सकता है, जैसे कि जिस तरह से वे बढ़ते हैं, उनका आकर आदि। जंगल के निचले हिस्से में उनके स्थान का मतलब है कि हालांकि वे अक्सर बिजली के हमलों के चपेट में नहीं आते हैं।

रिचर्ड्स का कहना है कि यह निर्धारित करने के लिए और अधिक अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है कि कौन से लक्षण पेड़ की प्रजातियों को बिजली के प्रति कम या ज्यादा सहनशील बनाते हैं, लेकिन उनका कहना है कि यह एक प्रेरणादायक शुरुआत है।

उदाहरण के लिए, शोधकर्ता पहले से ही जानते हैं कि नियमित सूखे का अनुभव करने वाले स्थानों में, जिन प्रजातियों को कम पानी की आवश्यकता होती है, वे अपने समकक्षों की तुलना में बेहतर तरीके से जीवित रहते हैं।

इसी तरह, जहां अक्सर आग लगने की घटनाएं होती हैं, वहां मोटी छाल वाली प्रजातियां आग से होने वाले नुकसान का बेहतर ढंग से सामना कर सकती हैं और जो आग के बाद जल्दी से फिर से उभर सकती हैं, वे प्रजातियों के उस समुदाय में अधिक प्रभावी होंगे। बिजली के साथ भी उसी तरह की समझ की कल्पना की जा सकती है।

रिचर्ड्स कहते हैं, बस इतना कुछ है कि हम बिजली के बारे में नहीं जानते हैं और उन्हें उम्मीद है कि यह शोध अन्य पारिस्थितिकीविदों को जांच में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा।

Subscribe to our daily hindi newsletter