तापमान बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग

अगले कुछ दिन राज्य के जंगलों पर मौसम की मेहरबानी रहेगी। देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र ने 28 मई से राज्य में ज्यादातर जगहों पर बारिश की संभावना जतायी है

By Varsha Singh

On: Wednesday 27 May 2020
 
देहरादून में प्रेमनगर के पास जंगल की आग। फोटो: वर्षा सिंह

एक हफ्ते में राज्य में तापमान बढ़ने के साथ ही जंगल में आग की घटनाएं भी बढ़ीं। इस वर्ष फायर सीजन में 23 मई तक गढ़वाल के 11.25 हेक्टेअर, कुमाऊं के 36.05 हेक्टेअर के साथ वन्यजीव संरक्षित 4.04 हेक्टेअर क्षेत्र मिलाकर कुल 51.34 हेक्टेअर जंगल की आग की जद में आए।

27 मई तक आग का दायरा 110.53 हेक्टेअर क्षेत्र तक पहुंच गया। इसमें गढ़वाल के 52.75 हेक्टेअर जंगल, कुमाऊं के 52.62 हेक्टेअर और वन्यजीव संरक्षित 5.16 हेक्टेअर क्षेत्र शामिल है। पिछले तीन दिनों (25,26,27 मई)  में पौड़ी सिविल वन (28 हेक्टेअर), अल्मोड़ा (22 हेक्टेअर), रानीखेत मृदा संरक्षण (8.25 हेक्टेअर), पिथौरागढ़ (13.3 हेक्टेअर) समेत रुद्रप्रयाग, नई टिहरी, नैनीताल, बागेश्वर, रामनगर, मसूरी, लैंसडोन, अपर यमुना (देहरादून), गढ़वाल, बद्रीनाथ, राजाजी रिजर्व, कार्बेट रिजर्व, नंदादेवी नेशनल पार्क आग की चपेट में आए। आग से अब तक 2,85,805 रुपये के नुकसान का आंकलन किया गया। हालांकि इसके साथ ही जंगल में औषधीय वनस्पतियों, छोटे- छोटे जीव-जंतुओं का भी नुकसान होता है। जिसका आंकलन मुश्किल है।

देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक 21-27 मई के बीच राज्य में ज्यादातर जगहों पर औसत तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। देहरादून में 21 मई को तापमान 37 डिग्री, 22 मई- 39 डिग्री, 23 मई- 39 डिग्री तक दर्ज किया गया। 24 मई को पारा 40 के उपर चला गया। 25,26,27 मई को भी तापमान 40 के कुछ उपर ही रहा। जबकि सामान्य तापमान 35 डिग्री के आसपास होता है। इसी दौरान राज्य के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ीं।

अल्मोड़ा में जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन इनवायरमेंट एंड डेवलपमेंट के वैज्ञानिक डॉ संदीपन कहते हैं कि प्री-मानसून हीटवेव के चलते हर साल इस समय तापमान बढ़ता है। वह बताते हैं कि पिछले 4-5 दिनों में हवा में गर्मी ज्यादा बढ़ी है। इसका असर सेंट्रल इंडिया में रहता है। ऐसे में यदि आंधी आती है तो गर्मी से राहत मिलती है। इस समय गर्मी बढ़ने से देश के पश्चिमी हिस्से से लेकर पूर्वी हिस्से तक हवा का दबाव कम होता है जिससे मानसून को आगे बढ़ने में मदद मिलती है। डॉ संदीपन कहते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी वजहों से हीटवेव की फ्रीक्वेंसी और तीव्रता पिछले 10-15 वर्षों में बढ़ी है।

जंगल की आग को लेकर डॉ संदीपन कहते हैं कि चौड़ी पत्ती वाले वृक्षों जैसे ओक के जंगलों की तुलना में चीड़ के जंगलों की सतह उल्लेखनीय रूप से अधिक गर्म होती है। इस पर अभी शोध जारी है। चीड़ की पत्तियां भी ज्वलनशील होती हैं। उत्तराखंड में चीड़ के जंगल बहुतायत में हैं इसीलिए यहां आग की घटनाएं अधिक होती हैं। इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि जंगल की आग की ज्यादातर वजह मैनमेड होती है।

पौड़ी के डीएफओ आकाश वर्मा कहते हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार जंगल फिर भी बेहतर स्थिति में हैं। (पिछले वर्ष 25 मई तक राज्य के 1590 हेक्टेअर जंगल आग की चपेट में आ चुके थे।) पौड़ी में 23-24 मई को सिविल फॉरेस्ट में आग लगी। आकाश वर्मा के मुताबिक खेतों के पास लोगों ने ये आग लगाई थी। 23 मई को आग पर काबू पा लिया गया लेकिन 24 मई को फिर सुबह आग लगी। हवा तेज़ होने की वजह से आग पर काबू पाने में मशक्कत करनी पड़ी। मंगलवार को बारिश होने के साथ ही मिट्टी में नमी आ गई है, जिससे जंगल को राहत मिली।

डीएफओ आकाश वर्मा कहते हैं कि कोरोना के चलते जरूरत पड़ने पर वन विभाग की गाड़ियां गांवों में राशन पहुंचाने जैसे कार्यों में इस्तेमाल की जा रही हैं। वन विभाग के कंट्रोल रूम का इस्तेमाल भी कोरोना से जुड़ी सूचनाओं के लिए किया जा रहा है। पौड़ी के सिविल वन में लगी आग पर काबू पाने में गढ़वाल रेंज के स्टाफ की ड्यूटी भी लगाई गई।

उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक जयराज कहते हैं कि लॉकडाउन के शुरुआती समय में वन विभाग के कर्मचारियों की कोरोना रोकथाम के लिए ड्यूटी लगाई गई। जंगल में आग की घटनाएं सामने आने लगीं तो ये ड्यूटी हटा ली गई। इस समय वन विभाग का ज्यादातर स्टाफ जंगल की सुरक्षा में तैनात है।

वायरल तस्वीरों के बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया पर जंगल में आग लगने की झूठी तस्वीरें लगायी गई हैं। इनमें से ज्यादातर तस्वीरें या तो वर्ष 2016-17 में राज्य के जंगलों की आग की हैं या दूसरी जगहों से ली गई हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर जंगल में आग को लेकर स्थिति स्पष्ट की है और कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष जंगल में आग का दायरा अब तक करीब 5 प्रतिशत ही है।

अगले कुछ दिन राज्य के जंगलों पर मौसम की मेहरबानी रहेगी। देहरादून में आज भी बादल छाए हैं। तेज़ हवाएं चल रही हैं। देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र ने 28 मई से राज्य में ज्यादातर जगहों पर बारिश की संभावना जतायी है। मैदानी क्षेत्रों में तेज़ हवा-आंधी का अनुमान भी जताया गया है। बारिश से मिट्टी नम होगी तो आग फैलने का खतरा टलेगा।

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