इस जंगल में नंगे पैर घूमे, पेड़ों को लगाएं गले तो हो जाएंगे स्वस्थ

रानीखेत के कलिका क्षेत्र में मुख्य सड़क से करीब 50 मीटर अंदर इस हीलिंग सेंटर को चीड़ के जंगलों में बनाया गया है

By Varsha Singh

On: Monday 08 March 2021
 
उत्तराखंड वन विभाग की रिसर्च विंग ने अल्मोड़ा के रानीखेत में करीब 13 एकड़ क्षेत्र में वन उपचार केंद्र शुरू किया। फोटो: वर्षा सिंह

उत्तराखंड वन विभाग की रिसर्च विंग ने अल्मोड़ा के रानीखेत में करीब 13 एकड़ क्षेत्र में वन उपचार केंद्र शुरू किया है। वन स्नान की जापानी पद्धति और हमारी प्रकृति से जुड़ी परंपराओं को साथ लेकर इस जंगल को खासतौर पर तैयार किया गया है।

रिसर्च विंग के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी बताते हैं कि जंगल में कई ऐसे गुण हैं जो हमें शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ बनाते हैं। जंगल के इन गुणों पर जानकारी जुटायी गई। पिछले एक-डेढ़ साल में कुछ लोगों पर इसके प्रयोग भी किए गए। जिसके काफी अच्छे नतीजे आए।

देश में अपनी तरह के पहले फॉरेस्ट हीलिंग सेंटर में नंगे पांव टहलने, पेड़ों को गले लगाने, वन ध्यान और देर रात तारों को निहारने जैसी गतिविधियां कराई जाएंगी। 

संजीव बताते हैं कि हमने पेड़ों से जुड़ी शोध रिपोर्टें पढ़ीं और पाया कि पेड़ों को छूने और चिपकने से होने वाले वाइब्रेशन से शरीर में ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे अच्छा महसूस करने वाले हार्मोन्स बनते हैं।

उन्होंने बताया कि आइसलैंड वन विभाग समेत कई देशों में भी स्थानीय लोगों की सेहत के लिए इस तरह की पहल की जा रही है।

रानीखेत के कलिका क्षेत्र में मुख्य सड़क से करीब 50 मीटर अंदर इस हीलिंग सेंटर को चीड़ के जंगलों में बनाया गया है। चीड़ के जंगल आमतौर पर आग के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं। लेकिन इसके कई औषधीय गुण भी है।

चीड़ के पेड़ खुद को बीमारियों से बचाने के लिए खास किस्म के ऑयल कंपाउंड उत्सर्जित करते हैं जिन्हें फाइटोनसाइड्स कहा जाता है। विभिन्न शोधों में यह पाया गया है कि ये कंपाउंड हमारे रक्त में रोग प्रतिरोधी कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करते हैं। जो संक्रमण और कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए हमारे शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही तनाव को कम करने और खुद को शांत करने में भी ये कारगर है। चीड़ के जंगल में नंगे पांव टहलने और इन पेड़ों को गले लगाकर इनके औषधीय गुणों को फायदा लिया जा सकता है।

संजीव चतुर्वेदी बताते हैं कि ध्यान लगाने के लिए जंगल की जमीन के साथ पेड़ों पर भी ट्री-हाउस की तर्ज पर प्लेटफॉर्म्स बनाए गए हैं। इसी तरह रात में चीड़ की खुली कैनोपी के बीच से तारों को निहारने की व्यवस्था भी की गई है। जंगल का ये माहौल मन को शांत और तनाव मुक्त करने में मदद करता है। पूरे क्षेत्र की जालीदार घेरबाड़ की गई है। देखरेख के लिए वन विभाग के कर्मचारी यहां मौजूद रहेंगे।

अल्मोड़ा के रानीखेत में शुरू हुए वन उपचार केंद्र में जंगल के बीच मचानें बनाई गई हैं। फोटो: वर्षा सिंह

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के वृक्ष मित्र सम्मान से सम्मानित रानीखेत के जोगिंदर बिष्ट ने 7 मार्च को इस हीलिंग सेंटर का उद्घाटन किया। वह कहते हैं ग्रामीण लोगों का जीवन तो जंगल से जुड़ा है। लेकिन शहरी जीवन में मिट्टी छूना, घास पर चलना, पेड़ों के साथ रहना मुश्किल हो गया है। हमारे मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि हम प्रकृति के बीच रहें। ये हीलिंग सेंटर ऐसे ही लोगों के लिए है।

जिस तरह से शरीर में आयरन, कैल्शियम और जरूरी विटामिन्स की कमी के चलते हम बीमार पड़ सकते हैं, वैसे ही जीवन में प्रकृति की कमी भी हमें बीमार कर देती है। प्रकृति से दूर होते जीवन को लेकर कई शोध किए जा चुके हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इसका असर हमारे मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। 

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