वन्यजीव अपराध पर अंकुश के लिए ट्रेंड हो रहे स्निफर डॉग, 20 राज्यों में 400 मामलों में की मदद
वन्यजीव अपराध अंकुश के लिए खोजी कुत्तों को बाघ और तेंदुए की खाल, हाथी दांत, चीतल और सांभर की सींगों की गंध पहचानने का प्रशिक्षण दिया गया है।
On: Wednesday 24 November 2021
वन्यजीवों से जुड़ा अवैध व्यापार पूरी दुनिया में चौथा सबसे बड़ा संगठित अपराध माना जाता है, जिससे कई वन्यजीवों के अस्तित्व पर संकट आ गया है। भारत में भी हाथी, बाघ, गुलदार, पैंगोलिन जैसे वन्यजीवों की शिकारियों से सुरक्षा वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती रहती है। वन्यजीव अपराध से बचाव में खोजी कुत्ते (स्निफर डॉग) बेहद कारगर साबित होते हैं। भारत के वन्यजीव स्निफर डॉग फोर्स में 14 नए प्रशिक्षित सुपर स्निफर डॉग शामिल हुए हैं और अब फोर्स में इनकी कुल संख्या 88 हो गई है। सूंघने की जबरदस्त क्षमता के चलते खोजी कुत्तों का इस्तेमाल वन्यजीव अपराध की जांच में भी किया जाता है। इनकी सूंघने की शक्ति मनुष्यों की तुलना में 10,000 से 1,00,000 गुना तक अधिक मज़बूत होती है। देशभर में 350 से अधिक वन्यजीव अपराध से जुड़े मामलों में खोजी कुत्तों की मदद ली गई है। वन विभाग के बेड़े में शामिल 14 नए स्निफर कुत्तों को भारत– तिब्बत सीमा पुलिस बल के हरियाणा के पंचकूला स्थित बेसिक ट्रेनिंग सेंटर (बीटीसी– आईटीबीपी) में 7 महीने लंबी ट्रेनिंग दी गई है। कुत्तों को बाघ और तेंदुए की खाल, हाथी दांत, चीतल और सांभर की सींगों की गंध पहचानने का प्रशिक्षण दिया गया है। इन कुत्तों के संचालकों को भी ये सिखाया गया कि कैसे वे आगे भी इन्हें किसी ख़ास वस्तु की गंध पहचानने का प्रशिक्षण दे सकते हैं। कार्य के दौरान ये पाया गया कि इन खोजी कुत्तों में हिरन का मांस, ज़िंदा चिड़ियों, सांप, साही, कछुए और जलीय जीवों को पहचानने-सूंघने की शक्ति भी विकसित हुई है। 14 खोजी कुत्तों के इस बैच की पासिंग आउट परेड के अवसर पर बीटीसी– आईटीबीपी के निदेशक ने कहा “अवैध वन्यजीव व्यापार को खत्म करने के विशेष उद्देश्य के साथ इस कार्यक्रम को बहुत ध्यानपूर्वक तैयार किया गया था। जिसमें बुनियादी कौशल, आज्ञाकारिता और अनुसंधान को शामिल किया गया। प्रशिक्षण को आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल और वैज्ञानिक तरीके से आयोजित किया गया। खोजी कुत्तों को आबादी वाले इलाकों और वन्य क्षेत्र दोनों परिस्थितियों में काम करने की ट्रेनिंग दी गई”। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कार्य कर रही संस्था ट्रैफिक इंडिया के प्रमुख डॉ साकेत बडोला ने बताया “प्रशिक्षित खोजी कुत्ते विषम भूभागों में बेहतर कार्य कर रहे हैं। अब तक 400 से ज़्यादा वन्यजीव अपराध मामलों में सुरक्षा एजेंसियों की सहायता कर चुके हैं। वन विभाग के अलावा रेलवे सुरक्षा बल और कस्टम जैसी एजेंसियों ने भी वन्यजीव स्निफर कुत्तों की तैनाती के लिए दिलचस्पी दिखाई है। हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में वन्यजीव खोजी कुत्तों का उपयोग वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी अन्य प्रवर्तन एजेंसियां भी करेंगी”। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया के महानिदेशक रवि सिंह ने कहा “वर्ष 2008 में महज दो वन्यजीव स्निफर कुत्तों से शुरू हुआ ये सफर वर्तमान बैच के साथ 88 तक पहुंच गया है। ये डॉग स्क्वाड शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार रोकने की मुहिम में बेहद उपयोगी हैं”। खोजी कुत्तों को सबसे पहले हरियाणा और उत्तराखंड में वन विभाग के साथ तैनात किया गया था। वर्तमान में 20 राज्यों में उनकी तैनाती है। 14 नए प्रशिक्षित खोजी कुत्तों में से 3 सुपर स्निफर स्क्वाड महाराष्ट्र वन विभाग में शामिल होंगे। 2-2 स्क्वाड छत्तीसगढ़, कर्नाटक और ओडिशा वन विभागों में भेजे जाएंगे। जबकि उत्तर प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु वन विभाग में एक-एक स्क्वाड शामिल होंगे। कुत्तों की जर्मन शेफर्ड, बेलकियन मालीनॉइस और लैब्राडोर प्रजातियों को अब तक ट्रेनिंग दी गई है।