जंगलों के लिए फायदेमंद है पेड़ों की प्रजातियां और उनमें मौजूद आनुवांशिक विविधता

वनों के स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए वनीकरण से जुड़ी परियोजनाओं में पेड़ों की अलग-अलग प्रजातियां के साथ उनमें मौजूद आनुवंशिक विविधता बहुत मायने रखती है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 06 December 2022
 

वैज्ञानिकों का कहना है कि वनीकरण से जुड़ी परियोजनाओं के लिए पेड़ों की अलग-अलग प्रजातियां और किसी प्रजाति में मौजूद आनुवांशिक विविधता बहुत मायने रखती है। यह वनों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ उसकी उत्पादकता में भी बढ़ोतरी करती हैं।

जर्नल ई-लाइफ में प्रकाशित एक नए अध्ययन का सुझाव है कि वनीकरण से जुड़ी परियोजनाओं में पेड़ों की विभिन्न प्रजातियों को शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही नए वनों की बेहतरी और उनकी उत्पादकता को अधिकतम करने के लिए प्रत्येक प्रजाति के भीतर आनुवांशिक विविधता भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

निष्कर्ष बताते हैं कि एक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए जंगल में पेड़ों के संयोजन का निर्धारण करते समय पेड़ों और अन्य जीवों के बीच मौजूद जटिल संबंधों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए।

देखा जाए तो विविधता स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र के लिए बहुत जरूरी है। जिन जंगलों में अलग-अलग प्रजातियों के पेड़ों की प्रचुरता होती है वो कहीं ज्यादा उत्पादक होते हैं, क्योंकि वे संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग प्रजातियां एक दूसरे की कमियों को पूरा कर देती हैं। उनके पास अलग-अलग इष्टतम भौतिक और पर्यावरणीय परिस्थितियां होती हैं। ऐसे में वो एक दूसरे के साथ बहुत कम प्रतिस्पर्धा करती हैं।

जंगलों के लिए कैसे फायदेमंद हैं पेड़ों की प्रजातियां

साथ ही एक साथ पेड़ों की कई प्रजातियां होने से शाकाहारी जीवों और मिट्टी के कवकों के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं, जो पेड़ों के पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। वहीं कुछ अन्य शोधों से पता चला है कि पेड़ों की एक प्रजाति के भीतर मौजूद आनुवांशिक विविधता भी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए फायदेमंद है।

रिसर्च से पता चला है कि जिन जंगलों में पेड़ों की कई प्रजातियां उगाई गई थी वो पेड़ों की एकल प्रजाति यानी मोनोकल्चर वाले वनों की तुलना में कहीं ज्यादा उत्पादक थे। इसी तरह जिन जंगलों में पेड़ों की चार अलग-अलग प्रजातियां थी, वहां पेड़ों की एकल प्रजाति वाले वनों की तुलना में मृदा कवकों की विविधता कम थी। मतलब की पेड़ों की विविधता वाले इन वनों में संसाधनों के लिए पेड़ों और कवक के बीच प्रतिस्पर्धा कम हो गई थी। इसी तरह विविधता से भरपूर इन जंगलों में शाकाहारी जीवों का दबाव भी तुलनात्मक रूप से कम था।

हालांकि शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन में उस वन क्षेत्र में कवक की विविधता और शाकाहारी जीवों के दबाव में कमी को दर्ज नहीं किया था, जहां चार अलग-अलग जेनेटिक पृष्ठभूमि वाले पेड़ की एक प्रजाति थी। वहीं दूसरी तरफ जिन जंगलों में पेड़ों की चार अलग-अलग प्रजातियां एक साथ थी वहां उसके चलते कवकों की विविधता और शाकाहारी जीवों के दबाव में सकारात्मक प्रभाव देखा गया था।

इस बारे में शोधकर्ता टिंग तांग का कहना है कि पेड़ों की प्रजातियां और उनमें आनुवांशिक विविधता वन उत्पादकता में वृद्धि करती हैं। इसके लिए वो संसाधनों के उपयोग को अधिकतम करके पेड़ों की क्षमता को बढ़ाती हैं। साथ ही इनकी वजह से शाकाहारी जीवों के कारण वनों को होने वाले नुकसान में कमी आती है।

निष्कर्ष बताते हैं कि ज्यादा प्रजातियां और आनुवांशिक विविधता पेड़ों के प्रतिस्पर्धियों की संख्या और विविधता को कम करने में मदद कर सकती है। उदाहरण के लिए जब पेड़ों को शाकाहारी जीवों द्वारा निशाना बनाया जाता है तो पेड़ अपनी सुरक्षा के लिए एक यौगिक का उत्पादन करती हैं। इसी तरह कवक, पेड़ों से पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। लेकिन यदि पेड़ों में विविधता हो तो वो इन सबसे बच सकते हैं।

वहीं इस बारे में चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर जिआओजुआन लियू का कहना है कि पुनर्वनीकरण से जुड़ी परियोजनाएं वातावरण में मौजूद कार्बन के स्तर को कम करने के साथ देशों को वनों से प्राप्त होने वाले लाभों को हासिल करने में मददगार होती हैं। ऐसे में वन बहाली के लिए किए जा रहे इन प्रयासों में पेड़ों की कई प्रजातियों के साथ इनमें मौजूद आनुवांशिक विविधता पूरे जंगल के साथ इंसानों के लिए भी कई तरह से फायदेमंद हो सकती है।

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