बैलाडीला खदान: फिर से आंदोलन की तैयारी में हैं आदिवासी

बैलाडीला खदान को अडानी को सौंपे जाने के मामले की जांच रिपोर्ट न मिलने के कारण आदिवासी संगठनों ने एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी दी है 

On: Monday 09 December 2019
 
बैलाडीला खदान का ठेका अडानी एंटरप्राइजेज को दिए जाने के विरोध में आदिवासियों के प्रदर्शन का फाइल फोटो: मंगलम कुंजुम

मंगल कुंजाम 

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित बैलाडिला पर्वत की 13 नंबर खदान के खनन का ठेका अडानी समूह को कैसे सौंपा गया? इसकी जांच रिपोर्ट अब तक आदिवासियों को नहीं मिली है। इससे नाराज आदिवासियों ने एक बार फिर आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है।

8 दिसंबर 2019 को किरंदुल बस्तर भवन में आदिवासी संगठनों की संयुक्त पंचायत का आयोजन किया गया। बैठक में इस बात पर रोष जताया गया कि छत्तीसगढ़ सरकार उन्हें यह नहीं बता रही है कि जांच रिपोर्ट में क्या निकला है? इस सिलसिले में 10 दिसंबर को संयुक्त पंचायत का एक प्रतिनिधिमंडल दंतेवाड़ा के कलेक्टर से मिलेंगे और उनसे यह जानकारी मांगी जाएगी कि 13 नंबर खदान को लेकर चल रही जांच का क्या हुआ? यदि इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई तो एक बार फिर आदिवासी संगठन अपना जंगल-जमीन बचाने के लिए आंदोलन शुरू कर देंगे।

बैठक को संबोधित करते हुए सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष सुरेश कर्मा ने कहा कि हिरोली ग्राम पंचायत की फर्जी ग्राम सभा दिखा कर खदान नंबर 13 को अडानी समूह को लीज दिया गया था। इसके खिलाफ 6 जून से 13 जून तक 8 दिन का आंदोलन किया गया। तब छत्तीसगढ़ सरकार ने आश्वासन दिया था कि वह ग्राम सभा की कार्यवाही की जांच कराएगी और जो भी लोग दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। उस समय सरकार ने अडानी समूह के साथ समझौते को रद्द करने का आश्वासन दिया था, लेकिन छह माह बाद भी अब तक जांच रिपोर्ट का पता नहीं चल पाया है।

इस बैठक में सयुक्त पंचायत के अध्यक्ष नंद कुंजाम, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम, आदिवासी नेता सोनी सोरी, जनपद के सदस्य राजू भास्कर आदि शामिल थे।

गौरतलब है छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग के दंतेवाडा जिला लौह अयस्क का भण्डार हैI इनमें से एक नंदराज पहाड़ पर स्थित एनएमडीसी की डिपाजिट -13 नंबर खदान अदानी को दिए जाने के खिलाफ आदिवासियों ने मोर्चा खोल दिया था।

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