सोच समझकर देनी चाहिए गंगा नदी बेसिन में उद्योगों को मंजूरी: रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Monday 01 August 2022
 

गंगा नदी बेसिन में किसी भी ऐसी इकाई की स्थापना से पहले जिससे जल प्रदूषण होने की सम्भावना है उसे अनुमति देने से पहले उसके सभी पहलुओं पर विचार और मूल्यांकन करना जरुरी है। इसके साथ ही औद्योगिक क्षेत्रों विशेष रूप से कानपुर-उन्नाव बेल्ट की क्षमता पर भी विचार किया जाना चाहिए।

साथ ही रिपोर्ट का कहना है कि इस क्षेत्र में सभी परियोजनाओं के अनिवार्य रूप से पर्यावरणीय प्रभाव आकलन और लागत लाभ विश्लेषण के बात ही पर्यावरण मंजूरी देनी चाहिए। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट 30 जुलाई, 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दायर की गई थी।

जल प्रदूषण के मामले में एमिकस क्यूरी द्वारा दायर इस रिपोर्ट का कहना है कि भूजल प्रदूषण और लवणता से पीड़ित क्षेत्रों में, कोई नया निर्माण या विकास गतिविधियों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और उन क्षेत्रों में वाटर हार्वेस्टिंग कार्यक्रमों के साथ बहाली का भी काम शुरू किया जाना चाहिए। मामला उत्तरप्रदेश के जाजमऊ में चमड़ा उद्योग और रानिया, कानपुर देहात के साथ राखी मंडी में होते जल प्रदूषण से जुड़ा है।

ओलिव रिडले कछुओं के लिए खतरा नहीं कालीवेली एस्चुएरी में मछली पकड़ने के बंदरगाह: रिपोर्ट

तमिलनाडु के फिशिंग हार्बर प्रोजेक्ट डिवीजन के मत्स्य पालन विभाग ने कालीवेली बैकवाटर्स में घाटों के निर्माण से पर्यावरण पर पड़ते प्रभाव पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कालीवेली एस्चुएरी में मछली पकड़ने के बंदरगाह ओलिव रिडले कछुओं के लिए खतरा नहीं हैं।

रिपोर्ट से पता चला है कि कालीवेली बैकवाटर में ओलिव रिडले घोंसले के शिकार स्थलों से नावों को इस घाट पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इस तरह 1.48 किमी तटीय पट्टी और 17,164 वर्ग मीटर क्षेत्र इन कछुओं की मुक्त आवाजाही के लिए उपलब्ध होगा जिससे यह अपने घोसलों से समुद्र की ओर जा सकेंगें।

रिपोर्ट का कहना है कि कालीवेली में इस मछली पकड़ने के घाट के निर्माण से ओलिव रिडले कछुओं के घोसलों के क्षेत्र में आनुपातिक रूप से वृद्धि होगी। पता चला है कि चूंकि विल्लुपुरम जिले में कोई मछली पकड़ने का घाट नहीं है, इसलिए सभी मशीन आधारित मछली पकड़ने वाले जहाजों (एमएफवी) को समुद्र के किनारे से लगभग 300-400 मीटर की दूरी पर आंतरिक समुद्र से संचालित किया जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कालीवेली में मछली पकड़ने के घाट के निर्माण से 32 एमएफवी, 177 गैर-मोटर चालित और 1,363 मोटर चालित गैर-यांत्रिक नौकाओं की सुरक्षित बर्थिंग में मदद मिलेगी। 

 

एक महीने में जलाशयों पर होते अतिक्रमण को रोकने  के लिए जरुरी कदम उठाए जिला मजिस्ट्रेट: एनजीटी

एनजीटी की पूर्वी क्षेत्र खंडपीठ ने पूर्व बर्धमान के जिला मजिस्ट्रेट को जलाशयों पर होते अतिक्रमण को हटाने के लिए एक महीने का समय दिया है। मामला पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्धमान जिले के मौजा बैद्यदांगा में रसूलपुर के मेमारी -1 ब्लॉक का है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 01 जुलाई, 2022 को दिए अपने फैसले में कहा है कि इस क्षेत्र में जलस्रोतों को अपने मूल रूप में बहाल किया जाना चाहिए और जलकुम्भी को हटाने के लिए जरुरी कदम उठाए जाने चाहिए।

गौरतलब है कि रसूलपुर दाना वेलफेयर सोसाइटी ने 16 नवंबर, 2021 को एनजीटी के समक्ष आवेदन दायर किया था जिसमें उन्होंने कचरे के ढेर में बदलते दो तालाबों और उन्हें नष्ट करने के लिए किए जा रहे अवैध निर्माण के खिलाफ कोर्ट में आवेदन दायर किया था।

Subscribe to our daily hindi newsletter