पिछले 10 वर्षों में भारतीय हवाई अड्डों से की गई 70 हजार से ज्यादा देशी-विदेशी जंगली जीवों की तस्करी

जब्त किए गए कुल जीवों में करीब 46 फीसदी सरीसृप थे। वहीं स्तनधारी जीवों की संख्या 18 फीसदी, और समुद्री जीवों का आंकड़ा करीब 10 फीसदी था

By Lalit Maurya

On: Monday 04 April 2022
 

2011 से 2020 के बीच देश 18 के हवाई अड्डों के माध्यम से करीब 70,000 से अधिक देशी-विदेशी जंगली जीवों की तस्करी की गई थी। इस तस्करी में उन जीवों के अंगों से लेकर उनसे बनाए उत्पाद शामिल थे। इनका कुल वजन 4,000 किलोग्राम से ज्यादा था। यह जानकारी द वाइल्डलाइफ ट्रेड मॉनिटरिंग नेटवर्क ट्रैफिक द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट ‘हाई फ्लाइंग: इनसाइट इंटो वाइल्डलाइफ ट्रैफ़िकिंग थ्रो इंडियन एयरपोर्ट्स’ में सामने आई है।

इतना ही रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इन 10 वर्षों में वन्यजीवों की जब्ती की कुल 140 घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से जब्त की गई कई प्रजातियां पहले ही आईयूसीएन रेड लिस्ट की संकट ग्रस्त प्रजातियों की सूची में शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक कई प्रजातियों को सीआईटीईएस में भी सूचीबद्ध किया गया है, जोकि वन्यजीवों और वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को रोकने के लिए देशों के बीच एक अंतराष्ट्रीय समझौता है। इसका मकसद इन प्रजातियों में आती गिरावट को रोकने के लिए व्यापार को विनियमित करना है।

2011 से 2020 के बीच जब्त की गई देशी प्रजातियों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीय स्टार कछुओं की थी। जिन्हें पहले ही आईयूसीएन की रेड लिस्ट में सूचीबद्ध किया गया है। इस तरह की प्रजातियों का व्यापार प्रतिबंधित है इसके बावजूद इनकी बढ़ती तस्करी स्पष्ट रूप से सीआईटीईएस के नियमों की अवहेलना है।

इसके बाद जब्त किए गए वन्यजीवों में ब्लैक पॉन्ड टर्टल शामिल हैं। वहीं पकड़ी गई विदेशी प्रजातियों की बात की जाए तो इनमें सबसे बड़ी संख्या लाल कानों वाले स्लाइडर कछुओं की थी, इसके बाद तालाब में मिलने वाले चीनी कछुओं मौरेमिस रीवेसी का नंबर आता है। इतना ही नहीं इनमें  इगुआना, अजगर, मकड़ी, मार्मोसेट, टैमरिन मंकी जैसे जीव भी शामिल थे। 

जब्त की गई सबसे ज्यादा प्रजातियों में सरीसृप की 46 फीसदी थी हिस्सेदारी

वहीं यदि जब्त की गई कुल प्रजातियों के समूह को देखें तो उनमें सबसे ज्यादा करीब 46 फीसदी सरीसृप थे। इसके बाद स्तनधारी जीवों की संख्या 18 फीसदी, लकड़ी 13 फीसदी और समुद्री जीवों की करीब 10 फीसदी प्रजातियां शामिल थी। 

रिपोर्ट के मुताबिक देश में तमिलनाडु के चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सबसे ज्यादा (कुल मामलों का करीब 36.1 फीसदी) वन्यजीवों की जब्ती की घटनाएं इन 10 वर्षों में सामने आई थी। इसके बाद मुंबई के छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (14.8 फीसदी) और दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे का नंबर आता है, जहां कुल 11.3 फीसद जब्ती की गई थी। 

गौरतलब है कि देश में इन वन्यजीवों के अवैध शिकार, व्यापार और शोषण को रोकने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 बनाया गया था, इसके बावजूद इसका होना एक बड़ी चिंता का विषय है। 

यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि इन हवाई अड्डों के माध्यम से बड़े पैमाने पर वन्यजीवों की तस्करी का खेल चल रहा है। हालांकि यह भी कहा गया है कि रिपोर्ट देश में होती वन्यजीवों की तस्करी की घटनाओं का दर्शाता है लेकिन इसके वास्तविक आंकड़ें इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि इस तरह के अधिकांश मामले सामने ही नहीं आते हैं। ऐसे में इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाने जरुरी हैं क्योंकि वन्यजीवों का यह बढ़ता अवैध व्यापार उनके संरक्षण के लिए बड़ा खतरा है।    

Subscribe to our daily hindi newsletter