अभी भी अस्तित्व में है 112 साल पहले विलुप्त हो चुका गैलापागोस का विशालकाय कछुआ

2019 के दौरान मिली यह मादा वास्तव में कछुओं की चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस प्रजाति का ही हिस्सा है, जिन्हें फर्नांडीना विशाल कछुओं के रूप में जाना जाता है

By Lalit Maurya

On: Thursday 27 May 2021
 
2019 में मिली चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस प्रजाति की मादा 'फर्न'; फोटो: गैलापागोस कन्सर्वेंसी

गैलापागोस द्वीप समूह में पाए जाने वाले जिस विशालकाय कछुए के बारे में माना जा रहा था कि वो विलुप्त हो चुका है, उसके बारे में गैलापागोस कन्ज़र्वेंसी ने जानकारी दी है कि वो जीव अभी भी अस्तित्व में है, जिसकी पुष्टि इक्वेडोर ने भी की है|

इस मादा कछुए को दो साल पहले गैलापागोस नेशनल पार्क और गैलापागोस कंजरवेंसी के द्वारा किए एक संयुक्त अभियान में ढूंढा गया था| यह 2019 में इस द्वीपसमूह के सबसे छोटे और प्राचीन द्वीप फर्नांडीना पर मिली थी| इसे वैज्ञानिकों ने फर्न नाम दिया था|

वैज्ञानिकों ने आनुवंशिक परीक्षण के माध्यम से इस बात की पुष्टि की है कि गैलापागोस के फर्नांडीना द्वीप में 2019 के दौरान मिली यह इकलौती मादा वास्तव में चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस प्रजाति का ही हिस्सा है, जिसे फर्नांडीना विशाल कछुओं के रूप में जाना जाता है। गौरतलब है कि इससे पहले कछुए की इस विशाल प्रजाति के जीव को 1906 में मृत पाया गया था, जोकि एक नर कछुआ था|

इसकी खोज कैलिफोर्निया एकेडमी ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिक द्वारा की गई थी जो गैलापागोस द्वीप समूह पर मौजूद वनस्पतियों और जीवों का व्यापक सर्वेक्षण करने के लिए गए थे। जिसके नमूनों को एकेडेमी के पशु विज्ञान विभाग में ले जाया गया था और उसके अवशेषों को वहीं रख दिया गया था|  

येल विश्वविद्यालय के आनुवंशिकीविदों द्वारा 2019 में मिली मादा से लिए गए डीएनए के नमूनों की तुलना 1906 में मिले नर के नमूनों से की है| जिसके बाद उन्होंने इस बात की पुष्टि कर दी है कि यह दोनों ही कछुए एक ही प्रजाति चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस से सम्बन्ध रखते हैं| 

गौरतलब है कि गैलापागोस द्वीप समूह इक्वाडोर के अधिकार क्षेत्र में आता है| वहां के पर्यावरण मंत्री गुस्तावो मैनरिक ने इस बात पर खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया है कि "ऐसा माना जाता है कि यह कछुआ 100 साल पहले विलुप्त हो गया था, आशा है कि यह अभी भी जिन्दा है|"   

2019 में मिली यह मादा फर्नांडीना कछुए की उम्र 100 वर्ष से ज्यादा है| यह अभी सांताक्रूज द्वीप पर एक प्रजनन केंद्र में है। इस द्वीप पर मिले निशानों और मल से संकेत मिले हैं कि वहां इस प्रजाति के और भी कछुए हो सकते हैं, जिन्हें ढूंढने की गैलापागोस नेशनल पार्क द्वारा कोशिश की जा रही है| जिससे कछुओं की इस विशालकाय प्रजाति को विलुप्त होने से बचाया जा सके|

इससे पहले 2012 में इस द्वीप समूह पर कछुओं की एक अन्य विशालकाय प्रजाति पिंटा विशालकाय कछुओं का अंत हो गया था, जब इस प्रजाति के इकलौते जीव लोनसम जॉर्ज की मृत्यु हो गई थी| गैलापागोस कन्सर्वेंसी के अनुसार कभी यह द्वीप समूह 2 से 3 लाख विशालकाय कछुओं का घर था जहां अब इनकी आबादी केवल 20 से 25 हजार ही बची है|

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