बंदरों को खाना देकर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं हम: स्टडी

एक अध्ययन में पाया गया है कि वन्यजीवों को खिलाने से उनके समुदायों का सामाजिक जीवन प्रभावित हो सकता है

By Dayanidhi

On: Wednesday 11 March 2020
 
Photo: Vikas Choudhary

जॉर्जिया विश्वविद्यालय और सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि वन्यजीवों को खाना खिलाने की प्रथा उनके समुदायों के लिए हानिकारक हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि वन्यजीवों को खिलाने से उनके समुदायों का सामाजिक जीवन प्रभावित हो सकता है। शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन पूर्वी इंडोनेशिया में सुलेमेसी द्वीप पर जंगल से गुजरने वाली एक सड़क के किनारे नर मकाक समूह के बंदरों के व्यवहार पर किया है। यह अध्ययन नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है।

बंदर सुलेमेसी की व्यस्त सड़क पर जमा होते है तथा वहां से गुजरने वाले मोटर चालकों द्वारा दिए गए खाने को खाते हैं। शोधकर्ताओं ने जानना चाहा कि किन कारणों से कुछ बंदर लोगों के साथ घुल-मिल रहे है, इसका उनके समूह पर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है।

विशेष रूप से शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि क्या कुछ बंदरों द्वारा सड़क पर बिताया गया समय उनके सामाजिक रिश्तों को प्रभावित करता है और उनके फैसले लेने की भूमिका किस तरह बदलती है?

यूजीए के मानव विज्ञान में डॉक्टरेट छात्र क्रिस्टन मॉरो और प्रमुख अध्ययनकर्ता ने कहा कि यह एक पुरानी कहावत है, 'अगर आपके दोस्त एक चट्टान से कूद जाए, तो क्या आप भी ऐसा करेंगे?'। हां, इंसानों से बंदरों को ईनाम के रूप में खाना मिल रहा है, लेकिन इस तरह का व्यवहार खतरों से भरा हो सकता है और इस तरह के जंगली बंदर आम तौर पर इंसानों के आसपास बहुत सतर्क रहते हैं। इसलिए, हम जानना चाहते थे कि यह व्यवहार उनके समुदाय को कैसे प्रभावित करता है।

सामान्य तौर पर शोधकर्ताओं ने पाया कि नर मकाक समूह के बंदर लोगों के करीब पहुंचने का खतरा अधिक उठाते है, जो उन्हें रोटी, फल, आलू के चिप्स और अन्य खाने की चीजें देते हैं।

जिस समय बंदर सड़क पर थे, उनके अपने समुदाय के बीच सामाजिक संबंध कम पाए गए। मॉरो ने कहा कि यह बदलाव सकारात्मक बातचीत के अवसरों को कम कर सकता है, जैसे कि बंदरों का एक दूसरे को संवारना या एक-दूसरे को सहलाना आदि। ये व्यवहार महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये सामाजिक शिक्षा और संबंध निर्माण की नींव के रूप में काम करता हैं, जो एक मजबूत, सामंजस्यपूर्ण समुदाय का नेतृत्व करते हैं।

अध्ययन के अनुसार, इन सामाजिक बंधनों का टूटना बंदरों के स्वास्थ्य, जीवन काल, प्रजनन स्वास्थ्य और शिशु अस्तित्व के लिए हानिकारक हो सकता है।

कुल मिलाकर, मकाक अपना लगभग 20 फीसदी समय सड़क पर और 80 फीसदी जंगल में बिताते थे। लेकिन सड़क के साथ उनका व्यवहार अक्सर जंगल में उनके व्यवहार के विपरीत था, जहां वे अपना अधिकांश समय जंगली फल-फूल खाने और व्यस्त सड़क मार्ग के शोर-शराबे से दूर रहने में व्यतीत करते थे।

शोधकर्ताओं ने सप्ताह में छह दिन तक रोजाना छह घंटे आंकड़े एकत्र किए। हर 30 मिनट में, शोधकर्ता समूह की बारीकी से जांच की और प्रत्येक मकाक के स्थान और उनके व्यवहार को रिकॉर्ड किया, जिसमें उनके आराम करने, खाना खाने, खेलना शामिल था।

उन्होंने लगभग 565 घंटों तक समूह का अध्ययन किया, जिसके दौरान उन्होंने बंदरों के 1,200 से अधिक बारीकी से जांच किए गए नमूने लिए। नमूनों के विश्लेषण से पता चला कि बंदरों के अपने समुदाय के बीच सामाजिक संबंध बहुत कम पाए गए, तथा उनमें एक दूसरे के प्रति अधिक आक्रामकता दिखाई दी।  

शोधकर्ताओं ने कहा हालांकि यह अध्ययन हमें मकाक के समुदायों के साथ मानव संबंधों के प्रभावों के बारे में बहुत कुछ बताता है। वन्यजीवों के प्रभावी संरक्षण के लिए उन पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों को समझने की आवश्यकता है।

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