भारत के लिए यह साल कई कारणों से अहम रहा। यह साल ऐसी कई घटनाओं का गवाह बना जिसका असर आगे भी दिखाई देगा। इन्हीं घटनाओं पर दस सवाल...
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) क्यों होगा अहम?
भारत में एक जुलाई से जीएसटी प्रणाली लागू हुई। आजादी के बाद पहली बार कर व्यवस्था में इतना बड़ा बदलाव किया गया। सरकार ने एकल कर व्यवस्था को लागू करने की पूर्व संध्या पर संसद में भव्य समारोह आयोजित किया। इसकी तुलना दूसरी आजादी से की गई। वक्त गुजरने के साथ जीएसटी का विरोध होने लगा। विरोध का यह दायरा भारत के कई हिस्सों में फैल चुका है। गुजरात में विधानसभा चुनाव में जीएसटी का मुद्दा काफी गरम है। आने वाले दिनों में भी जीएसटी भारतीय राजनीति को प्रभावित करता रहेगा।
किसानों का आंदोलन किस करवट बैठेगा?
इस साल जून में मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों का उग्र आंदोलन हुआ। किसान कर्ज माफी और फसलों के उचित दाम की मांग कर रहे थे। किसानों पर गोलियां चलाने और 6 किसानों की मौत के बाद आंदोलन उग्र हो गया। आंदोलन का दायरा भी महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में फैल गया। सरकारों ने किसानों को राहत देने के लिए कर्जमाफी जैसे फौरी कदम उठाए। देशभर के किसानों का आंदोलन अब भी दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रहा है। आने वाले दिनों में किसान आंदोलन और गर्माने के आसार हैं।
आधार की अनिवार्यता कितनी जरूरी?
सरकारी योजनाओं का लाभ लेने और आयकर रिटर्न आदि में आधार को जरूरी करने के फैसले काफी विवादित रहे। टीबी कार्यक्रम के तहत आर्थिक लाभ और मिड डे मील के लिए आधार जरूरी कर दिया गया। जन वितरण प्रणाली में इसे लागू किया गया है। आधार की अनिवार्यता ने निजता के अधिकार पर बहस छेड़ दी। उच्चतम न्यायालय ने इसे मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी। दूसरे कई देश आधार जैसी योजनाओं को नकार चुके हैं। यह विवादित मुद्दा आगे भी बरकरार रहेगा।
दिल्ली-एनसीआर क्यों बना गैस चैंबर?
राजधानी और इसके आसपास के इलाके नवंबर में जहरीली हवा से जूझते रहे। हवा गुणवत्ता सूचकांक कई दिन तक बेहद गंभीर स्तर पर बना रहा। पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं ने हवा को और खराब कर दिया। अगर वायु प्रदूषण को रोकने के सख्त कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में भी यह चर्चा के केंद्र में रहेगा।
जलवायु परिवर्तन की कीमत?
भारत में सूखे इलाकों में बाढ़ के हालात और अक्सर पानी से सराबोर रहने वाले क्षेत्रों में सूखे की स्थितियों को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखा गया। राजस्थान में इस साल भारी बारिश हुई जबकि विदर्भ और मराठवाडा में सूखे के हालात रहे। बिहार, असम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में बाढ़ के कारण हजारों लोगों को मौत हुई और फसलों व मवेशियों को नुकसान पहुंचा। भारत 21 से अधिक अतिशय बारिश की घटनाओं का गवाह बना। पर्यावरणविद इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। आगे भी यह वैश्विक समस्या परेशान करेगी।
थमेगा दिमागी बुखार से मौत का सिलसिला?
गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी रहा। एक लापरवाही की वजह से 10-11 अगस्त को ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से 23 बच्चों की मौत हो गई। सीएजी रिपोर्ट भी अस्पताल में गड़बड़ियां उजागर कर चुकी है। आने वाले समय में बच्चों की मौत नहीं होगी, इसकी उम्मीद कम है।
जानलेवा वीडियो गेम कितने खतरनाक?
इस साल ब्लू व्हेल वीडियो गेम ने कई बच्चों की जान ली। मुंबई में एक बच्चे के बिल्डिंग से कूदकर जान देने की घटना ने देशभर का ध्यान इस जानलेवा खेल की तरफ खींचा। मध्य प्रदेश के दमोह में एक बच्चा ट्रेन से कटकर मर गया। देश के कई हिस्सों में बच्चों के जान देने की घटनाएं सामने आईं। ऐसे घातक वीडियो गेम आगे भी खतरा बने रहेंगे।
सरदार सरोवर बांध का विरोध क्या थमेगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में अपने जन्मदिन के मौके पर सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन कर दिया। 65 हजार करोड़ रुपए की लागत से यह बांध 56 साल में बनकर तैयार हुआ। इस बांध का नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर शुरू से विरोध कर रही थीं। उचित मुआवजे और पुनर्वास की मांग को लेकर विरोध अब भी जारी है। आगे भी इसके थमने की उम्मीद कम है।
मांस के कारोबार पर अंकुश कितना सही?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 मार्च को अवैध बूचडखानों को बंद करने का आदेश दिया तो बवाल मच गया। इस पूरी कवायद को गायों के संरक्षण के तौर पर देखा गया। पक्ष और विपक्ष में दो धड़े बंट गए। गौ तस्करी के आरोप में कई राज्यों में एक खास समुदाय के लोगों की हत्याएं तक कर दी गईं। यह मुद्दा आगे भी गरम रहेगा।
स्वच्छता अभियान किस दिशा गया?
इस साल केंद्र सरकार ने स्वच्छता अभियान और खुले में शौच से मुक्ति के लिए अभियान को आक्रामक कर दिया। राजस्थान के प्रतापगढ़ में नगर परिषद के कर्मचारियों पर आरोप लगा कि उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता की पीट पीटकर हत्या कर दी। कई जगह लोगों को जबर्दस्ती अभियान से जोड़ने की घटनाएं सामने आईं। इन तमाम कवायदों ने अभियान की कामयाबी पर सवाल खड़े किए।
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