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जन्नत से उतरा एक फल

मनुष्यों द्वारा सबसे पहले उगाए गए फलों में से एक अंजीर अपने स्वाद के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है

 
By Chaitanya Chandan
Published: Friday 15 March 2019
अंजीर की खीर (विकास चौधरी / सीएसई)

कुछ दिन पहले दिल्ली के ओखला स्थित फल मंडी गया, तो वहां प्लास्टिक के छोटे-छोटे पारदर्शी डब्बों में बड़े गूलर के आकार के फल बिकते देखा। पूछने पर फल विक्रेता ने बताया कि यह वही अंजीर है, जिसे सुखाकर मेवे की तरह उपयोग किया जाता है। मैंने उससे पूछा कि क्या इसे बिना सुखाए भी खाया जा सकता है, तो उसका जवाब हां था। मैंने ताजे अंजीर के दो डब्बे खरीद लिए।

अंजीर गूलर प्रजाति का एक स्वादिष्ट फल है, जिसे अंग्रेजी में फिग के नाम से जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम “फीकस कारिका” है। अंजीर के पेड़ कम पोषक तत्वों वाली मिट्टी में भी उगाए जा सकते हैं और सूखा प्रवण क्षेत्र में भी आसानी से पनप सकते हैं। अंजीर अपने स्वादिष्ट फल के लिए दुनियाभर में मशहूर है। इसको ताजा खाया जा सकता है अथवा सुखाकर बाद में इस्तेमाल करने के लिए रखा जा सकता है। ताजे और सूखे अंजीर से अनेक प्रकार के व्यंजन भी बनाए जाते हैं। अंजीर के पेड़ों में फल अमूमन अगस्त से अक्टूबर के बीच लगते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि अंजीर के पेड़ों पर फूल नहीं लगते, सीधे फल ही लगते हैं।

अंजीर उन फलों में से एक है, जिसके पेड़ों को मनुष्यों ने सबसे पहले उगाया था। वर्ष 2006 में साइंस नामक जर्नल में “अर्ली डोमेस्टिकेटेड फिग इन जॉर्डन वैली” शीर्षक से प्रकाशित एक शोध के अनुसार, जॉर्डन वैली में स्थित प्रारंभिक नवपाषाण कालीन गांव “गिगल 1” में 11,200-11,400 वर्ष पुराने अंजीर के नौ जीवाश्म पाए गए हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि अंजीर को गेहूं और बार्ली से भी पहले उगाना शुरू कर दिया गया था। वर्ष 2014 में प्रकाशित पुस्तक “द लगून: हाउ एरिस्टोटल डिस्कवर्ड साइंस” के अनुसार, प्राचीन ग्रीस में अंजीर बड़े पैमाने पर उगाया जाता था। अरस्तू ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि जानवरों की तरह ही अंजीर के पेड़ों में भी लैंगिक भिन्नता पाई जाती है। इसका अर्थ यह है कि अंजीर के पेड़ दो तरह के होते हैं- पहला, जिस पर फल लगते हैं और दूसरा, जो पहले प्रकार के पेड़ पर फल लगने में मदद करते हैं।

वर्ष 1903 में प्रकाशित पुस्तक “द स्म्यर्ना फिग: ऐट होम एंड अब्रॉड” के अनुसार, संत जुनिपेरो सेरा के नेतृत्व में स्पेन के मिशनरी वर्ष 1769 में अंजीर के पौधे कैलिफोर्निया लेकर आए थे। 19वीं सदी के अंत तक इस बात की पुष्टि हो गई थी कि कैलिफोर्निया की जलवायु अंजीर उत्पादन के लिए बिल्कुल मुफीद है। इसलिए कैलिफोर्निया में इसके व्यावसायिक उत्पादन के प्रयास वर्ष 1880 में शुरू कर दिए गए थे। शुरुआत में एक प्रयोग के तौर पर सैन फ्रांसिस्को बुलेटिन कंपनी ने अपने 14,000 ग्राहकों को अंजीर के पौधे वितरित किए। हालांकि इनमें किसी भी पेड़ में फल नहीं लगा। इसका कारण परागण के लिए जरूरी कीट का कैलिफोर्निया में उपलब्ध नहीं होना बताया गया। हालांकि कुछ असफल प्रयासों के बाद वर्ष 1899 में कैलिफोर्निया ने जंगली अंजीर के पौधे और परागण के लिए जरूरी कीट “फिग वास्प” को आयात किया, जो अंजीर उत्पादन में सफल प्रयास साबित हुआ। इसी का नतीजा था कि कुछ ही वर्षों में कैलिफोर्निया अंजीर उत्पादन में अग्रणी देश बनकर उभरा।

सांस्कृतिक महत्व

बाइबिल के शुरुआती अध्याय में भी अंजीर का जिक्र मिलता है। बाइबिल में वर्णित एक घटना के अनुसार, आदम और हव्वा ने जब ज्ञान वृक्ष के फल को खाया, तो इसके बाद उनमें शर्म की अनुभूति ने जन्म लिया। जिसके कारण उन्होंने अपने अंगों को अंजीर के पत्तों से ढंक लिया था। यही वजह है कि प्राचीन नग्न कलाकृतियों में जननांगों को अंजीर के पत्तों से ढंका दिखाया जाता रहा है। इसका सबसे बेहतर उदाहरण इटली के चित्रकार मसाच्चो की पेंटिंग “द एक्स्पल्सन फ्रॉम द गार्डन ऑफ ईडन” है।

कुरान में अंजीर को जन्नत से उतरा पेड़ बताया गया है। इस्लामिक ऑनलाइन नामक पोर्टल पर वर्ष 2000 में प्रकाशित एक आलेख “फूड्स ऑफ द प्रोफेट” के अनुसार, कुरान के सूरा 95 का शीर्षक अल-तिन है, जिसका अर्थ अंजीर होता है। कुरान में अंजीर के बारे में पैगम्बर मुहम्मद साहब कहते हैं, “यदि मुझे किसी ऐसे फल के बारे में बताना हो, जो कि जन्नत से उतरा हो, तो मैं अंजीर का नाम लूंगा, क्योंकि इस स्वर्गिक फल में कोई गुठली नहीं होती और यह फल बवासीर और गठिया जैसे रोगों से भी बचाता है।”

ग्रीक मान्यता के अनुसार, एक बार रोशनी के देवता अपोलो ने एक कौवे को नदी से पानी लाने के लिए भेजा। कौवा जब नदी के किनारे पहुंचा, तो उसने वहां एक अंजीर का पेड़ देखा। लालचवश कौवा वहीं अंजीर के पकने का इंतजार करने लगा, यह जानते हुए भी कि देरी होने पर देवता नाराज होंगे। जब अंजीर पक गए, तो कौवा उसे खाने के बाद पानी के साथ एक सांप को भी पकड़कर देवता के पास ले गया, जिससे कि देरी का जिम्मेदार उस सांप को ठहराया जा सके। लेकिन देवता ने उसकी धूर्तता को भांप लिया और पानी के कटोरे, सांप और कौवे को आकाश में फेंक दिया। इससे हाइड्रा, क्रेटर और कोर्वस नमक नक्षत्र का निर्माण हुआ।

औषधीय गुण

अंजीर कई पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जिसके नियमित सेवन से इंसान न सिर्फ स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि यह कई प्रकार की बीमारियों के उपचार में भी कारगर है। अंजीर में विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फोस्फोरस, पोटाशियम, सोडियम और जिंक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो मानव शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। अंजीर के औषधीय गुणों की पुष्टि वैज्ञानिक शोधों ने भी की है।

वर्ष 2007 में इंडियन ड्रग्स नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अंजीर के पत्ते का रस क्षय रोग के उपचार में कारगर है। वहीं, प्लांट साइंसेस नामक जर्नल में वर्ष 2005 में प्रकाशित एक शोध बताता है कि अंजीर का सेवन कैंसर के कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकता है। वर्ष 2008 में फूड केमिस्ट्री जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अंजीर में प्रचुर मात्रा में वसा रहित फाइबर पाया जाता है, जो ह्रदय संबंधी रोगों से बचाता है। जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल एंड फूड केमिस्ट्री जर्नल में वर्ष 2006 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अंजीर का सेवन यकृत और तिल्ली से संबंधित रोगों के उपचार में कारगर है।

व्यंजन

अंजीर की खीर

सामग्री
  • ताजा अंजीर : 1 कप
  • सूजी: 1/4 कप
  • मावा: 1/2 कप
  • चीनी: 1 कप
  • घी: 2 बड़ा चम्मच
  • दूध: 1 लीटर
  • केसर: 1/4 छोटा चम्मच
  • इलाइची पाउडर: 1/4 छोटा चम्मच
  • बादाम, पिस्ता, काजू : 10-10 नग

विधि: बादाम, काजू और पिस्ता को गरम पानी में भिगोकर पांच मिनट के लिए रख दें। अब दोनों को छीलकर बारीक काट लें। इसके बाद एक कड़ाही में घी डालकर सूजी को 2-3 मिनट तक भूनें। इसमें बारीक कटे बादाम, पिस्ता और काजू डालकर 2 मिनट तक और भूनें। इसके बाद इसमें दूध डालकर मिश्रण को गाढ़ा होने तक पकाएं। अब इसमें चीनी और केसर को डालकर अच्छी तरह पकाएं। बारीक कटे ताजे अंजीर के टुकड़े, इलाइची पाउडर और कद्दूकस किया हुआ मावा डालकर 3 मिनट तक पकाएं। बारीक कटे पिस्ता और बादाम से सजाकर परोसें।

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