Natural Disasters

जानलेवा बारिश

देशभर में मॉनसून की बारिश का मिजाज बदल रहा है। यह अतिशय बारिश (एक्स्ट्रीम रेन) के रूप में जानमाल की क्षति और बाढ़ की वजह बन रही है

 
Published: Saturday 15 September 2018
स्रोत: एग्रीकल्चर मेट्रोलॉजी डिवीजन, हाइड्रोमेट्रोलॉजी डिवीजन, आईएमडी और एनडीएमए फ्लड सिचुऐशन रिपोर्ट्स

देश भर में बाढ़ का कहर जारी है। सात राज्यों में महज जुलाई और अगस्त महीने में ही करीब 1,100 लोगों की मौत बाढ़ के कारण हो चुकी है। इन राज्यों में 126 जिले बाढ़ की विभीिषका से जूझ रहे हैं। जानकार इस “न्यू नॉर्मल” को जलवायु परिवर्तन के बरक्स देख रहे हैं। दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के इस असर को महसूस किया जा रहा है।

आपदाओं पर नजर रखने वाली बेल्जियम स्थित वेबसाइट ईएम-डीएटी के अनुसार, इस साल अगस्त की शुरुआत तक 100 से अधिक जलवायु संबंधी आपदाएं आ चुकी हैं जिनमें करीब 3,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 1980 के बाद से जलवायु संबंधी आपदाओं में तीन गुणा इजाफा हुआ है। करीब 300 जलवायु से जुड़ी घटनाएं हर साल घटित हो रही हैं। वायुमंडलीय और जलीय आपदाएं पिछले 40 वर्षों में 4 गुणा बढ़ गई हैं। 1950 से अब तक धरती के तापमान में महज 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है लेकिन 2100 तक यह वृद्धि 3-4 डिग्री सेल्सियस हो जाएगी।

इससे प्राकृतिक आपदाओं में बेहताशा वृद्धि की आशंका है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अनुमान लगाया है कि अगले 10 सालों में देशभर में बाढ़ की वजह से 16,000 लोगों की मौत हो जाएगी और 47,000 करोड़ रुपए की संपत्ति नष्ट होगी। एनडीएमए के अनुसार, हिमाचल प्रदेश को छोड़कर किसी भी राज्य ने आपदा के खतरों का विस्तृत आकलन नहीं किया है। गृह मंत्रालय के नेशनल रिजिलियंस इंडेक्स के अनुसार, अापदा से जूझने में हमारा स्तर बहुत नीचे है और इसमें बहुत सुधार की जरूरत है।

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