Climate Change

धूलभरी आंधी

2018 में भारत के 16 राज्यों में 50 धूलभरी आंधी की घटनाएं हुई हैं, जिसके कारण 500 से अधिक मौतें हुईं। जानमाल को बड़ा नुकसान पहुंचाने वाली इस घटना पर दस सवाल...…

 
By Kiran Pandey
Published: Monday 09 July 2018
Credit: Greg Gorman/Flickr

धूलभरी आंधी क्यों चर्चा में है?

2018 में भारत के 16 राज्यों में 50 धूलभरी आंधी की घटनाएं हुई हैं, जिसके कारण 500 से अधिक मौतें हुईं। इसकी तुलना में 2003 से 2017 के बीच 22 आंधी आने की घटनाएं हुईं जबकि 1980 और 2003 के बीच केवल नौ बार आंधी आई। इस साल जानमाल को काफी क्षति पहुंची है, इसलिए धूलभरी आंधी चर्चाओं में है।

धूलभरी आंधी कहां सबसे अधिक आती है?

धूल और तेज हवाओं के मिलने से धूलभरी आंधी बनती है। उत्तरी अफ्रीका, अरब प्रायद्वीप, ईरान, भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और चीन में सबसे अधिक धूल या रेत के तूफान का अनुभव होता है। अन्य शुष्क क्षेत्र जैसे अटाकामा रेगिस्तान, पश्चिम और मध्य ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका में भी धूल के तूफान आते हैं।

भारत में व्यापक स्तर पर धूल भरी आंधी के क्या कारण हैं?

पश्चिमी विक्षोभ की बदलती प्रकृति भारत में व्यापक स्तर पर धूलभरी आंधी का प्रमुख कारक है।

पश्चिमी विक्षोभ क्या है?

यह एक तरह का उष्णकटिबंधीय तूफान है जो मेडिटरेनियन रीजन से शुरू होता है और उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम में बारिश की वजह बनता है। मूलतः यह तूफान कालासागर और कैस्पियन समुद्र से गुजरता हुआ भारी मात्रा में नमी लेकर भारत पहुंचता है। गर्मियों में हवा का दबाव कम होने के कारण वायुमंडल की निचली परत में तेज हवाएं चलती हैं और यह तूफान हिमालय के ऊपर से निकल जाते हैं। लेकिन सर्दियों में जब हवा का दबाव ज्यादा होता है तो ये तूफान हिमालय के नीचे से गुजरते हैं और भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में बारिश की वजह बनते हैं। इस तरह पश्चिम से आने वाली यह हवाएं जो हमारे देश के मौसम को कुछ समय के लिए बदल देती हैं, पश्चिमी विक्षोभ कहलाती हैं ।

इस वर्ष पश्चिमी विक्षोभ में क्या नया हुआ?

आर्कटिक में होने वाली गर्मी के कारण पश्चिमी विक्षोभों में बदलाव आ रहे हैं। पहले वर्ष दो-तीन बार पश्चिमी विक्षोभ होना सामान्य बात थी, लेकिन अब इनकी संख्या दस और उससे भी अधिक हो गई है। इसके अलावा, उनके आगमन के समय में भी देरी हो रही है। आमतौर पर पश्चिमी विक्षोभ सर्दियों के मौसम में आते थे, जिनके कारण हिमपात होता था लेकिन अब ये अप्रैल से लेकर मई और जून में भी आ रहे हैं। यह पश्चिमी विक्षोभ का बिलकुल नया और बदला हुआ चरित्र है।

पश्चिमी विक्षोभों के बदलते व्यवहार और आर्कटिक में होने वाली वार्मिंग के बीच क्या संबंध है?

आर्कटिक के गर्म होने के कारण, इस ठंडे क्षेत्र और भूमध्य रेखा के बीच के तापमान में अंतर कम हो गया है। जिसके कारण आर्कटिक भूमध्य रेखा के बीच में बहने वाली जेट स्ट्रीम-विंड का प्रवाह कमजोर हो गया है। इसके साथ ही यह अपने पथ पर सीधे आगे को प्रवाहित न होकर इधर-उधर अनिर्धारित पथ पर भटक रही है जिसके कारण पश्चिमी विक्षोभ के मौसम और प्रवाह में परिवर्तन आ रहा है।

क्या पश्चिमी विक्षोभ इन धूल भरी आंधियों की चरम प्रकृति के लिए एकमात्र जिम्मेदार कारण है?

नहीं। तथ्य यह है कि बंगाल की खाड़ी में तापमान लगातार बढ़ रहा है जहां औसत सामान्य तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई है। जिसका मतलब है, चक्रवातों की गतिविधि के लिए अधिक नमी का उपलब्ध होना। इस चक्रवात प्रणाली के अब शुष्क, ठंडे लेकिन देर से आने पश्चिमी विक्षोभों से टकराने के कारण तीव्र और व्यापक तूफान आ रहे हैं। इस साल पूरे उत्तरी उपमहाद्वीप के तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है। अप्रैल के अंत में राजस्थान का औसत तापमान 46 डिग्री सेल्सियस अंकित किया गया, वहीं पाकिस्तान में पारा 50 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया, जो सामान्य से 4-5 डिग्री सेल्सियस अधिक है। सिन्धु-गंगा के मैदानी क्षेत्रों में भी तापमान सामान्य से 8 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है।

किस तरह उच्च तापमान धूल भरी आंधी-तूफानों के लिए उत्तरदायी होता है?

उच्च तापमान का मतलब है जमीन में नमी की कमी, अधिक धूल और अधिक मरुस्थलीकरण का होना। यह “डस्ट बाउल” की उत्पत्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाता है, जहां हवा की गति 130 किमी/ घंटा से अधिक हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप अधिक विनाशकारी तूफानों का निर्माण होता है।

यह आपदा प्राकृतिक है या मानव निर्मित?

यह मूलतः हम इंसानों द्वारा स्थानीय और वैश्विक स्तर पर किए जा रहे कारकों के संयोजन का परिणाम है जिसमें मिट्टी के कुप्रबंधन और मरुस्थलीकरण से लेकर कार्बन डाईऑक्साइड के वैश्विक उत्सर्जन तक सम्मिलित है। ये गतिविधियां पृथ्वी की सतह को लगातार गर्म कर रही हैं जिसके कारण इस तरह की अनोखी और अनहोनी हो रही है।

यह पर्यावरण और स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करता है?

धूलभरी आंधी के कारण हवा में सूक्ष्म कणों की मात्रा में वृद्धि हो जाती है, जिससे वायु गुणवत्ता खराब हो जाती है। मिट्टी, रेत और चट्टान के कणों का हवा के साथ बहना, वाहनों द्वारा धूल का उड़ाया जाना, खुदाई एवं निर्माण कार्य से उड़ने वाली धूल भी इन सूक्ष्म कणों की संख्या को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं। भारत के पश्चिमी हिस्सों में धूलभरी आंधी चलने के कारण पीएम 10 स्तर में चिंताजनक वृद्धि दर्ज की गई। दिल्ली के कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के पार हो गया।

प्रस्तुति: किरण पांडे

Subscribe to Daily Newsletter :

Comments are moderated and will be published only after the site moderator’s approval. Please use a genuine email ID and provide your name. Selected comments may also be used in the ‘Letters’ section of the Down To Earth print edition.