Governance

भूख-एक बायोपिक

भूख से बिलबिलाते बच्चे व्यवस्था से पूछ रहे हैं, “खाना कहां है? व्हेर इस माई ब्लडी फूड?”

 
By Sorit Gupto
Published: Wednesday 15 August 2018

Illustration: Sorit

यह उन दिनों की बात है जब देश दनादन तरक्की कर रहा था, चारों ओर अच्छे दिन थे, नीति निर्माताओं की नीयतें साफ थीं , अखबारों में पन्ने-दर-पन्ने देश के चहुंमुखी विकास, आम आदमी व नेताओं के हंसते हुए चेहेरों से भरे थे, किसी बम्बइया एक्टर-टर्न्ड-क्रिमिनल-टर्न्ड-एक्टर की जीवनी पर बायोपिक (जीवनी चलचित्र) और इस बायोपिक के आधार पर देश के युवा वर्ग अपने भविष्य के सपने बुन रहे थे। ठीक उसी समय इसी देश के किसी दूरदराज के क्षेत्र में एक नई फिल्म पर भी काम हो रहा था।

दर्शकों की सुविधा के लिए पहले ट्रेलर बन रहा था।

पहला दृश्य : नायक बोलता है, “गुड ईवनिंग लेडीज एंड जेंटलमैन। आज मेरे लिए बड़ा खुशी का दिन है क्योंकि मेरी ऑटोबायोग्राफी, मेरी आत्माकथा आप लोगों के सामने आ रही है। इतना वैराइटी वाला लाइफ आपको किधर मिलेगा... दोस्तों मैं कुछ भी हूं, देशद्रोही नहीं बल्कि देशप्रेमी हूं।”

कट! अगला शॉट : गजराज मेडिकल कॉलेज ग्वालियर। नायक प्रवेश करता है। बैकग्राउंड से विजयपुर ब्लॉक के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर मेवाफरोश की आवाज आती है, “दवाओं का कोई असर नहीं हो रहा था। मरीज का शरीर बुखार से तप रहा था। बुखार पर लगाम तब लगी जब उसकी मौत हो गई।”

(बात सात महीने की बच्ची रोशनी के बारे में हो रही है।)

कट! अगला शॉट : जिला शेवपुर। 55 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार, 78 फीसदी बच्चे और 62 फीसदी महिलाएं रक्ताल्पता की शिकार।

व्यवस्था पूछती है, “बोलो तुम्हारे पेट में खाना है या नहीं”

एक महिला बोलती है, “ नहीं है साहब।”

नौकरशाही और नेताओं के झूठे वादों से लैस व्यवस्था का एक करारा झापड़ उसके चेहेरे पर पड़ता है, “अब बोलो!”

कट! अगला दृश्य : मेलघाट, जिला अमरावती। देश की अर्थव्यवस्था 9 फीसदी के विकास दर के लिए वर्जिश कर रही है।

पत्रकार पूछती है, “ अब तक कितने लोगों को अपना निशाना बनाया है ?”

जवाब दिलचस्प है जो अपने आप में एक सवाल भी है, “वयस्कों को गिनूं? चलो उनको छोड़ देते हैं। पिछले सत्रह महीनों में छब्बीस हजार छह सौ उन्नीस तक गिना था। चलो अपने रिकार्ड के लिए सताइस हजार लिख लो।”

(सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मेलघाट इलाके में पिछले डेढ़-पौने दो साल में कुल 26,619 बच्चों की कुपोषण से मौत हो गई, जिनमे 23,865 बच्चों की उम्र एक वर्ष से भी कम थी।)

कट! अगला दृश्य : भूख से बिलबिलाते बच्चे पूछ रहे हैं, “खाना कहां है? व्हेर इस माई ब्लडी फूड?”

ताकत के मनाहगे ड्रग के नशे में चूर व्यवस्था इन भूख से बिलबिलाते बच्चों के गले में नौकरशाही, पैन-आधार कार्ड-राशन कार्ड लिंक का गन्दा पट्टा पहना देती है।

कट! अगला दृश्य : नायक कहता है, “ मैं तो देशप्रेमी हूं। इस देश के हर पिछड़े इलाकों में मैं एक बार क्या गया, वहीं का होकर रह गया।”

इस महान देश में हमारा बदनाम नायक आज भी करोड़ों लोगों के लिए “बीता हुआ कल” नहीं है। वह आज भी वर्तमान है और शायद उन पिछड़े इलाकों के लोगों का भविष्य भी।

फरेबी वादों, गुमराह करने वाले भाषणों, नेहरू, भगत सिंह, पाकिस्तान, हिन्दू-मुसलमान के गुमराह करने वाले भाषणों की बमबारी हो रही है और इस बमबारी से बेदाग बचकर निकलता आ रहा है हमारा नायक।

भूख।

बैक ग्राउंड में गाना चल रहा है- “कर हर मैदान फतह...”

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