Health

मीलों दूर स्वास्थ्य सेवाएं

कुल आबादी का तिहाई और 28 प्रतिशत महिलाएं निकटतम अस्पतालों से दो घंटे से अधिक की दूरी पर रहती हैं

 
By Paul Ouma, Emelda Okiro
Published: Wednesday 02 January 2019

अगर लोगों को आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें तो निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होने वाली आधी मौतों और एक तिहाई विक्लांगता को रोका जा सकता है। अफ्रीका में ऐसी आपात स्थितियों का मुख्य कारण सड़क दुर्घटनाएं , प्रसूति सम्बन्धी जटिलताएं , गंभीर रोग और असंक्रामक बीमारियां हैं। अफ्रीकन फेडरेशन फॉर इमरजेंसी मेडिसिन नामक एक संस्था पिछले 18 वर्षों से अफ्रीकी महादेश में आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं के विकास को बढ़ावा देती आ रही है। अच्छे परिवहन और समुचित चिकित्सकीय सेवाओं जैसे कुछ कमजोर पहलुओं की पहचान कर ली गई है। लेकिन इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अस्पतालों की संख्या, उनकी जगह और प्रभावित जनसंख्या से सम्बंधित आंकड़ों की आवश्यकता है।

अफ्रीका के अधिकांश देशों में यह जानकारी अनुपलब्ध है। अस्पतालों की संख्या सहित स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की बुनियादी सूची भी उपलब्ध नहीं है। हमारे अध्ययन ने उप-सहारा अफ्रीका में अस्पताल सेवाओं के सर्वप्रथम मूल्यांकन के द्वारा इस समस्या को हल करने की राह में कदम उठाए हैं। इससे हमें चिकित्सा सुविधाओं तक लोगों की पहुंच का अंदाजा लगाने में मदद मिली है। इसके नतीजों में अस्पताल पहुंचने में लगने वाला समय शामिल है।

हमारा अध्ययन उन क्षेत्रों की ओर इशारा करते हैं जहां जनता की पहुंच सुनिश्चित करने हेतु निवेश किए जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा कई प्रकार के हस्तक्षेप अपेक्षित हैं। उदाहरण के लिए नए अस्पतालों का निर्माण, चिकित्सकीय देखभाल में सुधार, नई सड़कों का निर्माण और मौजूदा सड़कों की मरम्मत आदि।

लेकिन सबसे जरूरी काम यह है कि सारे देश अपनी अस्पतालों की सूची को अद्यतन करें जिसमें क्षमता का आकलन, आपातकालीन देखभाल की उपलब्धता और निजी क्षेत्र की क्षमता का आकलन भी शामिल है। हमारा शोध यह प्रक्रिया शुरू करने में मदद करेगा। हमने एक डेटाबेस बनाया है जिसे निशुल्क हासिल किया जा सकता है और जिसका उपयोग राष्ट्रीय स्तर पर सेवा उपलब्धता के आकलन के लिए किया जा सकता है।

डेटाबेस का निर्माण

अस्पतालों की सूची में और उप-सहारा अफ्रीका के द्वीपों सहित 48 देश शामिल हैं। सूची निर्माण के लिए हमने सभी देशों और द्वीपों के स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सूचना प्रणाली, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों सहित अन्य मंत्रालयों के आंकड़ों और स्रोतों का उपयोग किया। ज्यादातर मामलों में, स्रोत ऑनलाइन उपलब्ध थे लेकिन हमने कुछ देशों में अस्पताल संबंधी आंकड़ा प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत संपर्कों का भी प्रयोग किया। सूची में शामिल 50 प्रतिशत अस्पतालों के जीपीएस निर्देशांक उपलब्ध नहीं थे जिससे उनकी स्थिति का सटीक निर्धारण किया जाना लगभग असंभव था। इस समस्या के समाधान के लिए हमने गूगल मैप्स और ओपन स्ट्रीट मैप्स जैसे ऑलाइन मैपिंग टूल्स के माध्यम से उनकी स्थिति के निर्देशांक बनाए।

इस लेखा परीक्षा में सार्वजनिक क्षेत्र के ऐसे 4,909 अस्पताल शामिल हैं जिन्हें सटीक निर्देशांक प्रदान किए गए। नाइजीरिया, जो उप-सहारा अफ्रीका की आबादी का लगभग पांचवां हिस्सा है, 879 अस्पतालों के साथ इस सूची में सबसे ऊपर आता है। रिपब्लिक ऑफ कांगो (435), केन्या (399) और दक्षिण अफ्रीका (337) सार्वजनिक अस्पतालों की उच्च संख्या वाले कुछ अन्य देश हैं। अस्पतालों की न्यूनतम संख्या संख्या केप वेर्डे, जांजिबर, साओ टोमे और प्रिंसिपे जैसे छोटे देशों में थी। अस्पताल सेवाओं तक भौगोलिक पहुंच की गणना करने के लिए इस जानकारी का उपयोग शुरुआती बिंदु के रूप में किया गया था।

 

कहां कितने अस्पताल

नाइजीरिया जो उप-सहारा अफ्रीका की आबादी का लगभग पांचवां हिस्सा है, 879 अस्पतालों के साथ सूची में सबसे ऊपर आता हैनाइजीरिया जो उप-सहारा अफ्रीका की आबादी का लगभग पांचवां हिस्सा है, 879 अस्पतालों के साथ सूची में सबसे ऊपर आता है

समय रहते मदद

हमने निकटतम अस्पताल तक पहुंचने में लगे समय के अनुसार, भौगोलिक सुगम्यता का निर्धारण किया। हमने क्षेत्र में उपलब्ध परिवहन के प्रमुख साधनों के आधार पर अस्पताल पहुंचने में लगने वाले समय का निर्धारण किया। हमने गूगल अर्थ और ओपन स्ट्रीट मैप्स से सड़क नेटवर्क एकत्र किए और हर सड़क के लिए एक खास गति निर्धारित की। इसके बाद हमने एक मॉडल विकसित किया जो यह बता सकता है कि किसी रोगी को अपने स्थान (100 वर्गमीटर तक सटीक ) से सबसे पास के अस्पताल पहुंचने में कितना समय लगेगा। प्रसूति के दौरान अधिकांश महिलाओं को अस्पताल और देखभाल की विशेष आवश्यकता होती है और इसके मद्देनजर हमने यह भी निर्धारित किया कि उन्हें ऐसी हालत में अस्पताल ले जाने में कितना समय लगेगा।

नतीजे बताते हैं कि कुल आबादी का तिहाई (29 प्रतिशत) से कम और 28 प्रतिशत महिलाएं निकटतम अस्पतालों से दो घंटे से अधिक की दूरी पर रहती हैं। दो घंटे की सीमा क्रमश: आपातकालीन प्रसूति और शल्य चिकित्सा देखभाल तक पहुंच को परिभाषित करने के लिए वैश्विक सर्जरी के लिए डब्ल्यूएचओ और लांसेट आयोग द्वारा व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाला मापदंड शामिल है। इसके अलावा, ग्लोबल सर्जरी के लिए लांसेट आयोग द्वारा निर्धारित अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, आपातकालीन प्रसूति और शल्य चिकित्सा तक पहुंच सुनिश्चित करना 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

सबसे आश्चर्यजनक परिणाम देशों के बीच भारी अंतर था। उदाहरण के लिए, दक्षिण सूडान में 75 प्रतिशत से अधिक आबादी दो घंटे की सीमा के बाहर रहती थी। अन्य खराब सेवा वाले देशों में मध्य अफ्रीकी गणराज्य, चाड और एरिट्रिया शामिल थे। उनकी आबादी का आधा से अधिक हिस्सा दो घंटे की सीमा के बाहर रहता था। जांजिबर, कोमोरोस, साओ टोमे और प्रिंसिपी जैसे सबसे अच्छा सेवा वाले अधिकांश देश द्वीप थे। उनकी आबादी का 95 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अस्पताल के दो घंटे के अंदर पहुंच सकता है। केन्या, दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया जैसे बड़े देशों में भी यह पहुंच सूचकांक अच्छा है और 90 प्रतिशत से अधिक देश दो घंटे की इस सीमा के अंदर आते हैं।

हमारे सर्वेक्षण में शामिल सभी 48 देशों ने 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के सतत विकास लक्ष्यों पर हस्ताक्षर किए हैं और अस्पतालों तक पहुंच इस समझौते में शामिल है। हमारे शोध से आपातकालीन देखभाल तक पहुंच को एक जमीनी सच्चाई बनाने में मदद मिल सकती है। आगे का रास्ता लम्बा है। हमारे सर्वेक्षण में शामिल केवल 16 देश अस्पताल पहुंचने की दो घंटे की समयसीमा के अंदर आते हैं।

(पॉल ओमा केन्या मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में पीएचडी फेलो हैं जबकि एमेल्डा ओकिरो पॉपुलेशन हेल्थ यूनिट की प्रमुख हैं। यह लेख द कन्वरसेशन के विशेष समझौते के तहत प्रकाशित)

Subscribe to Daily Newsletter :

Comments are moderated and will be published only after the site moderator’s approval. Please use a genuine email ID and provide your name. Selected comments may also be used in the ‘Letters’ section of the Down To Earth print edition.