पर्यावरण, विकास और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित 'डाउन टू अर्थ' पत्रिका के 25 साल पूरे होने के मौके पर हम इसके हिंदी संस्करण की शुरुआत करने जा रहे हैं। दरअसल, 'डाउन टू अर्थ' हमारे सरोकारों और जुनून का नतीजा है। हमारा मकसद जन सामान्य की भाषा में ऐसी तथ्यपरक रिपोर्ट, खबरें, लेख और जानकारियां लोगों तक पहुंचाना है जिनसे हमारा वर्तमान और भविष्य जुड़ा है।
इस 2 अक्टूबर को 'स्वच्छ भारत मिशन' के दो साल पूरे हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 तक हर घर में शौचालय और खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का वादा किया है। 'सत्याग्रह' की तर्ज पर उन्होंने 'स्वच्छाग्रह' पर जोर दिया है। 'डाउन टू अर्थ' हिंदी के प्रवेशांक की कवर स्टोरी देश के इसी स्वच्छ्ता संघर्ष की पड़ताल करती है। स्वच्छता अभियान की अब तक की प्रगति को देखते हुए 2019 तक हर घर शौचालय का लक्ष्य पूरा होना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है। खुद पीएम मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्ष के नेताओं के चुनाव क्षेत्रों में शौचालय निर्माण की रफ्तार लक्ष्य को देखते हुए बहुत धीमी है। आखिर देश के स्वच्छता अभियान कहां विफल हो रहे है?
तथ्य, आंकड़े और जमीनी हकीकत से रूबरू कराती 'डाउन टू अर्थ' की विशेष रिपोर्ट