बाढ़ की विभीषिका
उत्तराखंड से लेकर केरल तक, हर तरफ पसरा है बाढ़ का कहर, क्या बाढ़ की इस विभीषिका के लिए जलवायु में हो रहा परिवर्तन है जिम्मेदार?

पिछले वर्षों की तरह इस बार भी मानसून की शुरुआत बहुत शांत रही, कुछ समय के लिए तो ऐसा लगता था कि मानो इस वर्ष भारत के कई राज्यों और हिस्सों में उतनी बारिश भी नहीं होगी जितनी आम तौर पर हुआ करती है। लेकिन अचानक न जाने क्या हुआ कि प्रकृति ने अपना विकराल रूप दिखलाना शुरू कर दिया, आज देश में चारों ओर जहां देखो बस हाहाकार और तबाही का ही मंजर नजर आता है । कहीं आकस्मिक बाढ़ आ रही है, कहीं बादल फटने की घटनाएं घट रही हैं। पर इन सबके बीच सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या इस तबाही के लिए सिर्फ प्रकृति ही जिम्मेदार है, क्या हमारे द्वारा पर्यावरण में हो रही छेड़छाड़ का इसमें कोई योगदान नहीं है, यदि है, तो आखिर हम कब समझेंगे कि प्रकृति के इस रौद्र रूप का भाजन आखिर में हमें ही बनना पड़ेगा ।

ललित मौर्य, अक्षित संगोमला, किरन पाण्डेय, राजू सजवान और गिरिराज अमरनाथ


 



अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश के कई जिले जहां जुलाई के पहले सप्ताह तक बारिश में कमी के कारण गहरे संकट में थे, वही जुलाई के दूसरे सप्ताह से वहां अचानक भारी बारिश शुरू हो गयी, जिसके चलते अनेक जिलों, मुख्य रूप से तवांग और पश्चिम कामेंग में बाढ़ जैसे हालात बन गए।




असम

असम के चार जिलों - धुबरी, कोकराझार, बोंगाईगाँव और बारपेटा को दूसरे जिलों की तुलना में भारी बारिश की घटनाओं का अधिक सामना करना पड़ा। जून और जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में यह घटनाएं सामान्य से अधिक देखने को मिली । जब राज्य में बाढ़ के स्थिति गंभीर बनी हुई थी। 6 अगस्त तक राज्य में हालात सामान्य नहीं हुए थे, यहां कि तक उस समय तक आठ जिले बाढ़ के कारण जलमग्न हो चुके थे ।




बिहार

बिहार के 38 में से 27 जिलों में जहां 7 जुलाई तक बारिश में 40 प्रतिशत की कमी रिकॉर्ड की गई थी। वहीं अगले ही सप्ताह उन 38 जिलों में से सात जिले अचानक आयी बाढ़ के कारण जलमग्न हो गए, जिसके कारण 100 से भी अधिक लोग मारे गए और 72 लाख लोग प्रभावित हुए ।




छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के दक्षिणी जिलों, विशेषकर सुकमा में अगस्त के पहले दो हफ्तों में हुई भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है । जहां जुलाई के मध्य में हुई भारी बारिश के कारण कुछ जिलों में बाढ़ की स्थिति देखी गई। वहीं 25-31 जुलाई के बीच राज्य में सामान्य से 76 प्रतिशत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गयी ।




गोवा

इस महीने, 7 अगस्त तक गोवा में अत्यधिक बारिश रिकॉर्ड की गयी, जिसके कारण कई क्षेत्र पानी में डूब गए । गोवा में जहां 25 से 31 जुलाई के बीच बारिश में 6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी थी, वहीं अगले ही सप्ताह इसमें 110 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी ।




गुजरात

गुजरात के कई जिलों, खासकर वडोदरा में असामान्य बारिश के चलते अगस्त के पहले सप्ताह में बाढ़ की स्थिति देखने को मिली । वहीं राज्य के कुछ जिलों में 1 से 7 अगस्त के बीच सामान्य से 112 प्रतिशत अधिक बारिश हुई । गुजरात के अनेक जिलों में जहां मानसून के दौरान नियमित रूप से औसत बारिश होती है, वहां अपेक्षाकृत कम बारिश की स्थिति देखी गयी ।




हिमाचल प्रदेश

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार हिमाचल में पिछले 24 घंटे की अवधि के दौरान 70 सालों में सबसे अधिक बारिश रिकॉर्ड की गयी। आईएमडी ने एक बयान में कहा, "पूरे राज्य में 102.5 मिमी बारिश हुई और यह इस दिन के लिए सामान्य से 1,065 प्रतिशत अधिक थी।" हिमाचल प्रदेश में 19 अगस्त तक के हफ्ते तक की बात करें तो बिलासपुर जिले में 323.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जबकि सामान्य बारिश 66.7 मिमी तक रिकॉर्ड होती रही है। इसी तरह चंबा में 211.9 मिमी (सामान्य वर्ष 77.8 मिमी), हमीरपुर में 239 मिमी. (सामान्य 86.5 मिमी), कांगड़ा में 253.1 मिमी. (सामान्य 146 मिमी.) किन्नौर में 34 मिमी.(सामान्य 19.1 मिमी), कुल्लू- 157.9 मिनी (सामान्य 38 मिमी.), लाहौल स्पीती- 63 मिमी.(सामान्य 28.5 मिमी.), मंडी 210.5 मिमी.(सामान्य 87.5 मिमी), शिमला 164.5मिमी (सामान्य 47.7 मिमी) सिरमौर 266.2 मिमी (सामान्य 128.6 मिमी), सोलन 240.1 मिमी(सामान्य 81.6 मिमी), उना 172.7 मिमी.(सामान्य 79.9 मिमी.) रिकॉर्ड की गई है।




कर्नाटक

कर्नाटक में जहां 31 जुलाई तक बारिश में 13 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी थी। वहीं एक सप्ताह की बारिश के बाद, इसमें आये 23 प्रतिशत के बदलाव के चलते यह कमी 10 प्रतिशत की वृद्धि में बदल गयी । जिससे राज्य के 12 जिलों में बाढ़ आ गई, जिनमे से ज्यादातर जिले उत्तर और मध्य भाग में स्थित है । अब तक इस बाढ़ में 58 लोग मारे जा चुके है । वहीं गौरतलब है कि 8 अगस्त को राज्य के कुछ जिलों में सामान्य से 32 गुना अधिक बारिश रिकॉर्ड की गयी ।



केरल

केरल जहां 7 अगस्त तक मौसमी बारिश में 27 प्रतिशत की कमी से जूझ रहा था । वहीं 7 अगस्त के बाद से बारिश में सामान्य से 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी । गौरतलब है कि 8 अगस्त को राज्य में सामान्य से 368 प्रतिशत अधिक बारिश हुई जिसके चलते तुरंत बाढ़ आ गई । 13 अगस्त तक लगातार हुई बारिश के चलते इसमें आयी 27 प्रतिशत की कमी 3 प्रतिशत घट कर अब 24 प्रतिशत रह गयी है । इस भारी बारिश के चलते राज्य में अब तक 121 से भी अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 190,000 राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं।




मध्य प्रदेश

अत्यधिक और आकस्मिक वर्षा के कारण मध्य प्रदेश के कई जिलों को जुलाई के पहले दो हफ्तों में बाढ़ का सामना करना पड़ा था | वहीं अब तक मध्य प्रदेश में बाढ़ के कारण 70 लोगों की मौत हो चुकी है |




महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में आयी बाढ़, दो हफ्तों में हुई भारी बारिश का परिणाम थी। जहां 25 से 31 जुलाई के बीच राज्य में सामान्य से 139 फीसदी अधिक बारिश हुई वहीं 1 से 7 अगस्त के बीच सामान्य से 161 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गयी । जिसके कारण पश्चिमी जिलों मुख्यतः कोल्हापुर, सांगली, सतारा, पुणे और सोलापुर में बाढ़ आ गयी। जिसमें 54 से अधिक जानें गयी और लगभग 6.5 लाख लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा ।




मेघालय

मेघालय में मध्य जुलाई में बाढ़ आई थी, विशेष रूप से खासी और गारो पहाड़ियों में जहां अत्यधिक बारिश हुई थी ।




ओडिशा

ओडिशा के छह जिलों में 06 अगस्त तक औसत से 100 मिमी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गयी । वहीं कंधमाल में 183.3 मिमी औसत बारिश दर्ज की गई, जबकि रायगढ़ में 163.4 मिमी, मलकानगिरी में 129.3 मिमी, कोरापुट में 113.9 मिमी, कालाहांडी में 109.4 मिमी और गंजम में 104.6 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गयी । 13 अगस्त 2019 को ओडिशा के कई जिलों में लगातार और भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बन गयी जिससे अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है । विशेष राहत आयुक्त बिष्णुपद सेठी ने बताया कि ओडिशा के कालाहांडी, बौध, बोलनगीर, सुबरनपुर और कंधमाल जिले बाढ़ प्रभावित हैं । जबकि राज्य में 13 अगस्त को 66 मिमी की औसत बारिश दर्ज की गई, जबकि कालाहांडी और बोलनगीर जिलों के दो ब्लॉकों में एक ही अवधि में 400 मिमी बारिश हुई। वहीं इन जिलों के चार अन्य ब्लॉकों में 300 से 400 मिमी के बीच बारिश हुई। राज्य के कालाहांडी जिले के करलामुंडा में सबसे अधिक बारिश (608 मिमी) रिकॉर्ड की गयी।




राजस्थान

जुलाई के अंतिम कुछ दिनों में लगातार हुई बारिश के चलते राजस्थान के कई जिलों को बाढ़ या बाढ़ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा था। गौरतलब है कि राज्य में जुलाई के अंतिम सप्ताह में सामान्य से 152 फीसदी अधिक बारिश हुई थी ।




उत्तराखंड

उत्तराखंड के पहाड़ी भागों में जुलाई और अगस्त के महीने में असामान्य बारिश दर्ज की गयी। इसके कारण विशेषतः नैनीताल, बागेश्वर और टिहरी गढ़वाल जैसे जिलों में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं देखी गयी। बीते चौबीस घंटों (19 अगस्त) में बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के चलते अब तक 10 लोगों की जान चली गई है ।

यह सच है कि भारत में बाढ़ की घटनाएं, एक न झुठला सकने वाला सच है, पर यह भी सच है कि पिछले कुछ सालों में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि देखी गयी है । 1953 से लेकर 2017 तक 107,487 लोग इस बाढ़ में समा चुके है। आपको जानकर हैरानी होगी कि बाढ़ मृतकों की करीब एक चौथाई संख्या बीते दस वर्षों की है। करीब 25 हजार लोग 2008 से 2019 तक बाढ़ और वर्षा के दौरान घटने वाली आपदाओं की की भेंट चढ़ चुके है | देश की जलवायु में जिस तेजी से परिवर्तन आ रहा है, वो अपने साथ हमारे लिए बाढ़, सूखा जैसे खतरे भी ला रहा है । जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि भारत के शहरी क्षेत्रों में मानसून के मौसम की छोटी सी अवधि में हो रही भारी बारिश के चलते आकस्मिक आने वाली बाढ़ का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। जिसके लिए सीधे तौर पर जलवायु में आ रहा परिवर्तन जिम्मेदार है ।

आंकड़ों का स्रोत:

✸   इंटरनेशनल वाटर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट (आईडब्लूऍमआई)
✸   इंडिया मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (आईएमडी)