साल 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण ने देश में रोजगारहीन विकास को एक प्रमुख चुनौती करार दिया है
बुधवार को पेश होने वाले आम बजट में सबको बेसिक इनकम संबंधी किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद
बुधवार को पेश होने वाले बजट से पहले केंद्र सरकार ने 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण के जरिये अर्थव्यवस्था की तस्वीर पेश की है। यह दस्तावेज सत्ता में ढाई साल पूरे कर चुकी एनडीए सरकार के लिए एक रिपोर्ट कार्ड की भी तरह है। जानिए, यह आर्थिक सर्वेक्षण आम बजट के लिए कौन-से पांच प्रमुख संकेत देता है
बढ़ रही है गैर-बराबरी
आर्थिक सर्वेक्षण में अप्रत्याशित रूप से 1983 से 2016 के बीच देश की आर्थिक प्रगति का मूल्यांकन किया गया है। इसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। लेकिन एक बात तय है कि भारत में गैर-बराबरी बढ़ती जा रही है।
यह तथ्य बुधवार को पेश होने वाले आम बजट का मुख्य स्वर हो सकता है, जिसमें सबको बेसिक इनकम संबंधी किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सीधे तौर पर इन राज्यों से जुड़ी घोषणाओं पर रोक लगा दी है, लेकिन सबको बेसिक इनकम का ऐलान चुनावी माहौल में हलचल पैदा कर सकता है।
बेसिक इनकम है उपाय
आर्थिक सर्वे में सरकार ने औपचारिक तौर पर स्वीकार किया है कि सबको बेसिक इनकम सुनिश्चित कराकर ही विकास के फायदों को समाज के हर वर्गों तक पहुंचाया जा सकता है। सर्वे के मुताबिक, विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये सब्सिडी देने के बजाय इन फायदों को जोड़कर बेसिक इनकम के तौर पर मुहैया कराया जाना चाहिए।
सबको बेसिक इनकम सुनिश्चित कराने के लिए सरकार को सालाना पांच-छह लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इतना धन खर्च करना सरकार के लिए चुनौती होगा। लेकिन बजट में चरणबद्ध तरीके से पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की जा सकती है। नोटबंदी में तमाम परेशानियां झेलने वाली आम जनता को लुभाने के लिए इस तरह का कदम उठा सकती है।
राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा
14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के स्वीकार होने के बाद केंद्रीय राजस्व में राज्यों की काफी हिस्सेदारी हो गई है। लेकिन फंड खर्च करने के मामले में राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की जरूरत है। आर्थिक सर्वे में इस तरह भी ध्यान आकर्षित किया गया है।
आम बजट में सरकार विकास कार्यक्रमों और आर्थिक प्रदर्शन के आधार पर राज्यों को प्रोत्साहन देने के लिए कोई बड़ी पहल कर सकती है।
चमड़ा उद्योग पर जोर
आर्थिक सर्वे में चमड़ा उद्योग में रोजगार की संभावनाओं पर खास जोर दिया गया है। यूपी के लिहाज से भी चमड़ा उद्योग खास महत्व रखता है। राज्य में बीफ के खिलाफ बने माहौल की वजह चमड़ा उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा है, सरकार चमड़ा उद्योग से जुड़ी किसी योजना का ऐलान कर इस तरह के काम-धंधों में लगे लोगों को सकारात्मक संदेश देने की कोशिश कर सकती है।
इसी तरह नोटबंदी की मार झेलने वाले लघु उद्योगों के लिए भी बजट में कई ऐलान किये जा सकते हैं।
रोजगारहीन विकास
साल 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण ने देश में रोजगारहीन विकास को एक प्रमुख चुनौती करार दिया है। इसलिए बजट में बेरोजगारी भत्ते और मनरेगा से जुड़ी घोषणाएं होने की उम्मीद भी की जा रही है।
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