Agriculture

Avartansheel Kheti means prosperous farming

DTE Staff

किसी अच्छे काम के पीछे कोई अच्छा विचार जरूर होता है। खेती-किसानी सिर्फ घाटे का सौदा नहीं है। इस विचार को आवर्तनशील खेती के दर्शन ने मजबूत किया है। आप शायद विश्वास न करें कि अच्छी खेती की सबसे बढ़िया खाद एक दार्शनिक सोच भी हो सकती है। हानिकारक रसायनों के बिना भी खेतों में खुशहाली को पैदा किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त और तंगहाल जलवायु वाले एक छोटे से गांव से रोशनी की किरण बाहर निकली है। आप भी खेती-किसानी का यह गुर सीख कर खुशहाली की फसल काट सकते हैं।

रसायनों के जरिए खेती-किसानी न सिर्फ लागत बढ़ाती है बल्कि हो सकता है कि उत्पादन बढ़ने के बजाए लंबे समय बाद घटने भी लगे। बांदा के किसान प्रेम सिंह रसायनों से परेशान थे। कर्ज और अवसाद में चले गए थे। उन्होंने मध्यस्थ दर्शन पर आधारित आवर्तनशील खेती को चुना। सामान्य अर्थों में बराबर हिस्सों में खेती करना। एक हिस्सा पशु का तो एक हिस्सा बाग-बगिया और आखिरी हिस्सा मनुष्य की खेती का। यह बंटवारा आपको ज्यादा लाभ दे सकता है।

वहीं, किसानों के स्वाभिमान और भूमिका पर विद्यालय चलाने वाले प्रेम सिंह यह भी मानते हैं कि खेती-किसानी अपने लिये है मुनाफे के लिए नहीं। यदि बेहतर तरीके से खेती को किसान साध पाए तो पैसा अपने आप मिलेगा। प्रेम सिंह ने बताया कि किसान अपनी फसल के प्रसंस्करण के जरिए ज्यादा कीमती बना सकता है। वहीं, खेती-किसानी का यह तरीका पर्यावरण को भी दुरुस्त रख सकता है।