स्वचालित वाहन की अवधारणा काफी रोमांचक तो है लेकिन परिवहन का यह भावी साधन कई जगह खतरनाक भी साबित हो रहा है।
अमेरिका के एरिजोना स्थित टेंपे में 19 मार्च 2018 को स्वचालित उबर कैब ने साइकिल पर जा रही एक महिला को कुचल दिया। पुलिस का कहना था कि महिला कार के बिल्कुल सामने थी, फिर भी कार की गति धीमी नहीं हुई। हालांकि कार के अंदर ऑपरेटर मौजूद था, फिर भी उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। फिलहाल उबर ने आगे के सारे परीक्षण रोक दिए हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान स्वचालित वाहन (एवी अथवा ऑटोनॉमस व्हीकल) के कारण यूएसए में तीन दुर्घटनाएं हुई हैं। इस वर्ष जनवरी में, कैलिफोर्निया में टेस्ला का एवी अचानक से लेन बदलने वाले ट्रक को नहीं पहचान पाया और पीछे से एक अन्य ट्रक को टक्कर मार दी। यह ट्रक सड़क पर खड़ा था। हालांकि इस दुर्घटना में ड्राइवर बच गया था। फरवरी, 2016 में फ्लोरिडा में एक सेमी-ऑटोनॉमस कार साफ आसमान और ट्रैक्टर ट्रेलर के सफेद रंग में अंतर नहीं कर पाई और उससे टकरा गई। इस दुर्घटना में कार चालक की मौत हो गई।
एवी गलत वजहों से सुर्खियों में हैं, लेकिन सच तो यह है कि ये यातायात व्यवस्था का रूप बदलने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम ज्ञान) सिस्टम का इस्तेमाल करने वाले ये एवी विश्व में कई जगहों पर सड़कों पर नजर आ चुके हैं। टेस्ला ने अमेरिका में ऑटोनॉमस विशेषताओं से युक्त 1,20,000 से अधिक कारें बेचीं हैं। हाल ही में उबर ने अमेरिका में अपने संचालन के लिए वॉल्वो से 24,000 ऑटोनॉमस एसयूवी खरीदी हैं। स्वीडन की सरकार ने एवी और इंसानों के बीच संबंध को समझने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयोग शुरू किया है। ब्रिटेन में भी ऐसा प्रयोग चल रहा है। जर्मनी में सड़क और परिवहन कंपनी दोइच बान ने प्रौद्योगिकी कंपनी इजीमाइल के साथ मिलकर बवेरिया में पूरी तरह से ऑटोनॉमस बस सेवा शुरू की है।
गूगल का वेमो बड़े पैमाने पर बनाई गई अपनी स्वचालित मिनी वैन, क्राइसलर पेसिफिका हाइब्रिड का परीक्षण करने के लिए एरिजोना में लोगों को मुफ्त यात्रा सेवा उपलब्ध करा रहा है। मिनी वैन को रोबोटैक्सी की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। फोर्ड, जनरल मोटर्स (जीएम) और टोयोटा जैसे ऑटोमोबाइल विनिर्माता भी अपनी मौजूदा कारों को स्वचालित प्रौद्योगिकी से लैस करने की योजना बना रहे हैं। जीएम ने क्रूज ऑटोमेशन और लिफ्ट जैसे ऑटोनॉमस प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप का अधिग्रहण करके इस दौड़ में बाजी मार ली है।
भारत में टाटा, महिन्द्रा और इन्फोसिस जैसी कंपनियों ने ऑटोनॉमस प्रौद्योगिकी परियोजनाएं शुरू की हैं जो विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा ऐसे अनेक भारतीय प्रौद्योगिकी स्टार्टअप हैं जो एवी प्रौद्योगिकियों के सस्ते मॉड्यूल पर काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए बेंगलुरू स्थित फ्लक्स ऑटो ऐसा मॉड्यूल बना रहा है जो कुछ खास ऑटोनॉमस कार्य कर सकते हैं, जबकि गुरुग्राम स्थित हाई-टेक रोबोटिक सिस्टम्ज ने भारत की पहली पूर्ण एवी, नोवस ड्राइव (देखें सफर का सिलसिला) का निर्माण किया है।
दुनिया की कई बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों का मानना है कि भविष्य में गाड़ियां बिना ड्राइवरों के चलेंगी। यूएसए में स्थित स्वतंत्र विचारक समूह, रीथिंकएक्स का कहना है कि वर्ष 2030 तक अमेरिकियों की 95 प्रतिशत यात्राएं एवी के जरिए होंगी जो उबर जैसी कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के रूप में होंगी। वर्ष 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन में प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी इंटेल ने भविष्यवाणी की थी कि एक ऐसी अर्थव्यवस्था का जन्म होगा जहां लोग अपनी गाड़ियां न चलाकर समय बचाएंगे।
उसने इसे यात्री अर्थव्यवस्था नाम देते हुए इसका मूल्य 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर बताया है जो भारत की जीडीपी का तिगुना है। केपीएमजी के ऑडिट में कहा गया है कि वर्ष 2050 तक कारों के स्वामित्व में 70 प्रतिशत की गिरावट आएगी।
कैसे काम करता है एवी
एवी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता है जो वाहन में मौजूद उपकरणों के जरिए आसपास का तुरंत डेटा प्राप्त करता है। इसमें दो प्रकार की प्रौद्योगिकियां हैं- पहला, जो लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग (लिडार) का इस्तेमाल करती हैं और अन्य जो इसका इस्तेमाल नहीं करती। लिडार वाहन के आसपास के वातावरण का विस्तृत तीन आयामी चित्र तैयार करने के लिए प्रकाश तरंगों का इस्तेमाल करता है। सड़क पर मौजूद निशानों को देखने के लिए कैमरों का इस्तेमाल किया जाता है जबकि वस्तु से दूरी की गणना करने के लिए कम रेंज की रेडार प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाता है।
इसके बाद वाहन में मौजूद कम्प्यूटर द्वारा इन आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है ताकि शहर के व्यस्त रास्तों पर कुशलता से चलने के लिए त्वरित निर्णय लिए जा सकें। वेमो लिडार आधार प्रौद्योगिकी का उदाहरण है। टेस्ला लिडार की बारीकियों का इस्तेमाल नहीं करती लेकिन इसके वाहन पूरी तरह से सेमी-ऑटोनॉमस कार्य करते हैं।
अमेरिका की सोसायटी फॉर ऑटोमोटिव इंजीनियर्स के अनुसार, ऑटोनॉमस प्रौद्योगिकियां विकास के विभिन्न चरणों में हैं तथा इन्हें 1 से 5 के बीच बांटा जा सकता है। हर स्तर पर वाहन की ऑटोनॉमस प्रकृति में बढ़ोतरी होती है। पहले स्तर पर प्रौद्योगिकी स्टीयरिंग और एक्सेलरेशन जैसे कार्यों में सहायता करती है जबकि बाकी कार्य वाहन चालक द्वारा नियंत्रित होते हैं।
दूसरे स्तर पर, वाहन चालक गाड़ी नहीं चलाता, गाड़ी में मौजूद कम्प्यूटर क्रूज नियंत्रण और लेन से संबंधित कार्य अपने हाथ में ले लेता है लेकिन आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए वाहन चालक को सतर्क रहना पड़ता है। तीसरे स्तर पर सुरक्षा समेत सारे कार्य प्रौद्योगिकी के हाथ में होते हैं। वाहन चालक का कार्य बीच-बीच में निगरानी करने तक सीमित रहता है। चौथे स्तर पर कार पूर्ण रूप से ऑटोनॉमस होती है लेकिन इसमें सभी संभावित परिस्थितियां शामिल नहीं होतीं। पांचवे स्तर पर एवी गाड़ी चलाने में मनुष्य जितनी ही सक्षम होगी।
चुनौतियां
परिवहन में कृत्रिम ज्ञान में इस्तेमाल को लेकर अनेक चुनौतियां हैं। चौथे और पांचवे चरण में एवी पर नियंत्रण करने का कोई रास्ता नहीं होता जिससे कारों की सुरक्षा को लेकर विवाद पैदा हो गए हैं। अप्रत्याशित स्थिति में एवी की निर्णय लेने की क्षमता पर भी सवालिया निशान लगा हुआ है। मनुष्य अपनी सहज बुद्धि से यह निर्णय कर सकते हैं लेकिन एवी के लिए यह कोड लिखना होगा।
कानूनी बाधाएं और जवाबदेही का सवाल भी है। एक ओर, कैलिफोर्निया राज्य ने हाल ही में आपातकालीन स्थिति में वाहन चालक की उपस्थिति के बिना एवी के संचालन की अनुमति दे दी है, वहीं दूसरी ओर, जर्मनी ने एक कानून लागू किया है जिसके तहत एवी में हर वक्त वाहन चालक का उपस्थित होना अनिवार्य है ताकि आपातकालीन स्थिति को संभाला जा सके। ब्रिटेन एवी के विनियमन के लिए कानून पर काम कर रहा है जिसके 2021 तक तैयार होने की उम्मीद है।
अमेरिका भी अपने सेफ्ली एन्श्योरिंग लाइव्स फ्यूचर डिप्लॉयमेंट एंड रिसर्च इन व्हीकल एवोल्यूशन लॉ या सेल्फ ड्राइव पर काम कर रहा है। अमेरिका स्थित रैंड कॉर्पोरेशन के व्यवहार वैज्ञानिक जेम्स एम एंडरसन का कहना है कि सामान्य विधि व्यवस्था में नई प्रौद्योगिकियों को शामिल करने की परंपरा रही है, लेकिन कुछ कानूनी प्रावधानों को बदलने की जरूरत है।
जैसे ही एवी को शामिल करने के लिए विभिन्न देश अपने परिवहन कानूनों में बदलाव करते हैं, आसान प्रौद्योगिकी उन्नयन से संभावित मौतों को रोका जा सकता है। आवाजों तथा रोशनी के जरिए एवी के आसपास मौजूद लोगों और अन्य वाहनों को इनकी उपस्थिति के संबंध में चेतावनी दी जा सकती है।
संभवतः इस पहल से शुरुआत की जा सकती है कि एवी को शहर के विभिन्न हिस्सों मे भिन्न प्रकार से स्वायत्तता दी जाए जो इस बात पर आधारित हो कि एवी को इनसे निपटने में कितनी परेशानी हो रही है। एंडरसन का कहना है “मेरा विचार है कि कंपनियां मानती हैं कि गाड़ी चलाना सामाजिक कार्य है तथा गाड़ी चलाने वालों और पैदल चलने वालों के बीच संपर्क एक देश के भीतर भी अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होता है लेकिन मैं इस बात को लेकर निश्चित नहीं हूं कि वे इस अंतर को कैसे दूर करेंगे।”
नियंत्रित परिस्थितियों में, जहां रास्ता तय है और अनिश्चितता कम है, वहां एवी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन वास्तविक दुनिया में एवी को गाड़ियों की भीड़भाड़, सड़क पर मौजूद चिन्हों और उन पर दिए गए चित्रों तथा चालकों और यातायात संचालकों के इशारों को समझने की चुनौती का सामना करना होगा। प्रौद्योगिकी को उतना सुदृढ़ होना होगा जितना मनुष्य होता है! रैंड के वाटर एंड क्लाइमेट रेजिलिएंस सेंटर के सह-निदेशक डेविड ग्रोव्स का कहना है कि समाज मनुष्य की गलती को सह लेता है लेकिन मशीन की गलती को नहीं।
अगर हम यह स्वीकार कर सकें कि शुरू में स्वचालित कारें गलतियां करेंगी- लेकिन मनुष्यों से कम- तो इनका विकास करने वाले आरंभिक विकास का इस्तेमाल स्वचालित प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाने में कर सकते हैं। एवी संभवतः उन उपस्थितियों में काम कर सकते हैं जहां मानव-चालित वाहनों पर प्रतिबंध है। तब सभी एवी एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगे तथा मनुष्यों से बेहतर आपस में बातचीत कर सकेंगे। इनमें से कुछ दूर रहकर वाहनों की आवाजाही की निगरानी कर सकते हैं, तथापि अधिकांश को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। यह अर्थव्यवस्था के किसी भी क्षेत्र में कृत्रिम ज्ञान की शुरुआत के साथ आने वाली सबसे बड़ी चिंता है।
दूसरी ओर, क्या एवी में लोग सुरक्षित महसूस करते हैं? अमेरिका ऑटोमोबाइल एसोसिएशन के अनुसार, 2017 में 63 प्रतिशत चालक पूर्ण स्वचालित वाहन चलाने में डरते थे जबकि इससे एक वर्ष पहले तक यह संख्या 78 प्रतिशत थी। इसका तात्पर्य है कि लोग स्वचालित कार के विचार को अपनाने लगे हैं, लेकिन यदि दुर्घटनाएं बंद नहीं होती तो जल्दी ही परिस्थिति बदल सकती है। यदि पूर्वानुमान सही साबित होते हैं और भविष्य में एवी हमारी यातायात व्यवस्था को पूरी तरह नियंत्रित कर लेते हैं तो यह न केवल प्रौद्योगिकीय विकास होगा बल्कि यह एक जगह से दूसरी जगह जाने को भी नए नजरिए से देखने के समान होगा।
We are a voice to you; you have been a support to us. Together we build journalism that is independent, credible and fearless. You can further help us by making a donation. This will mean a lot for our ability to bring you news, perspectives and analysis from the ground so that we can make change together.
India Environment Portal Resources :
Comments are moderated and will be published only after the site moderator’s approval. Please use a genuine email ID and provide your name. Selected comments may also be used in the ‘Letters’ section of the Down To Earth print edition.