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- जलवायु परिवर्तन के चलते बच्चों के भोजन में घट रही है विविधता, बढ़ रहा है कुपोषण
- 2050 में कार्बन डाईऑक्साइड अवशोषित करने के बजाय छोड़ेंगे जंगल
- भारत के दुधारू पशुओं को शिकार बना रही है एक घातक महामारी
- जग बीती: अन्नदाता का अनशन!
- कोरोना अपडेट: उत्तरप्रदेश में 10,080 मामले हैं सक्रिय, जानिए सभी राज्यों का हाल
- बड़े शहरों के मुकाबले गंगा के मैदानी इलाकों के छोटे शहरों में वायु गुणवत्ता सबसे खराब
- बैठे ठाले: पूस की भोर और हलकू
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- अगर ये चीजें खा रहे हैं आप तो हो सकते हैं मोटापा, बीपी, डायबिटीज के शिकार
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मनरेगा जरूरी या मजबूरी -6: बढ़ानी होगी रोजगार की गारंटी
मनरेगा जैसे रोजगार गारंटी कार्यक्रम ना केवल लोगों के घर में कुछ पैसा लाएगा और बाजार में भी डिमांड पैदा करेगा
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-5: 3.50 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता पड़ेगी
कोरोनावायरस की वजह से पैदा हुए हालात के बाद अर्थव्यवस्था को संभालने में मनरेगा योजना कितनी कारगर रहेगी, एक विश्लेषण-
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-4: 250 करोड़ मानव दिवस रोजगार हो रहा है पैदा
आरोप लगाया जाता है कि मनरेगा के तहत पैसा व्यर्थ किया जाता है, लेकिन हकीकत यह नहीं है
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-3: 100 दिन के रोजगार का सच
कोरोना काल में ग्रामीण क्षेत्र के लिए मनरेगा योजना कितना कारगर साबित हो रही है, डाउन टू अर्थ की खास रिपोर्ट-
क्या ‘मनरेगा’ में है कोरोनावायरस से पैदा हुए ग्रामीण संकट का जवाब
गांवों में आजीविका की गारंटी देने वाली इस स्कीम से न केवल लोगों को पैसे की मदद पहुंचती है, बल्कि जल संरक्षण का काम ...
भारत क्यों है गरीब-1: गरीबी दूर करने के अपने लक्ष्य से पिछड़ रहे हैं 22 राज्य
भारत में गरीबी गहराई से जड़ें जमा चुकी है। कुछ राज्यों को छोड़ दें तो ज्यादातर राज्य गरीबी दूर करने के लक्ष्य से दूर हैं। डाउन टू अर्थ ने इसके कारणों की पड़ताल के बाद रिपोर्ट्स की एक सीरीज तैयार की है। पढ़ें, पहली कड़ी-
भारत क्यों है गरीब-5: वैश्वीकरण से बढ़ रही है असमानता, अमीर हुए और ज्यादा अमीर
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वार्षिक बैठक से पहले जारी रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के 63 लोगों के पास सालाना बजट से ज्यादा ...
समावेशी विकास की ओर जाना होगा
सरकार अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने के लिए जितना काम करती है, परिस्थितियां लोगों को गैरकानूनी और अनौपचारिक व्यापार अपनाने को उतना मजबूर करती ...
सतत विकास लक्ष्य: भूटान, नेपाल, श्रीलंका से पीछे है भारत, पाक से आगे
सीएसई की स्टेट ऑफ एनवायरमेंट इन फिगर्स 2019 रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक सतत विकास लक्ष्य हासिल करने में भारत का नंबर 116वां है।
क्या नरवा, गरवा, घुरवा से सुधरेगी छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था
नीति आयोग की बैठक में जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने अपनी इस योजना का जिक्र किया तो पूरे देश का ध्यान इस ओर गया ...
लोकतंत्र के लिए कितनी सही हैं कॉरपोरेट पंचायत?
गैर सरकारी संगठन ट्वेंटी20 ने केरल के एक गांव में कॉरपोरेट पंचायत स्थापित की, लेकिन यह लोकतंत्र के लिए कितना सही और दीर्घकालिक होगा?
मानव विकास सूचकांक में एक पायदान लुढ़का भारत, 189 देशों की रैंकिंग में 131 वें स्थान पर पहुंचा
मानव विकास सूचकांक की 189 देशों की इस लिस्ट में भारत को 131 वां स्थान दिया गया है, जबकि पिछले वर्ष (2018 में) भारत को 130 वें स्थान पर रखा गया था
भूख का सामना कर रहे हर पांचवे अमेरिकी ने निभाई राष्ट्रपति चुनाव में भूमिका!
कोविड-19 महामारी से पहले अमेरिका में वर्ष 2019 में लगभग 10.5 प्रतिशत परिवार खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे
बिहार चुनाव में क्यों पीछे छूट गए असली मुद्दे
मानव विकास सूचकांक में आखिरी पायदान पर खड़े बिहार में आजीविका, पलायन, खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण जैसे सवालों का पीछे छूट जाना नाउम्मीद करता है
ग्रामीण भारत में स्वच्छ ईंधन अपनाने की गति क्यों है धीमी : अध्ययन
नए अध्ययन से पता चलता है कि ग्रामीण भारत में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन के उपयोग में कमी आ सकती है। इसका कारण उनका इस बात पर विश्वास करना है कि जलाऊ लकड़ी (फायरवुड) का उपयोग उनके ...
बिहार चुनाव में कितने प्रभावी रहे गरीबी और रोजगार के मुद्दे?
आज तय होगा कि बिहार के लोगों ने रोजगार, गरीबी जैसे मुद्दे को कितनी गंभीरता से लिया है
कोरोना आपदा: 21वें साल में क्या उत्तराखंड लिखने जा रहा है नई इबारत
पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 71 फीसदी प्रवासियों ने उत्तराखंड में अपनी आजीविका के साधन ढूंढ़ लिए हैं
बैठे ठाले: नोबेल का चुनाव
“एक बात समझ लीजिए, यह नोबेल दुनिया के लिए पुरस्कार है पर मेरे लिए इन्वेस्टमेंट है। बाकी आप समझदार हैं”