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- पीएम किसान सम्मान : 20 लाख से अधिक अपात्र लोगों को भेजी गई 1,364 करोड़ रुपए की धनराशि
- जलवायु परिवर्तन के चलते बच्चों के भोजन में घट रही है विविधता, बढ़ रहा है कुपोषण
- 2050 में कार्बन डाईऑक्साइड अवशोषित करने के बजाय छोड़ेंगे जंगल
- भारत के दुधारू पशुओं को शिकार बना रही है एक घातक महामारी
- जग बीती: अन्नदाता का अनशन!
- कोरोना अपडेट: उत्तरप्रदेश में 10,080 मामले हैं सक्रिय, जानिए सभी राज्यों का हाल
- बड़े शहरों के मुकाबले गंगा के मैदानी इलाकों के छोटे शहरों में वायु गुणवत्ता सबसे खराब
- बैठे ठाले: पूस की भोर और हलकू
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- अपराध है शहद में चीनी की मिलावट
- मीठा जहर: शहद में मिलावट के काले कारोबार का खुलासा
- इम्यूनिटी की समझ : कितनी आसान, कितनी मुश्किल ?
- कोविड-19 को शरीर में फैलने से रोक सकता है प्रोटीन 'पेप्टाइड'
- क्या कोविड-19 के खतरे को सीमित कर सकती है 13 हफ्तों की सामाजिक दूरी
- पर्यावरण प्रदूषित कर रहे यूपी के पॉल्ट्री फार्म, पांच साल पुरानी गाइडलाइन लागू करेगा यूपीपीसीबी
- “द चंपा मैन”: केबीसी विजेता सुशील कुमार की नई पहचान
- अगर ये चीजें खा रहे हैं आप तो हो सकते हैं मोटापा, बीपी, डायबिटीज के शिकार
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फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: लहसुन तक चीन से आने लगा तो क्या करे किसान?
दूसरे देशों से आ रही खाने पीने की चीजों का सीधा असर किसानों पर पड़ा है। पिछले कुछ सालों में भारतीय बाजार में लहसुन का पेस्ट छा गया है। ऐसे में किसान लहसुन की खेती तक छोड़ने लगे हैं
खुशहाली मापने का आधार नहीं है बढ़ती जीडीपी
दुनिया को धीरे-धीरे एहसास हो रहा है कि आय अथवा जीडीपी से खुशहाली नहीं मापी जा सकती, भारत के उदाहरण से भी इसे समझा ...
सरकार अपनी छवि चमकाने के लिए आंकड़ों से क्यों खेल रही है?
जहां एक तरफ आंकड़ों को जारी होने से रोका जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकारी संवाद आंकड़ों पर आधारित हो रहा है
आरटीआई पर सरकार की नीयत कभी ठीक नहीं रही
आरटीआई ने ही पहली बार देश की अधिकांश आबादी को असली मालिक होने का अहसास दिलाया और जनता ने भी इस अधिकार के प्रयोग ...
सबसे जमीनी विपणन प्रणाली का हिस्सा हैं हाट
हाट बाजार त्योहारी, एकता और सशक्तिकरण के प्रतीक
भारत को फिर से बुलंद करना होगा गरीबी हटाओ का नारा
केवल गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों के लिए गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाने से कुछ नहीं होगा, सभी गरीबों के लिए व्यापक कार्यक्रम शुरू करने होंगे
आत्महत्या करने वालों में एक चौथाई दिहाड़ी मजदूर: एनसीआरबी
एनसीआरबी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में आत्महत्या करने वालों में 66 फीसदी ऐसे हैं, जिनकी आमदनी 278 रुपए प्रतिदिन से कम थी
महामारी के वक्त कृषि क्षेत्र ने बनाई बढ़त, आर्थिक विकास में उद्योग से ज्यादा हिस्सेदारी
जून तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जिसमें ...
बड़ी पड़ताल: उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन, कितना टिकाऊ?
पांच साल के अंतराल में खींची गई इन दो तस्वीरों में एक मामूली अंतर है। दूसरी तस्वीर में न केवल दो लोग अतिरिक्त हैं, ...
डीबीटी: गरीब और किसानों के लिए कितनी फायदेमंद
कोविड-19 वैश्विक आपदा के समय में डीबीटी यानी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण का इस्तेमाल बढ़ा है, लेकिन क्या यह फायदेमंद रहा?
भारत में औसत से 50% तक कम कमाते हैं घर से काम करने वाले कामगार: आईएलओ
आईएलओ के अनुसार लॉकडाउन से पहले करीब करीब 26 करोड़ लोग घर से काम करते थे, लॉकडाउन के बाद इनकी आबादी में बड़ी तेजी से इजाफा हुआ है
2020-21 में जीडीपी में 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान, कृषि में होगी वृद्धि
एनएसओ की रिपोर्ट बताती है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है
गोवा की 25 फीसदी खनन पर निर्भर आबादी जीवन जीने के लिए कर रही है संघर्ष : रिपोर्ट
गोवा में खनन क्षेत्र एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि और आय का स्रोत था, क्योंकि इससे 60 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई थी
कोविड-19 लॉकडाउन: 28 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कमरे के किराये के लिए किया गया परेशान
हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क ने दिल्ली में काम करने वाले अलग-अलग राज्यों के लोगों पर सर्वेक्षण किया
कोविड-19 लॉकडाउन भले खत्म हो जाये, लेकिन गरीब भूखे ही रहेंगे
11 राज्यों के गरीब व कमजोर तबके से जुड़े 4000 लोगों पर सर्वे किया गया, दो तिहाई ने कहा कि उन्हें कम खाना मिल रहा है
बिहार चुनाव परिणाम: तो फिर किन मुद्दों पर लोगों ने दिया वोट
मुद्दों के मामले में बिहार चुनाव परिणाम ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाया है, लेकिन जमीन पर इन मुद्दों ने भी काम किया
अक्टूबर में 7 फीसदी के करीब पहुंची भारत की बेरोजगारी दर
अक्टूबर के महीने में बेरोजगारी दर 6.98 फीसदी दर्ज की गई है
बिहार चुनाव: न मनरेगा, न गरीब कल्याण रोजगार योजना आई काम
बिहार के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है, जबकि पहले से लागू योजनाएं सिरे नहीं चढ़ पाई