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जीडीपी

आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22: यहां पढिए सरकार ने सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के लिए क्या कहा

समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले एक दशक के दौरान भारत के वन क्षेत्र में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है।

रोजगार

कोविड-19 की तीसरी लहर: मजदूरों के लिए इधर कुआं, उधर खाई

शहरी श्रम बाजारों में काम की तंगी, गांवों में भी रोजगार का संकट

रोजगार

2022 में 20.7 करोड़ होंगें बेरोजगार, स्थिति में सुधार के लिए करना होगा अभी और इंतजार

2019 में यह बेरोजगारों का यह आंकड़ा 18.6 करोड़ था। इसका मतलब है कि तब से लेकर 2022 के बीच इसमें 11 फीसदी यानी ...

रोजगार

रिपोर्टर्स डायरी में दर्ज मजबूर प्रवासी श्रमिक : महासंकट में फिर लौट आए महानगर

देश में जब पहला सख्त राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगा तो पलायन को मजबूर मजदूरों की दुर्दशा को डाउन टू अर्थ ने पैदल चल कर अपनी ...

जीडीपी

कोरोना महामारी: इलाज पर बढ़े खर्च ने 50 करोड़ लोगों को गरीबी की ओर धकेला

यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज दिवस के मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की

जलवायु परिवर्तन से बिगड़ती अर्थव्यवस्था की सेहत, तीन डिग्री सेल्सियस से जीडीपी को लगेगी दस फीसदी की चोट

रिसर्च के मुताबिक इसका सबसे ज्यादा खामियाजा कमजोर और गर्म जलवायु वाले देशों को भुगतना पड़ेगा, जहां जीडीपी को 17 फीसदी तक की चपत लग सकती है

सिविल सोसायटी सर्वे का दावा, राजस्थान में सरकार बदलने के बाद बंद हुईं कल्याणकारी योजनाएं

राजस्थान के 25 संसदीय क्षेत्रों में से 16 क्षेत्रों में 3,968 लोगों पर यह सर्वे किया गया

बंधुआ मजदूरों की तरह काम करते हैं ईंट भट्ठा मजदूर, 10 माह तक नहीं जा सकते घर

भट्ठों पर मजदूरी का हिसाब व भुगतान सीजन के अंत में ही होता है। जहां इनके राशन के पैसे भी काट लिए जाते हैं

कहीं बोझ ना बन जाए युवा, मौका भुनाने के लिए कौशल विकास पर देना होगा ध्यान

भारत को अगले एक दशक तक अपनी आबादी का फायदा मिलेगा, लेकिन इस मौके को भुनाने के लिए कौशल विकास में पंख लगाने की जरूरत है

रोजगार संबंधी कारणों से दिल्ली के 87 फीसदी से अधिक पुरुष करते हैं पलायन

रोजगार संबंधी कारणों से प्रवास करने वाले पुरुषों के मामले में दिल्ली अव्वल है, जहां 87.1 फीसदी पुरुषों ने रोजगार की वजह से पलायन किया

मतदाता बिन मतदान: वेतन है कम, सफर हुआ महंगा तो मतदान के लिए कैसे लौटें प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजूदरों का कहना है कि उनका लोकतांत्रिक अधिकार सुनिश्चित करने के लिए सरकारों को उनके लौटने का इंतजाम करना चाहिए

भारत में एक दशक से घट रही है नियमित वेतन पाने वालों की कमाई

इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 के मुताबिक कृषि क्षेत्र में 40.8 फीसदी नियमित और 51.9 फीसदी आकस्मिक श्रमिकों को अकुशल श्रमिकों जितना न्यूनतम मेहनताना भी नहीं मिल रहा है