उत्तराखंड में खाये जाने वाले पीसी लून (नमक) की मांग तेजी से बढ़ रही हैं। जो स्वाद के साथ-साथ औषधीय गुणों से भरपूर है।
नमक किसी भी खाने के स्वाद को बढ़ा देता है। लेकिन क्या इस नमक में अतिरिक्त रंग और ताजगी जोड़ी जा सकती है? क्या इसका स्वाद और बेहतर किया जा सकता है? उत्तराखंड के लोगों से ये सवाल पूछें और वे आपको ऐसा करने के असंख्य तरीके बताएंगे। देहरादून की विमला रावत कहती हैं, “मुझे याद है कि मेरी मां तरह-तरह के नमक तैयार करती थी। हम इसे पीसी लून कहते हैं।
जड़ी-बूटी और मसालों के साथ पीसी नमक तैयार होता है। मेरा हमेशा से पसंदीदा नमक रहा है डैनडूसा, जो सरसों और मिर्च के साथ बनाया जाता था और जिसका स्वाद तीखा होता था। सर्दियों में मां रोटी पर घी लगाकर उसमें डैनडूसा मिलाकर हमें रोल बनाकर देती थी। गर्मी में वह चाट बनाने के लिए इसे फलों पर छिड़कती थी।” देहरादून के शिवनगर इलाके की रेखा कोठारी कहती हैं कि इस क्षेत्र के ज्यादातर लोग मडुआ की चपाती या चावल के साथ पीसी लून का इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि इस बारे में बहुत कम ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध हैं कि कैसे और कब यह मसालेदार लून पहाड़ी व्यंजनों का हिस्सा बन गया। फिर भी लोग इस बारे में अपने-अपने सिद्धांत देते हैं। वे कहते हैं कि पहाड़ों में लोग सर्दियों में कम पानी का सेवन करते हैं। चूंकि नमक प्यास बढ़ाता है, इसलिए इसे आहार का हिस्सा बनाना हाइड्रेशन सुनिश्चित करने का एक तरीका हो सकता है। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो मानते हैं कि यह जड़ी-बूटियों को दैनिक आहार में शामिल करने का एक तरीका है।
लहसुन, जीरा, अदरक और कैरम के बीज, जो पाचन में सहायता करते हैं, पीसी लून के सामान्य तत्व हैं। हालांकि, कोठारी कहती हैं कि पीसी लून का स्वाद इसकी लोकप्रियता का कारण है। वह बताती हैं, “कई घरों में यह एक साइड डिश के रूप में परोसा जाता है, विशेष रूप से ऐसे मौसम के दौरान जब सब्जी की आपूर्ति बहुत कम हो जाती है।” दिन में घर का काम खत्म करने के बाद, कोठारी विभिन्न स्वादों वाले पीसी लून तैयार करने के लिए अपने सिलबट्टे पर काम करती हैं। पहले वह इसे अपने परिवार के लिए तैयार करती थीं। इन दिनों मांग बढ़ने पर पहाड़ों के अलावा दूसरे राज्यों में भी वह इसकी आपूर्ति करती हैं।
@नमकवाली
यह कोठारी का इंस्टाग्राम हैंडल है। उनका सुगंधित नमक देहरादून के एक गैर-लाभकारी महिला नवजागरण समिति (एमवीएस) के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच गया है। उनके मुताबिक, “एमवीएस मुझे कच्चे माल की आपूर्ति करती है और 1 किलो पीसी लून तैयार करने के लिए मुझे 100 रुपए का भुगतान करती है। इससे न केवल मेरी आय में इजाफा हुआ है बल्कि मुझे सम्मान भी मिला है। कई अन्य लोग अब मुझसे पीसी लून के के लिए संपर्क करते हैं।”
पास के हल्द्वानी शहर में राकेश जोशी और उनकी पत्नी किरण एक स्वयं सहायता समूह चलाते हैं जो 10 प्रकार के स्वाद वाले नमक तैयार करते हैं। किरण बताती हैं, “हमने हाल के मेले में उत्पादों का प्रदर्शन किया और लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली। हरा धनिया, पुदीना और लहसुन का मिश्रण से बना नमक सबसे तेजी से बिका।”
पीसी लून की क्षमता को महसूस करते हुए, दो ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं ने सुगंधित नमक बेचना शुरू कर दिया है। पहाड़ी विरासत विक्रेता भांग का नमक और लहसुन का नमक बेचता है, जबकि इजाफूड चार स्वादों का नमक बेचता है। इजाफूड्स के सह-मालिक बीरेंद्र मटियाली कहते हैं कि इस पारंपरिक पाक कला के माध्यम से गांव की महिलाओं को आजीविका का अवसर सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने खिरना-अल्मोड़ा राजमार्ग पर काकीहाट गांव के हिमालयन फ्लेवर्ड साल्ट्स के साथ हाथ मिलाया है। यह कंपनी आसपास के क्षेत्रों में महिला किसानों से मसाले और जड़ी-बूटी लेती है।
हिमालयन फ्लेवर्ड साल्ट्स स्थापित करने वाली दीपा खानयात नेगी की मानें तो, “लाखोरी पीली मिर्च नमक एक देसी व पहाड़ी मिर्ची से बनता है और इसका नाम अल्मोड़ा जिले के एक गांव लाखोरा के नाम पर रखा गया है। जब से हमने इसकी खरीद शुरू की है, नैनीताल के आसपास के गांवों में ये मिर्च उगाई जा रही है। वह कहती हैं, “आसपास के गांवों में महिलाओं ने हमारी मांग के बाद पुदीना, धनिया, अदरक, लहसुन, तिल, भांग के बीज और भांगजीरा मसाला उगाना शुरू कर दिया है। हम सीधे किसानों से उपज खरीदते हैं, ताकि वे परिवहन लागत पर बचत करें।”
एक कदम आगे बढ़ते हुए अब इजाफूड्स यह पता लगा रहा है कि पैकेज्ड टेबल सॉल्ट से बने उत्पादों को बेचना है या उन रॉक और सी साल्ट से बने उत्पादों को जो पारंपरिक रूप से पहाड़ी व्यंजनों में इस्तेमाल किए जाते थे। मटियाली कहते हैं, “चूंकि पैकेज्ड नमक आसानी से उपलब्ध होता है और पाउडर के रूप में आता है, इसलिए ज्यादातर लोग इसे पीसी लून में इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।” कुछ अध्ययनों से उन्हें पता चला है कि सेंधा नमक सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरा हुआ है।
हिमालयन पिंक नमक में 88 माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं और टेबल सॉल्ट का उपयोग करने वाले इन लाभों से वंचित रह जाते हैं। प्रोसेस्ड नमक में इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है। रावत का सुझाव है कि अनप्रोसेस्ड नमक से बनी पीसी लून का सेवन करना चाहिए। यह न केवल मसाले की बनावट को बेहतर बनाता है, बल्कि इसके स्वाद और सुगंध भी बढ़ा देता है।
व्यंजन
सामग्री
लहसुन का नमक सामग्री
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पुस्तक
लेखक: विलियम कुक प्रकाशक: रॉकवुड पब्लिशिंग पृष्ठ: 132 | मूल्य: 529 रुपए इस किताब में हिमालयन नमक की क्षमता और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को बेहद सरल भाषा में लिखे आलेखों द्वारा रेखांकित किया गया है, ताकि पाठक हिमालय पर पाए जाने वाले नमक के प्रकारों को न सिर्फ पहचान सके, बल्कि उसके उपयोगों को भी जान सके। इस किताब में नमक से बनने वाले व्यंजनों के साथ ही इसके औषधीय उपयोग के बारे में बताया गया है। |
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