अपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान न होने पर बिहार के लोग निरंतर चुनाव बहिष्कार कर रहे हैं।
शिशिर सिन्हा, पटना
आम चुनाव के चार चरणों में बिहार के लोगों ने अलग-अलग कारणों से चुनाव का बहिष्कार किया है। चौथे चरण के दिन 29 अप्रैल को भी कई इलाकों से चुनाव बहिष्कार की खबरें आईं। ज्यादातर इलाके के लोग अपने क्षेत्र के विकास को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
23 अप्रैल को खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के बेलदौर विस क्षेत्र के तौफिर गढ़िया बूथ पर वोटरों ने 'रोड नहीं, तो वोट नहीं' का नारा बुलंद करते हुए चुनाव का बहिष्कार किया। इसी लोकसभा क्षेत्र के परबत्ता में नवटोलिया मध्य विद्यालय के एक बूथ से जुटे बूथ पर ज्यादातर लोग वोट देने नहीं आए। यहीं इंदिरानगर व धनखेता के लोगों ने भी सड़क के लिए ही वोट बहिष्कार किया।
खगड़िया की तरह इससे पहले जिन लोकसभा क्षेत्रों में वोट बहिष्कार का एलान हुआ, उसमें करीब 20 फीसदी बूथों पर ही निर्वाचन आयोग या प्रत्याशियों के कार्यकर्ताओं की मेहनत से लोग वोट डालने को राजी हो सके हैं। बिहार में शुरुआती चरण में किशनगंज जैसी सीटों पर मतदान हुआ। किशनगंज में पाठामारी प्रखंड के दल्ले गांव में मेची नदी पर पुल की दशकों पुरानी मांग पूरी नहीं होने के कारण वोट बहिष्कार किया। तमाम प्रयासाें के बावजूद प्रशासन और पुलिस के अधिकारी लोगों को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए राजी नहीं कर सके। यहां के पूर्व उप प्रमुख धनीलाल गणेश कहते हैं कि जब हमारे वोट का मोल ही नहीं, तो ऐसे चुनाव में भाग क्यों लें। इलाके के छह वार्डों ने वोट बहिष्कार किया। इसी दौरान कटिहार के मनिहारी में गांधीटोला के बूथ 139 और 140 पर गंगा कटाव के स्थायी निदान के मुद्दे पर वोट बहिष्कार हुआ था।
गया लोकसभा सीट का महत्व सभी जानते हैं। यहां बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और महागठबंधन के बड़े नेता जीतनराम मांझी की प्रतिष्ठा दांव पर है, लेकिन यहां भी वोट बहिष्कार को मैनेज करना चुनाव आयोग के लिए संभव नहीं हुआ। लोकसभा क्षेत्र के शेरघाटी में बेला गांव में वोट बहिष्कार हुआ। परैया प्रखंड के करहट्टा पंचायत में सिकंदरपुर में ‘रोड नहीं, तो वोट नहीं’ के साथ वोट बहिष्कार हुआ। पीराचक, कोंच प्रखंड के सीताबिगहा और कल्याणपुर, इमामगंज के लुटुआ पंचायत में गेजना आदि के वोटरों ने भी ऐसी ही मांग को सामने रखते हुए वोट बहिष्कार किया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जिस नवादा में बहुत काम करने की बात कहते हुए वहां से बेगूसराय शिफ्ट किए जाने पर बिफरे हुए थे, वहां रोड के लिए वारिसलीगंज विस क्षेत्र के बलियारी बडीहा, गोविंदपुर विस के बजबारा, रजौली विस के बूथ 290 पर वोट बहिष्कार की खबर से निर्वाचन आयोग परेशान रहा। हिसुआ में नरहट प्रखंड के बाजितपुर में एक बूथ पर भी इसी मुद्दे को लेकर पोलिंग नहीं हुई।
बिहार के भागलपुर लोकसभा सीट पर प्रदेश में सत्तारूढ़ एनडीए, खासकर जदयू की प्रतिष्ठा दांव पर है। जदयू ने यह सीट भाजपा से छीनी है और राज्य में किए काम को लेकर खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक से एक दावे करते हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि भागलपुर के गोपालपुर विधानसभा में छह बूथों पर पांच हजार लोगों ने वोट सिर्फ इसलिए नहीं दिए कि उन्हें अपने लिए सड़क चाहिए। भागलपुर के साथ ही बांका संसदीय सीट पर भी मतदान हुआ था। यहां 'विकास नहीं, तो वोट नहीं' के नारे के साथ अमरपुर के धिमड़ा, धोरैया के झिटका और पंजवारा के चंडीडीह में वोटरों ने लोकतंत्र के महापर्व का बहिष्कार किया।
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