पेप्सिको इंडिया के द्वारा आलू की किस्म पर अपने अधिकार सुरक्षित करने के खिलाफ किसानों ने सत्याग्रह शुरू किया है, इससे पहले पेप्सिको ने किसानों से 1.05 करोड़ रुपए का हर्जाना भी मांगा था
बहुराष्ट्रीय कंपनी पेप्सिको इंडिया के द्वारा 19 सितंबर को आलू की किस्म पर अपने अधिकार सुरक्षित करने के खिलाफ गुजरात के किसानों ने सत्याग्रह शुरू किया है। किसानों ने विरोधस्वरूप आलू की यही किस्म एफसी-5 उगाना शुरू कर दिया है।
भारतीय किसान संघ के राज्य अध्यक्ष विट्ठल भाई ने राज्य के 10 जिलों के किसानों को इस विरोध के लिए एक साथ किया है जो एफसी-5 की किस्म उगाएंगे। विट्ठल भाई इस सत्याग्रह को लेकर कहते हैं, "पिछले चार दिनों में 500 से अधिक किसान आलू की इस किस्म को उगाने के लिए आगे आए हैं और इसके लिए उनके संगठन ने बीज की आपूर्ति की है।" दूसरे किसान संगठन जैसे गुजरात खेदूत समाज और गुजरात खेदूत किसान सभा ने भी इस मुहिम का समर्थन किया है।
गुजरात के अलग-अलग हिस्सों के किसान या तो छुपाकर या अनजाने में आलू की इस किस्म को उगा रहे हैं। किसानों के संगठनों ने उन किसानों से इसका बीज इकट्ठा कर इस विरोध में शामिल होने के इच्छुक राज्य के दूसरे हिस्से के किसानों को दे रहे हैं।
पेप्सिको ने अप्रैल में किसानों पर किया था मुकदमा
आलू की एफसी-5 किस्म पेप्सिको के नाम पौधे की किस्म की निगरानी संस्था 'पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवीएफआरए) के पास है। इस संस्था की स्थापना पौधों की किस्मों को बचाने, किसानों के अधिकारों के संरक्षण और नई किस्में तैयार करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। किसान संगठनों के इस कदम के बाद आलू की खेती का यह विवाद एक बार फिर गहरा गया है। पहली बार यह मामला इस वर्ष अप्रैल में सामने आया था, जब पेप्सिको इंडिया ने चार किसानों के खिलाफ 1.05 करोड़ रुपए का पौधा की किस्म पर उनके अधिकारों के हनन का मामला दर्ज कराया था।
खाद्य और पेय पदार्थ बनाने वाली इस बड़ी कंपनी ने आरोप लगाया था कि किसानों ने लेयज चिप्स में इस्तेमाल होने वाले आलू उगाकर कंपनी के अधिकारों का उल्लंघन किया है।
इस घटना के बाद गुजरात के अलावा दूसरे राज्यों के किसान संगठनों ने पेप्सिको इंडिया के खिलाफ किसानों के खिलाफ किए गए मुकदमे वापस लेने की मुहीम छेड़ दी। गुजरात सरकार के दखल और आम लोगों के गुस्से के बाद कंपनी ने मुकदमा वापस ले लिया था लेकिन बावजूद इसके यह मामला अनसुलझा ही रहा।
अलायंस फोर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर (आशा) ने पीपीवीएफआरए को एक आवेदन देकर आलू की इस किस्म पर पेप्सिको को दिए गए एकाधिकार को वापस लेने की मांग की। विट्ठल भाई कहते हैं कि पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण एक्ट की धारा 34(एफ) के मुताबिक अगर पौधा की किस्म इजाद करने वाला कानून के नियमों का पालन नहीं करता तो उसके उस खास किस्म पर अधिकारों को खत्म भी किया जा सकता है।
इस आवेदन के जवाब में 19 सितंबर को पेप्सिको इंडिया ने एक बार फिर आलू की एक दूसरी किस्म एफएल 2027 के ऊपर अपना दावा किया, जैसा कि एफसी 5 को ट्रेडमार्क कराया गया था। आलू की यह किस्म बड़ी या इसके सामान आकार की है जो कि उद्योगों के लिए लेयज चिप्स बनाने के लिए मुफीद है।
आशा की संयोजक कविता कुरुग ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में कहा कि वे इस मामले में अपना पक्ष एक या दो सप्ताह के भीतर रखेंगी। किसानों ने पेप्सिकों के ऊपर आरोप लगाया है कि इस कंपनी ने एफसी-5 आलू की किस्म पर गलत तरीके ब्रीडर सर्टिफिकेट पा लिया जिसे रद्द किया जाना चाहिए।
किसान नेता कपिल भाई शाह कहते हैं कि आलू की यह किस्म किसानों के द्वारा पहले से ही उगाई जा रही है, लेकिन पेप्सिको ने इसका रजिस्ट्रेशन गलत जानकारी और कुटिल तरीकों से अपने नाम करवा लिया।
बंगलुरु में गुलाब की किस्म पर हुआ था विवाद
एक मिलते जुलते मामले में पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण ने गुलाब की एक किस्म माइफ्लेमिंग को मोइहेमिन एंड रोजेज एंड ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेच लिमिटेड से वापस ले लिया। इसे वापस लेने के लिए इंटरनेशनल फ्लावर ऑक्शन बंगलुरु ने आवेदन दिया था।
शाह ने समझाते हुए बताया कि पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण एक्ट की धारा 28 पौधे की किस्म इजाद करने वाले को विशेष अधिकार देती है, लेकिन धारा 39 के मुताबिक अगर किसानों ने इस किस्म का विकास किया है तो पौधों को उगाने और बेचने का अधिकार किसानों को भी है। शाह कहते हैं कि उन्हें आशा है कि इस मामले में किसानों की जीत होगी।
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