Health

टीबी से बचाव के लिए आईसीएमआर कर रहा है टीकों का परीक्षण

आईसीएमआर के शोधकर्ताओं ने अब दो ऐसे टीकों का परीक्षण शुरू किया है जो टीबी से बचाव में मददगार हो सकते हैं।

 
By Umashankar Mishra
Published: Tuesday 16 July 2019
Photo: Creative commons

टीबी या क्षय रोग एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो मरीज के संपर्क में आने से दूसरे लोगों में भी फैल सकती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के शोधकर्ताओं ने अब दो ऐसे टीकों का परीक्षण शुरू किया है जो टीबी से बचाव में मददगार हो सकते हैं।

आईसीएमआर ने सोमवार को इन दोनों टीकों के परीक्षण के लिए मरीजों का पंजीकरण शुरू कर दिया है। यह टीका ऐसे लोगों को टीबी के संक्रमण से बचाने में उपयोगी हो सकता है जिनके परिवार का कोई सदस्य पहले से टीबी की बीमारी से ग्रस्त है।

टीबी के बढ़ते दायरे को देखते हुए इस बीमारी से बचाव के लिएजिनटीकों का परीक्षण किया जा रहा है उनमें से एक वीपीएम1002 है, जिसे पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है। जबकि, दूसरा टीका एमआईपी है। परीक्षण में अधिकतर ऐसे लोग शामिल होंगे जिनके परिवार में कोई सदस्य टीबी से पीड़ित है ताकि अन्य लोगों में भी संक्रमण का पता लगाया जा सके।

इन टीकों के परीक्षण छह राज्यों दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगानामें सात स्थानों पर किए जाएंगे। दो अलग-अलग समूहों में तीन वर्षों तक किए जाने वाले इन परीक्षणों में 12 हजार लोग शामिल होंगे। एक समूह पर किए गए टीके के गुणों की तुलना दूसरे समूह के लोगों से की जाएगी, जिन पर टीके का परीक्षण नहीं किया गया है।

दिल्ली-एनसीआर में किए जाने वाले इन परीक्षणों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), सफदर जंग अस्पताल, बल्लभगढ़ स्थित एम्स सेंटर और महरौली स्थित राष्ट्रीय क्षय एवं श्वसन रोग संस्थान (एनआईटीआरडी) में आने वाले मरीज शामिल होंगे।

आईसीएमआर की वैज्ञानिक डॉ मंजुला सिंह ने बताया कि “भारत में टीबी के मरीजों की संख्या दुनिया में सर्वाधिक है। टीबी के मरीजों से संक्रमण उनके परिजनों के अलावा दूसरे लोगों तक पहुंच सकता है। यह बीमारी इसी तरह लगातार तेजी से बढ़ती रहती है और कई बार गंभीर रूप धारण कर लेती है। इसीलिए दो टीकों का परीक्षण किया जा रहा है।”

एनआईटीआरडी के निदेशक डॉ रोहित सरीन ने बताया कि “इस अध्ययन को भारतीय नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार सभी तरह के वैधानिक निकायों की मंजूरी मिल गई है।सबसे पहले एनआईटीआरडी में यह परीक्षण शुरू किया गया है। धीरे-धीरे अन्य केंद्रों पर भी इसकी शुरुआत की जाएगी और अगले 7-8 महीनों में पंजीकरण का कार्य पूरा होने की उम्मीद है।”

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि “टीबी के टीके को विकसित करने के पीछे मकसद बीमारी की रोकथाम के साथ-साथ इसका उन्मूलन करना है। ये परीक्षण इस लक्ष्य को हासिल करने और टीबी से लड़ने के वैश्विक प्रयासों को मजबूती प्रदान करने में मददगार हो सकते हैं।”(इंडिया साइंस वायर)

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