हिमालय की ऊंची चोटियों के बीच बसा करीब साढ़े तीन लाख की आबादी वाला ये जिला आज अपने कचरे के पहाड़ को ढोने के लिए बेबस है। कचरे को निपटाने का जब कोई उपाय नहीं सूझता तो नदियों को ही कचरा ढोनेवाली गाड़ी बना दिया जाता है
प्रकृति की अथाह खूबसूरती के बीच बसा, ऊंचे पहाड़ों, बुग्यालों, पौराणिक मंदिरों, गंगा-यमुना नदियों का उद्गम है उत्तरकाशी। हिमालय की ऊंची चोटियों के बीच बसा करीब साढ़े तीन लाख की आबादी वाला ये जिला आज अपने कचरे के पहाड़ को ढोने के लिए बेबस है। कचरे को निपटाने का जब कोई उपाय नहीं सूझता तो नदियों को ही कचरा ढोनेवाली गाड़ी बना दिया जाता है।
आज के समय में उत्तरकाशी की सबसे बड़ी समस्या ये है कि शहरभर से जमा कूड़े का ढेर कहां डालें? कचरा निपटाने का कोई बंदोबस्त आज तक नहीं हो सका है। स्वच्छ भारत मिशन यहां महज एक नारा भर साबित हो रहा है। उत्तरकाशी नगरपालिका पानी से लकदक तेखला गदेरे के पास कूड़ा डंप करती थी। कूड़ा गेदरे के पानी को मैला करता था और फिर बहकर सीधा भागीरथी नदी में मिल जाता था। भागीरथी ही आगे चलकर देवप्रयाग में अलकनंदा नदी के साथ मिलकर गंगा कहलाती है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने 13 नवंबर 2018 को तेखला गदेरे में कूड़ा डालने पर रोक लगा दी। इसके बाद जिला प्रशासन और नगर पालिका की मुश्किलें बढ़ गईं। नगर पालिका के पास अपनी कोई जमीन है नहीं। जिला प्रशासन ने फौरी तौर पर शहर के बीचों बीच बने रामलीला मैदान में कूड़ा डालने की जगह सुनिश्चित की। जब यहां कूड़े का पहाड़ बनने लगा और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो तीस ट्रकों में कूड़ा भरकर रवाना किया गया। स्थानीय अखबार ने एक दिसंबर को रिपोर्ट दी कि इन तीस ट्रकों में भरा कूड़ा सीधा भागीरथी में उड़ेल दिया गया। इसके बाद ज़िला प्रशासन के हाथ-पांव फूल गये। देहरादून में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने उत्तरकाशी नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी को निलंबित कर दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश भाई बताते हैं कि तीस ट्रक कचरा भागीरथी में उड़ेला गया। बिना जिला प्रशासन को साथ लिए नगर पालिका इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं कर सकता। वे कहते हैं कि जब यहां कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था है ही नहीं, तो कचरा जाएगा कहां। मजबूरन नगर पालिका की गाड़ियां नदियों के आसपास कचरा फेंक आती हैं। सुरेश भाई कहते हैं कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए कार्य कर रही कंपनियां गोमुख से कचरा उठाकर नगर पालिका को दे देती हैं। नगर पालिका कुछ समय तक इसे इकट्ठा रखती है और फिर नदियों के ईर्द-गिर्द उड़ेल देती है।
जिला सूचना अधिकारी जीएस बिष्ट बताते हैं कि जिला प्रशासन ने कंछैर गांव में कचरा फेंकने के लिए नई जगह का चयन किया है। लेकिन कंछैर के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। रामलीला मैदान में माघ मेले की तैयारियां चल रही हैं। इसलिए अब वहां कूड़ा नही डाला जा सकता।
उत्तरकाशी की कचरे की समस्या अब भी बरकरार है। बाड़ाहाट नगर पालिका अध्यक्ष रमेश सेमवाल कहते हैं कि जहां भी कचरा डालने के लिए ज़मीन का चयन किया जा रहा है, लोग विरोध में सामने आ रहे हैं। दिसंबर में पालिका अध्यक्ष पद की शपथ लेने वाले सेमवाल कहते हैं कि उनकी योजना वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने की है। ताकि इकट्ठा किये गये कचरे का वैज्ञानिक तरीके से दोहन किया जा सके। उससे खाद या बिजली बनाने का कार्य शुरू किया जा सके।
नगर पालिका अध्यक्ष रमेश सेमवाल नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर सवाल उठाते हैं। वे बताते हैं कि उत्तरकाशी के सारे नाले सीधा गंगा में मिलते हैं। जब अपने मायके में ही गंगा इतनी मैली है तो आगे क्या हाल होगा। नमामि गंगे के तहत यहां एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बना। उनके मुताबिक जब प्रोजेक्ट के अधिकारियों से बात की जाती है तो वे पैसों की कमी का रोना रोते हैं और कहते हैं कि नमामि गंगे का सारा पैसा टेलिविज़न पर ऐड दिखाने में ही खर्च हो रहा है, उनके पास तो वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं। सेमवाल बताते हैं कि उत्तरकाशी में नमामि गंगे का साठ फीसदी से अधिक काम बचा है। सीवर लाइनें और गंदे नालों की मरम्मत तक नहीं हुई। घाट नहीं बने। नमामि गंगे भी काग़ज़ी योजना बनकर रह गई है।
इस सिलसिले में रमेश सेमवाल ने स्वच्छ भारत मिशन के सचिव परमेश्वर अय्यर से दिल्ली में मुलाकात भी की। उन्होंने डाउन टू अर्थ को बताया कि फिलहाल कूड़े की मैनुअली छंटनी कराई जा रही है। प्लास्टिक को अलग किया जा रहा है। जब दो-तीन ट्रक प्लास्टिक हो जाएगा तो उसे मुनि की रेती या बड़कोट के वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में भेजा जाएगा। सेमवाल इससे पहले दो बार सभासद भी रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब वे पहली बार सभासद बने तो उस समय उत्तरकाशी का सारा कचरा शहर के मुख्यद्वार के पास सीधा गंगा में उड़ेला जाता था। जब वे दूसरी बार सभासद बने तो तेखला गदेरे के पास कचरा डंप किया जाता था। फिलहाल कचरा कहां डालें, इसके लिए जगह तलाशी जा रही है। उत्तरकाशी के भूदेव कुड़ियाल पूर्व सभासद रह चुके हैं। उन्होंने भी जिले की कचरी की यही कहानी बतायी जो बाड़ाहाट नगर पालिका अध्यक्ष रमेश सेमवाल ने कहीं।
भागीरथी में कचरा उड़ेलने और कचरा निस्तारण की समस्या को लेकर जब उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से बात की तो उन्होंने जवाब दिया कि भागीरथी में कचरा उड़ेलने पर दोषी पाये गये अधिकारी पर तत्काल निलंबन की कार्रवाई की गई है। ज़िलाधिकारी से नया ग्राउंड ढूंढ़ने को कहा गया है। नगर पालिका से खाद बनाने का प्लांट लगाने को कहा गया है। उन्होंने दावा किया कि हम राज्यभर में हर वार्ड से सौ फीसदी कूड़ा उठा रहे हैं। इस कूड़े से 35 निकायों में खाद बनाना शुरू किया है। जबकि राज्य में कुल 92 निकाय हैं। मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि वे “वेस्ट टु एनर्जी” नीति कैबिनेट में ला रहे हैं। कचरे से बिजली बनाने की योजना पर कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि कचरे से खाद बनाने के लिए सभी निकायों को पैसा भेजा गया है। हालांकि पालिकाध्यक्ष रमेश सेमवाल ने बताया कि पालिका को वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाने के लिए अब तक अलग से कोई पैसा नहीं मिला है।
देवभूमि का दावा करने वाला उत्तराखंड अभी अपने कचरे के पहाड़ को ढो रहा है, वो पहाड़ झरकर कुछ समय बाद नदियों में सारा कचरा मिला देता है। राज्य में जब तक कचरा निस्तारण की व्यवस्था नहीं होगी, नदियां मुश्किल में रहेंगी।
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