Energy Efficiency

वैज्ञानिकों ने बनाई सात गुणा अधिक ऊर्जा स्टोर करने वाली बैटरी: खोज

लिथियम-कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी बहुत अच्छी ऊर्जा संचयन (स्टोरेज) प्रणाली हैं जो आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले लिथियम-आयन बैटरी से सात गुना अधिक है

 
By Dayanidhi
Published: Tuesday 01 October 2019
Photo: Creative commons

वैज्ञानिकों ने अब एक ऐसी बैटरी बनाई है, जो सात गुना अधिक ऊर्जा संचयन (स्टोरेज) कर सकती है। यानी कि, इस 'रिचार्जेबल कार्बन डाइऑक्साइड' बैटरी से इलेक्ट्रिक वाहन पहले से सात गुना ज्यादा दूरी तय कर पाएंगे। इसे एक बड़ी खोज माना जा रहा है। शोधकर्ताओं का दावा है कि लिथियम-कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी रिचार्जेबल है और लिथियम-कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी के नमूने (प्रोटोटाइप) को लगातार 500 बार चार्ज / रिचार्ज करने का परीक्षण किया गया है।

लिथियम-कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी बहुत अच्छी ऊर्जा संचयन (स्टोरेज) प्रणाली हैं, क्योंकि इनमें एक विशिष्ट ऊर्जा घनत्व होता है जो आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले लिथियम-आयन बैटरी से सात गुना अधिक है। हालांकि, अब तक वैज्ञानिकों ने अधिक ऊर्जा स्टोर करने की इनकी क्षमता के बावजूद, इन्हें पूरी तरह से रिचार्जेबल प्रोटोटाइप बनाने में सफलता प्राप्त नहीं की थी। यह शोध एडवांस्ड मैटेरियल्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ हैं।

यूआईसी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में मैकेनिकल और औद्योगिक इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर, अमीन सालेही खोजिन ने कहा कि लिथियम-कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी लंबे समय तक काम करने के लिए उपयुक्त हैं, लेकिन व्यवहारिक तौर पर हम इन्हें अभी तक ऐसा बना पाने में असमर्थ रहे हैं। परंपरागत रूप से, जब लिथियम-कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी का डिस्चार्ज होता है तो यह लिथियम कार्बोनेट और कार्बन का उत्पादन करता है। लिथियम कार्बोनेट चार्ज करने के दौरान रिसाइकिल होता है, लेकिन कार्बन केवल उत्प्रेरक पर जमा हो जाता है, जिसके कारण बैटरी चार्ज नहीं हो पाती है।

अध्ययनकर्ता और इंजीनियरिंग कॉलेज के एक यूआईसी कॉलेज आफ इंजीनियरिंग के छात्र अलीरेज़ा अहमदीपारीदी ने बताया कि कार्बन का जमाव न केवल उत्प्रेरक के सक्रिय भागों को अवरुद्ध करता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड के प्रसार को रोकता है और चार्ज किए गए भाग में विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट) के घटकों को अलग-अलग करके बढ़ाता है।

सालेही खोजिन और उनके सहयोगियों ने लिथियम कार्बोनेट और कार्बन दोनों के दुबारा उपयोग (रीसाइक्लिंग) को बढ़ाने के लिए अपनी प्रयोगात्मक कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी में नई सामग्रियों का उपयोग किया। उन्होंने रीसाइक्लिंग प्रक्रिया में कार्बन को शामिल करने में मदद करने के लिए एक हाइब्रिड इलेक्ट्रोलाइट के साथ मिलकर कैथोड उत्प्रेरक के रूप में मोलिब्डेनम डाइसल्फ़ाइड का इस्तेमाल किया।

विशेष रूप से, अलग-अलग उत्पादों की सामग्री का उपयोग करने के बजाय यहां एक ही सामग्री के उत्पादों से मिश्रित संयोजन को लिया गया है, जिससे रीसाइक्लिंग अधिक कुशलता से हो जाती है।

सालेही खोजिन ने कहा कि सामग्रियों का हमारा अनूठा संयोजन पहली बिना कार्बन (कार्बन न्युट्रल) लिथियम कार्बन डाइऑक्साइड बैटरी को अधिक निपुण और लंबे समय तक चलने वाला बनाने में मदद करता है, जिससे इस बैटरी को जहां ऊर्जा संचयन (स्टोरेज) की लंबे समय तक आवश्यकता है वहां उपयोग किया जा सकता है। 

बढ़ते वायु प्रदुषण, मुख्यतः वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निजात पाने के लिए 'भविष्य के वाहन' अर्थात इलेक्ट्रिक वाहनों का उपोग जरुरी हो गया है। इन वाहनों को चलाने के लिए बैटरी की आवश्यकता होती है, लेकिन इन बैटरीयों से वाहन कुछ ही किलोमीटर तक का सफर तय कर सकते हैं, क्योंकि इनकी बैटरी छोटे से अंतराल में डिस्चार्ज हो जाती है, जिसे बार-बार पुन: रिचार्ज करना पड़ता है, चार्ज करने में घंटों का समय लगता है।

इसी कारण से लोगों में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति उत्साह कम नजर आता है। भारत में तो स्थिति और भी खराब है, ब्लूमबर्ग एनईएफ की रिपोर्ट के अनुसार भारत की इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में रफ्तार धीमी है जिसके कारण 2030 तक सिर्फ 6 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन ही सड़कों पर होने का दावा किया गया है, जबकि इसी अंतराल में सरकार ने यह लक्ष्य 30 फीसदी रखा है। हालांकि 2019 में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या साढ़े सात लाख के करीब है, लेकिन इनमें अधिकतर संख्या तिपहिया और दो पहिया वाहनों की ही है। 

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