शरीर के नियमों को अब उदार बनाने का समय है। यह समय कोशिकाओं और अंगों के बीच सहयोग का नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धा का है जिसे अंगों का विकासवाद भी कहते हैं
जब वह डाॅक्टर के पास चेकअप के लिए गया तो डाॅक्टर उसे देखकर बुरी तरह चौंक गया। उसके शरीर पर जगह-जगह भयानक गांठें थीं। शरीर के कुछ हिस्से काफी फूले हुए और कुछ हिस्से सूख कर कांटा हो गए थे। उसे देखकर ऐसा लगा रहा था कि वह किसी गंभीर बीमारी का शिकार है। डाक्टर ने उसे कुछ टेस्ट करवाने को कहा।
कुछ दिनों बाद वह अपने टेस्ट के रेजल्ट्स को लेकर डाॅक्टर के पास गया और कहा, “एक पिरियोडिक-चेकअप करवाना चाहता था, हालांकि मुझे पता है कि सब कुछ ठीक है।”
डाॅक्टर ने आदमी को कहा, “आपके रिपोर्ट बता रहे हैं कि आपके शरीर की 10 फीसदी कोशिकाएं शरीर के नब्बे फीसदी पोषक तत्त्वों को हड़प ले रहीं हैं और बहुत थोड़े से पोषक तत्वों से आपके बाकी शरीर को काम चलाना पड़ रहा है। इससे आपके शरीर में अतिवृद्धि के लिए गांठें बन रहीं हैं, वहीं दूसरी ओर ज्यादातर हिस्से कुपोषण का शिकार हैं। आपके शरीर की कोशिकाएं एक-दूसरे को खत्म कर रही है और ताज्जुब है कि आपको कोई शिकायत नहीं है!”
“बेशक दर्द हुआ है कभी-कभार।” आदमी ने कहा, “और दर्द दूर करने के लिए मैं नियमित रूप से दर्द निवारक दवाएं लेता रहता हूं”
डाॅक्टर ने आश्चर्य से कहा, “यानी जब-जब आपकी तंत्रिकाओं ने आपको आपके शरीर के बारे में कुछ भी सही जानकारी देनी चाही तो आपने उनको सुन्न कर दिया या गलत सूचनाएं देने पर मजबूर किया!”
“इसका कोई इलाज आपके पास है।” आदमी ने जानना चाहा। डाॅक्टर ने कहा, “मेरे ख्याल से आपको अपना जिंदगी जीने का तरीका और सोच को बदलना होगा।” अब तक चुपचाप बैठा वह अचानक बोला, “आप जिसे गंभीर रोग कह रहे हैं आजकल इसी को स्वास्थ्य कहा जाता है।”
वह थोड़ा रुका और एक-एक कर अपनी जांच रिपोर्ट को देखते हुए कहना शुरू किया, “जिसे आप गांठ कह रहे हैं, वह गांठें नहीं हैं। दरअसल वहां की कोशिकाओं ने ज्यादा विकास किया है। सभी अंगों और सभी कोशिकाओं के समान पोषण का समाजवादी सिद्धांत पुराना और बेकार साबित हो चुका है। हमें बदलते वक्त के साथ शरीर के कामकाज का तरीका भी बदलना होगा, वरना हमारा शरीर विकास की दौड़ में पीछे रह जाएगा।
शरीर के नियमों को अब उदार बनाने का समय है। यह समय कोशिकाओं और अंगों के बीच सहयोग नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धा का है, जिसे अंगों का विकासवाद भी कहते हैं। जो कोशिकाएं ज्यादा विकास करेंगी उन्हें पोषक तत्व ज्यादा मिलना चाहिए, क्योंकि बाद में उनके विकास का लाभ आसपास की कोशिकाओं को भी मिलेगा। इसको ट्रिकल डाउन एफेक्ट कहते हैं।
मेरे शरीर के विकास की दर काफी कम थी। पर आज इस नई व्यवस्था में मेरे शरीर के विकास की दर 9-10% सालाना है।
शरीर सर्वोपरि है और इसकी रक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करता। मैं अपनी आय का बड़ा हिस्सा मेरी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए खर्च करता हूं। मेरा तंत्रिका-तंत्र उन्हीं सूचनाओं को देता है, जिनकी आज मांग है। इसको फील गुड फैक्टर कहते हैं। वह सूचनाएं जो परेशान करे, विकास में बाधा उत्पन्न करे या असंतोष पैदा करे, उन्हें दबाना जरूरी है।
इतनी देर लगातार बोलते रहने से वह बुरी तरह हांफ रहा था। फिर भी उसने बोलना जारी रखा, “मेरे शरीर की कुछ कोशिकाओं में असंतोष फैलाने की प्रवृत्ति उत्पन्न हुई है, लेकिन जल्द ही उन कोशिकाओं पर काबू पा लिया जायेगा। मुझे अपनी प्रतिरोधक क्षमता पर पूरा विश्वास है। मेरे में कुछ भी असामान्य नहीं है। हो सके तो आप नए सिरे से अपनी पढ़ाई लिखाई शुरू कीजिए।”
डाक्टर आश्चर्य से उसे देखता रहा, जो मेरा देश था।
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