प्लास्टिक उपयोग गंभीर स्तर तक बढा, खारे दलदल में जमा हो रहे माइक्रोप्लास्टिक से चला पता: अध्ययन
वैज्ञानिकों ने उस प्लास्टिक की मात्रा का अनुमान लगाया गया है जो खारे दलदल में फंसा रह जाता है।
समुद्री तटों को तेजी से लील रहा कंक्रीट, पर्यावरण के नजरिए से कितना है खतरनाक
तटों पर बढ़ते कंक्रीट के चलते न केवल वहां के स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र पर असर पड़ रहा है साथ ही यह आक्रामक प्रजातियों के ...
भारी धातुओं के प्रदूषण की निगरानी में मददगार हो सकते हैं सूक्ष्मजीव
ताजे पानी में पाए जाने वाले चार सूक्ष्मजीवों यूप्लोट्स, नोटोहाइमेना, स्यूडॉरोस्टाइला और टेटमेमेना की जैव-संकेतक क्षमता का आकलन करने के बाद शोधकर्ता इस नतीजे ...
पहाड़ी जल स्रोतों को बचाना जरूरी, 2050 तक 150 करोड़ लोग होंगे निर्भर
1960 में तराई में रहने वाली करीब 7 फीसदी आबादी इन जल स्रोतों पर निर्भर थी जो 2050 तक बढ़कर 24 फीसदी पर पहुंच ...
व्हेल हर राेज निगल रही है लाखों की संख्या में माइक्रोप्लास्टिक
अध्ययन के मुताबिक हर बार जब व्हेल शिकार को पकड़ती हैं तो लगभग 25,000 माइक्रोप्लास्टिक को निगल लेती है।
पहाड़ों पर रह रही हैं 85 फीसदी जीव प्रजातियां
एक अध्ययन में कहा गया है कि पर्वत दुनिया के 85 फीसदी से अधिक प्रजातियों का घर हैं, कई प्रजातियां ऐसी है जो केवल पहाड़ों ...
पर्यावरण और उत्तराखंड के लोगों के लिए खतरा हैं भागीरथी नदी पर बन रहे बांध
जिस तरह से भागीरथी घाटी में बांध और जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है वो इस इलाके के लोगों और पर्यावरण के ...
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप पर लगाम जरूरी
उत्तराखंड के औली पर्यटन स्थल में एक शादी का भव्य आयोजन होने जा रहा है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या हिमालयी क्षेत्र ...
विश्व महासागर दिवस : सागर के सहारे भविष्य
अपने आरंभिक काल से आज तक महासागर जीवन के विविध रूपों को संजोए हुए हैं
खोज : दशकों पुरानी तस्वीर से पिग्मी टिड्डे की नई प्रजाति का चला पता
विज्ञान पोर्टल, जैसे कि आईनेचुरलिस्ट, प्रकृति में रुचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने निष्कर्षों को ऑनलाइन पोस्ट करके 'वास्तविक' वैज्ञानिक कार्यों में योगदान ...
कैसे हो एशियाई देशों में खराब भूमि और जंगलों की बहाली?
अध्ययन के मुताबिक 4.75 करोड़ हेक्टेयर भूमि के पुनर्स्थापन लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगभग 15,700 करोड़ बीजों की आवश्यकता पड़ेगी।
बैठे ठाले: टाइटेनिक 2050
“इस ग्लोबल वार्मिंग के चलते सारे हिमशैल पिघल चुके हैं। जब हिमशैल ही नहीं होंगे तो जहाज किससे टकराएगा?”
माइक्रोप्लास्टिक से बदल रहा है समुद्र में रह रहे केकड़ों का व्यवहार: रिसर्च
शोध के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक जीवों के सोचने और समझने की क्षमता पर असर डाल रहा है| जिससे जीवों के व्यवहार में बदलाव आ रहा ...
खतरे में समुद्री मेगाफ्यूना, जैवविविधता को होगा भारी नुकसान
यदि इसी तरह चलता रहा, तो अगले 100 वर्षों में औसतन 18% समुद्री मेगाफ्यूना की प्रजातियों का नुकसान हो सकता है, जिससे पारिस्थितिक कार्यों ...
हर तीसरी ताजे पानी की मछली पर मंडरा रहा है विलुप्ति का खतरा
इनपर बढ़ते विलुप्ति के खतरे के लिए काफी हद तक बढ़ता प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, हाइड्रोपॉवर रेत खनन और जरुरत से ज्यादा होता इनका शिकार ...
चीटियों को जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के काबिल बनाता है उनका सामाजिक व्यवहार
दुनिया भर में चीटियों की करीब 17,000 से ज्यादा प्रजातियां ज्ञात हैं। जो अंटार्कटिका को छोड़कर लगभग सभी महाद्वीपों पर पाई जाती हैं
जैव-विविधता पर जिनेवा सम्मेलन: आकांक्षापूर्ण लक्ष्यों की जरूरत क्योंकि पहले ही हो चुका काफी नुकसान
जानवरों और पौधों की दस लाख प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही हैं और इनमें से हजारों तो कुछ दशकों के ...
विलुप्ति की कगार पर हैं ड्रैगनफ्लाई और डैमसेलफ्लाई की 16 फीसदी प्रजातियां, जानिए क्या है वजह
आईयूसीएन के अनुसार इन रंगीन कीड़ों की 6,016 प्रजातियों में से 16 फीसदी पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, जिसके लिए कहीं ...
ऋषिगंगा के बाद धौली में भी तबाही की तैयारी
सड़क को चौड़ी करने के लिए न केवल विस्फोट किए जा रहे हैं, बल्कि मलबा सीधे धौली गंगा में डाला जा रहा है
भारत के दो और तटों को मिला प्रतिष्ठित ब्लू फ्लैग प्रमाणन, जानें क्या है यह प्रमाणन
भारत के दो और तटों कोवलम और ईडन को 'ब्लू फ्लैग' प्रमाणन दिया गया है, जोकि सारे देश के लिए गर्व की बात है। इससे पहले पिछले ...
समुद्री जैव विविधता के बारे में पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है ईडीएनए
ईडीएनए गोताखोरों द्वारा प्रजातियों के बारे में पता लगाने की तुलना में ज्यादा सटीक और अधिक संख्या में पता लगाने में सक्षम है
5,000 करोड़ से ज्यादा पक्षियों का घर है धरती, हम इंसानों से छह गुना हैं ज्यादा
इन पक्षियों में एक तरफ गौरैया है जिनकी कुल वैश्विक आबादी 160 करोड़ से भी ज्यादा है, वहीं 12 फीसदी प्रजातियां ऐसी हैं, जिनकी आबादी 5,000 से भी कम है
2050 में कार्बन डाईऑक्साइड अवशोषित करने के बजाय छोड़ेंगे जंगल
अध्ययन के अनुसार उष्णकटिबंधीय और बोरियल वन अपनी सीओ2 अवशोषित करने की क्षमता का 45 प्रतिशत से अधिक गंवा सकते हैं
निर्दोष सिद्ध होने तक दोषी हैं सभी विदेशी आक्रामक प्रजातियां
अंग्रेज 20वीं शताब्दी के आरंभिक दौर में विलायती कीकर को दिल्ली लाए और यह जंगल की आग की तरह फैल गया
ग्लोबल वार्मिंग के कारण पारिस्थितिक तंत्र पहले की तुलना में अधिक मीथेन का उत्पादन करेंगे
लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय और वारविक विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए शोध ने 11 वर्षों तक कृत्रिम तालाबों के तापमान के प्रभाव ...