बदलाव: माहवारी पर शर्म नहीं, चर्चा करती है लड़कियां
लॉकडाउन के दौरान सरकार की ओर से जरूरतमंदों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया गया, लेकिन नैपकिन की कमी को गंभीरता से नहीं लिया गया
कोविड-19: जरूरतमंदों को रोजगार भी मिल रहा, कोरोनावायरस से मुठभेड़ भी हो रही
स्वयंसेवी संस्था ‘गूंज’ देशभर के अलग-अलग राज्यों में हजारों लोगों से मास्क और सैनिटरी पैड बनवा कर उन्हें रोजगार दे रहा है
महिला विमर्श: नहीं बदली है माहवारी से जुड़ी अवधारणाएं
माहवारी शुरू होने के समय लड़कियों को डेढ़ लोटा पानी से स्नान करवाया जाता है। इसके बाद उसे घर के कई सामानों को छूने ...
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 विशेष: बिटिया, क्या तुमने लाल कपड़े की कहानी सुनी है?
अभी भी कई ग्रामीण इलाकों में मासिक धर्म के दिनों में सैनेटरी पेड्स की बजाय लाल कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है