लोकतंत्र को गले लगाओ, दुनिया को बचाओ
महामारी की प्रतिक्रिया वास्तव में तभी वैश्विक होगी जब वैक्सीन एक ग्लोबल गुड बन जाएगा
The promise and reality of renewable energy
This is not the time to be complacent with green power growth in India because the challenges have grown too
असल जल योद्धा
जलवायु परिवर्तन की वजह से राजस्थान में इस साल हुई अतिवृष्टि को लोगों ने आपदा में अवसर के तौर पर लिया, इस पूरी मुहिम ...
76 years of environmentalism
The most important gain of India’s environmental movement is the voice it has given to its citizens. This is the soul of the movement
क्या चक्रीय अर्थव्यवस्था को क्रियान्वित करना चाहती है केंद्र सरकार?
अपने बजट भाषण में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार का उद्देश्य “हरित विकास” का है, इसके क्या मायने हैं
अयस्क क्षेत्र को आधुनिकता की जरूरत
भारत के इस्पात उत्पादन को तीन गुणा बढ़ाकर भी साल 2030 तक कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन में भारी कमी लाना संभव है, लेकिन इसके ...
Zero-zero, net zero
The fact that Joe Biden is not a climate denier is good news. But it is not enough
Water in age of climate change
We now need to be more than obsessive about water and its management as it is the basis of health and wealth
Biden’s transformational challenge
Though the US is no longer addicted to coal, it is completely sold on the idea of cheap energy, writes Sunita Narain
COVID-19 has made the invisible visible
Migrants make economies tick and now with their return there are many questions about the future of work, of …
Change the climate now
Now that the rich are also being hit by climate change & the “attribution” is clear, the targets for the world’s anger will …
परिवर्तन की पीड़ा
भारत में पर्यावरण पर चल रही बहस को अमीरों और गरीबों के चश्मे से देखने की जरूरत है
बदलते मौसम में लोकतंत्र का नया रूप-रंग
सच तो यह है कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई समानता के बिना संभव नहीं है, सुनीता नारायण का संपादकीय लेख
देशों के बीच प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष युुद्ध से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई होगी कमजोर
तथाकथित पश्चिम और तथाकथित पूर्व (यूएस बनाम चीन) के बीच चल रहे शीत युद्ध से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में हालात और खराब ...
रस्म अदायगी बन गई है वायु प्रदूषण से निपटने की कवायद
हकीकत यह है कि हमें प्रदूषण के स्रोत के बारे में पूरी जानकारी है, भले ही हर क्षेत्र का इसमें योगदान अलग-अलग मौसम में ...
तरलीकृत प्राकृतिक गैस, लेकिन अमीर देशों के लिए नहीं
औद्योगिक राष्ट्रों को गहन अकार्बनीकरण करने की आवश्यकता है। वे दोबारा से जीवाश्म ईंधन में निवेश कर इसे स्वच्छ एवं हरित नहीं बना सकते
जल और अपशिष्ट ज्ञान से संवरेगा जल भविष्य
हम अपनी नदियों का स्थायी प्रबंधन तब तक नहीं कर सकते जब तक कि हम अपशिष्ट प्रबंधन की अपनी प्रणाली को ठीक नहीं करते
The numbers behind: Climate change
The planet can barely afford any more carbon emissions. But we need to continue to emit for our survival and development. What is the carbon …
प्लास्टिक पुनर्चक्रण की राजनीति
उद्योग जगत ने एक बार फिर नीति निर्माताओं को समझा दिया है कि प्लास्टिक कचरा कोई समस्या नहीं है क्योंकि हम लगभग हर चीज ...
Time up for reinvention?
If 2018 was the year of revolt, 2019 should be the year of realisation that we must change the way we do business
ऐसी हो बाघ संरक्षण की नई रूपरेखा
नया संरक्षण एजेंडा बाघ बनाम आदिवासियों के इर्द-गिर्द नहीं घूमना चाहिए, बल्कि यह बाघों और लोगों के बारे में होना चाहिए
कैसे मिल सकती है जीवाश्म ईंधन से मुक्ति?
अब स्वच्छ ऊर्जा के विकल्प को चुनने का दवाब कमोबेश उन देशों के ऊपर है जो न केवल उत्सर्जन के लिए कम जिम्मेदार हैं ...
क्या हो कॉप-26 का एजेंडा
अक्टूबर के अंत में ग्लासगो में शुरू हो रहे कॉप-26 का एजेंडा क्या होना चाहिए, बता रही हैं पर्यावरणविद सुनीता नारायण
एक साथ चलती हैं पानी और संस्कृति, समाज की विफलता की निशानी है पानी का न बचना
भले ही पानी की सुविधा कई गांवों में “उपलब्ध” हो गई है, लेकिन ऐसे गांवों की संख्या भी बढ़ी है, जहां पानी फिर से ...
नई दुनिया का नया चेहरा
हमें यह देखना होगा कि इस बार व्यापार के नियम हमारे और हमारी धरती के पक्ष में काम करेंगे या खिलाफ