सरकार का दावा है कि किसानों को 75 हजार करोड़ रुपए के नगद भुगतान से ग्रामीण क्षेत्र में खपत दर बढ़ेगी
बजट 2019-20 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को ऐतिहासिक आवंटन मिला है। वित्त मंत्रालय ने इस मंत्रालय को 1,30,485 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। यह कृषि मंत्रालय के लिए अब तक का सबसे अधिक आवंटन है। 2014-15 में जब एनडीए सरकार सत्ता में आई थी तो कृषि मंत्रालय को 31,063 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था।
2018-19 में कृषि मंत्रालय को 79,026 करोड़ रुपए का संशोधित बजट दिया गया था। जबकि इस साल का अनुमानित बजट 57,600 करोड़ रुपए था, जिसमें 140 फीसदी की वृद्धि की गई थी। लेकिन इस बार बजट में वृद्धि का बड़ा कारण प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) है। इस बार के बजट में इस निधि में 75 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस तरह कृषि मंत्रालय के बजट में 57 फीसदी हिस्सा किसानों को दिया जाने वाला सीधा नगद भुगतान का है।
चुनाव से पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में एनडीए सरकार ने किसानों को नगद सहायता देने की घोषणा की थी। यह घोषणा एक जनवरी 2019 से लागू की गई और उस समय इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। पीएम किसान योजना के तहत किसान को 6000 रुपए सालाना देने का प्रावधान है, जो 2000 रुपए की तीन किस्तों में दिए जाएंगे।
हालांकि कृषि मंत्रालय को इस ऐतिहासिक आवंटन के बावजूद अगर अंतरिम बजट से तुलना की जाए तो 10 हजार करोड़ रुपए कम हैं।
2014-15 ये 2018-19 के दौरान कृषि एवं उसके सहायक क्षेत्रों में सही मायने में औसत सालाना वृद्धि 2.88 फीसदी दर्ज की गई है। बावजूद इसके, ग्रामीण मजदूरी में निरंतर स्थिरता बनी हुई है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों की खपत दर में कमी आ रही है, क्योंकि किसान की कमाई घट रही है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में खपत दर में वृद्धि को आर्थिक विकास का संकेतक माना गया है। जबकि देश में कुल खपत में ग्रामीण क्षेत्र की हिस्सेदारी 60 फीसदी है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि बजट में सरकार ग्रामीणों की खपत दर में वृद्धि के लिए हर संभव कदम उठाने की घोषणा करेगी।
आर्थिक सर्वेक्षण में सिफारिश की गई थी कि पीएम-किसान नगद हस्तांतरण योजना में सभी किसानों को शामिल किया जाए, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और उनमें उपभोग भी बढ़ेगा, जिसका फायदा अर्थव्यवस्था को मिलेगा।
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