भोजन की बाइनरी में धंसी-फंसी दुनिया
हर्बर्ट मार्क्यूज के शब्दों में कहें तो ‘फॉल्स नीड्स’ पर पूरा समाज जीने का प्रयास कर रहा है।
ग्रीनवाशिंग या प्रकृति से ‘सात-पाप’
जर्मन चिन्तक उलरिच बेख के लिए यह सभ्यता “डरे हुए लोगों की सभ्यता” है. और इसका सबसे बड़ा प्रमाण ‘इन्सुरेंस-इंडस्ट्री’ का बढ़ता वैश्विक कारोबार ...
पर्यावरणीय संकट काल में मार्क्सवाद और वैकल्पिक विकास-विमर्श
मार्क्स का विमर्श उन्नीसवी सदी में रहा है, जबकि पर्यावरण का प्रश्न बीसवी सदी में उभर कर सामने आया है, लेकिन उनके कुछ विचारों ...