महासागर सीओ2 हटाने में हो रहे हैं नाकाम, उष्णकटिबंधीय इलाकों की बारिश में आ रहा है बदलाव

अध्ययन से पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय वर्षा में बदलाव वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अहम संकेतों में से एक है।

By Dayanidhi
Published: Wednesday 13 July 2022

कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों में से एक है। बढ़ते सीओ2 विकिरण बल, जिसे "सीओ2 रैंप-अप" कहा जाता है, इसके तहत जलवायु में हो रहे बदलावों का संख्यात्मक प्रयोगों का उपयोग करके व्यापक अनुमान लगाया गया है।

दुनिया को कार्बन-तटस्थ या पूरी तरह से इस पर लगाम लगाने के लिए, अधिकतर अध्ययनों ने सीओ2 को कम करने के तहत क्षेत्रीय जलवायु प्रतिक्रियाओं पर गौर करना शुरू कर दिया है। अधिक सीओ2 की मात्रा से पूर्व-औद्योगिक स्तर तक पहुंचना जिसे "सीओ2 रैंप-डाउन" कहा जाता है।

एक नए अध्ययन से पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय वर्षा में बदलाव वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अहम संकेतों में से एक है। सीओ2 रैंप-अप और रैंप-डाउन के दौरान गर्मी का समान स्तर पर असमान हैं।

उष्णकटिबंधीय बारिश में बदलाव के स्थानीय अंतर सीओ2 रैंप-डाउन के दौरान रैंप-अप की तुलना में अधिक मजबूत होती है। जो दक्षिण की ओर बढ़ने के साथ भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में बढ़ रही है, लेकिन प्रशांत अंतर-उष्णकटिबंधीय क्षेत्र और दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में घट रही है।

यह अध्ययन एक आदर्श सीओ2 रैंप-अप और रैंप-डाउन परिदृश्य पर आधारित है, जिसमें सीओ2 लगातार 1 फीसदी हर साल पूर्व-औद्योगिक स्तर से रैंप-अप के दौरान चौगुने स्तर तक बढ़ जाती है, जिसके बाद रैंप-डाउन होता है। इसके पूर्व-औद्योगिक स्तर तक पहुंचने के लिए हर साल 1 फीसदी की समान दर पर रहती है।

शोधकर्ताओं ने नमी बजट अपघटन विधि का उपयोग करते हुए दिखाया कि यह असमान उष्णकटिबंधीय वर्षा परिवर्तन मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय प्रसार में परिवर्तन के कारण था, जो स्थानीय समुद्री सतह के तापमान (एसएसटी) में बदलाव से और अधिक निकटता से संबंधित पाया गया।

अध्ययनकर्ता डॉ. हुआंग पिंग ने कहा मल्टी-टाइम स्केल प्रक्रियाओं को कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) रैंप-अप और रैंप-डाउन परिदृश्य के दौरान उलझाया जा सकता है, जिससे उष्णकटिबंधीय वर्षा में होने वाले बदलावों का एक जटिल पैटर्न बनता है। डॉ. पिंग चीनी विज्ञान अकादमी में वायुमंडलीय भौतिकी संस्थान (आईएपी) के प्रोफेसर हैं।

शोधकर्ताओं ने उष्णकटिबंधीय वर्षा में आ रहे बदलाव पर अलग-अलग समय पर समुद्री सतह के तापमान (एसएसटी) प्रतिक्रियाओं के प्रभावों को अलग करने हेतु जलवायु प्रतिक्रिया के लिए एक टाइम स्केल अपघटन विधि का उपयोग किया।

तेजी से एसएसटी प्रतिक्रिया और अलग-अलग समय पर प्रक्रियाओं के आधार पर धीमी प्रतिक्रिया को सीओ2 रैंप-अप और रैंप-डाउन परिदृश्य के तहत उनके समय-भिन्न योगदान और प्रभावों के संदर्भ में मूल्यांकन करने के लिए तैयार किया गया था।

परिणामों से पता चला कि उष्णकटिबंधीय वर्षा में आ रहे बदलाव पर तेज से एसएसटी प्रतिक्रिया का प्रभाव सीओ2 रैंप-डाउन के दौरान धीमी एसएसटी प्रतिक्रिया की तुलना में बहुत कमजोर था। धीमी एसएसटी प्रतिक्रिया भूमध्यरेखीय पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो जैसे बढ़ती गर्मी के पैटर्न के कारण उष्णकटिबंधीय वर्षा में बदलाव कर सकती है।

सीओ2 रैंप-डाउन अवधि के दौरान एक मजबूत ऊपरी सतह की गर्मी ने समुद्र के गतिशील थर्मोस्टेट प्रभाव को दबा दिया, जिससे अल नीनो जैसा गर्मी का पैटर्न बन गया।

प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. झोउ शिजी ने कहा हमारे नतीजे बताते हैं कि वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि एक निश्चित लक्ष्य से बढ़ रही है, जैसे कि 2 डिग्री सेल्सियस, सीओ2 को हटाकर, उष्णकटिबंधीय इलाके तापमान के बराबर वितरण को बहाल करने में विफल हो सकते हैं, इसके दुनिया भर में जलवायु संबंधी विनाशकारी प्रभाव पड़ सकते हैं। यह अध्ययन साइंस बुलेटिन में प्रकाशित हुआ है।

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