विश्व व्यापार संगठन की बैठक के पहले दिन भारत ने अपनाया क्या रुख, यहां जानें

भारत ने व्यापार संरक्षणवादी एकतरफा उपायों के बढ़ते उपयोग के बारे में भी गंभीर चिंता व्यक्त की

By DTE Staff
Published: Tuesday 27 February 2024
विश्व व्यापार संगठन की बैठक 26 फरवरी से शुरू हो गई। फोटो: wto.org

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का 13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 26 फरवरी को अबू धाबी में शुरू हुआ। उद्घाटन के दिन भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने किया।

डब्ल्यूटीओ अगले वर्ष अपनी स्थापना के 30 वर्ष पूरे करेगा। उद्घाटन के दिन दो मंत्रिस्तरीय चर्चा सत्र आयोजित किए गए, जिससे मंत्रियों को संगठन को भविष्य की दिशा पर विचारों का आदान-प्रदान करने की अनुमति मिली।

औद्योगीकरण के लिए सतत विकास और नीतिगत स्थान पर सत्र में, भारत ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के विखंडन से बचने की आवश्यकता और गैर-व्यापार मुद्दों के बजाय डब्ल्यूटीओ एजेंडे पर ध्यान केंद्रित रहने के महत्व पर प्रकाश डाला।

भारत ने स्पष्ट किया कि उसने जलवायु परिवर्तन से निपटने की लिए एलआईएफई- "पर्यावरण के लिए जीवन शैली" के लिए एक जन आंदोलन सहित परंपराओं और संरक्षण और संयम के मूल्यों के आधार पर जीवन जीने का एक स्थायी तरीका सामने रखा है और प्रचारित किया है। भारत ने व्यापार संरक्षणवादी एकतरफा उपायों के बढ़ते उपयोग के बारे में भी गंभीर चिंता व्यक्त की, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण की आड़ में उचित ठहराने की कोशिश की जा रही है।

भारत ने इस बात पर जोर दिया कि विकासशील देश अपनी चिंताओं का समाधान खोजने के लिए उचित नीतिगत स्थान चाहते हैं, जिनमें से कुछ पर लंबे समय से ध्यान नहीं दिया गया है। भारत ने कहा कि उसका साफ तौर पर मानना है कि विकासशील देशों को अपने औद्योगीकरण में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए मौजूदा डब्ल्यूटीओ समझौतों में लचीलेपन की आवश्यकता है।

भारत ने औद्योगिक विकास के लिए नीतिगत स्थान जैसे लंबे समय से चले आ रहे विकास के मुद्दों को "व्यापार और औद्योगिक नीति" के नए मुद्दों के साथ जोड़ने के ठोस प्रयास पर चिंता व्यक्त की।

व्यापार और समावेशन पर दूसरे सत्र में, भारत ने सदस्यों को आगाह किया कि गैर-व्यापार विषयों को डब्ल्यूटीओ के नियमों के साथ मिलाने से व्यापार का बिखराव बढ़ सकता है। भारत ने कहा कि जेंडर और सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उद्योगों (एमएसएमई) जैसे मुद्दों को डब्ल्यूटीओ चर्चा के दायरे में लाना व्यावहारिक नहीं था क्योंकि इन मुद्दों पर पहले से ही अन्य प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों में चर्चा की जा रही थी।

भारत ने इस बात पर जोर दिया कि समावेशन जैसे मुद्दों को प्रासंगिक और लक्षित राष्ट्रीय उपायों के माध्यम से बेहतर ढंग से संबोधित किया जाता है और वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों के क्षेत्र में नहीं आते हैं। भारत ने इस बात पर जोर दिया कि गैर-व्यापारिक मुद्दों में व्यापार को बिखेरने वाली सब्सिडी और गैर-व्यापार बाधाओं को प्रोत्साहित करने की क्षमता है। उन्होंने ऐसे उपायों और विकासशील देशों के व्यापार हितों पर उनके नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की।

भारत ने एमएसएमई और महिलाओं के व्यापक समावेशन के लिए सरकार द्वारा किए गए कई उपायों खासकर डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के उपयोग का जिक्र किया। इसमें बताया गया कि कैसे सरकार का ध्यान अर्थव्यवस्था के इन क्षेत्रों के लिए आर्थिक परिवर्तन लाने पर था।

भारत ने बहुपक्षवाद के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता और नियम-आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली का पालन करने के महत्व का आश्वासन दिया।

 

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